नवाचार का नया दौर

राजीव त्यागी
भारत आइटी सेवा निर्यात और वेंचर कैपिटल हासिल करने के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है। विज्ञान और इंजीनियरिंग ग्रेजुएट तैयार करने में भी भारत दुनिया में सबसे आगे है। 
भारत के उद्योग-कारोबार तेजी से समय के साथ आधुनिक हो रहे हैं। कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए भारत ने जिस तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया, उससे भारत कृषि विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि देश के लिए बौद्धिक सम्पदा, शोध एवं नवाचार के बहुआयामी लाभ लगातार बढ़ रहा है। भारत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमता और डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में शोध एवं विकास और जबरदस्त स्टार्टअप माहौल के चलते अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से शुरू करते हुए दिखाई दे रही हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स के तेजी से बढऩे से भारत में ख्याति प्राप्त वैश्विक फायनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। 


पूरी दुनिया में मेड इन इंडिया और ब्रांड इंडिया की चमकीली पहचान बन रही है। इससे भारत में प्रतिस्पर्धा का स्तर बढ़ रहा है और रोजगार के चमकीले मौके बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, शोध एवं नवाचार बढऩे से देश में लगातार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वृद्धि हो रही है। यद्यपि भारत के विकास में बौद्धिक संपदा, शोध एवं नवाचार से जुड़े तीन आधारों की बढ़ती भूमिका दिखाई दे रही है, लेकिन इन आधारों से विकास को ऊंचाई देने के लिए इस क्षेत्र में सरकार व निजी क्षेत्र का परिव्यय बढ़ाना होगा।
 इस समय भारत में आरएंडडी पर जिस तरह जीडीपी का एक प्रतिशत से भी बहुत कम ही व्यय हो रहा है, उसे रणनीतिपूर्वक बढ़ाया जाना होगा। ऐसे में हमें ध्यान देना होगा कि कोई 6-7 दशक पहले अमेरिका ने आरएंडडी पर तेजी से अधिक खर्च करके सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, दवाओं, अंतरिक्ष अन्वेषण, ऊर्जा और अन्य तमाम क्षेत्रों में तेजी से आगे बढक़र दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनने का अध्याय लिखा है। हमें अपने औद्योगिक ढांचे में बदलाव लाना होगा, अपनी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए बदलाव को आकार देना होगा, अपनी कंपनियों पर प्रतिस्पर्धी होने का दबाव बनाने के लिए व्यापार नीति का इस्तेमाल करना होगा तथा सार्वजनिक शोध प्रणाली में परिवर्तन करना होगा। इससे जहां ब्रांड इंडिया और मेड इन इंडिया की वैश्विक स्वीकार्यता सुनिश्चित की जा सकेगी, वहीं स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, कारोबार, ऊर्जा, शिक्षा, रक्षा, संचार, अंतरिक्ष सहित विभिन्न क्षेत्रों में देश तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगा।

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