हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जवाब की तैयारी में आवास विकास 

उच्चाधिकारियों की मेरठ आवाजाही शुरू नगर-निगम कार्यालय समेत सेंट्रल मार्किट का किया सर्वे

आवास एवं विकास परिषद अधिकारियों की धड़कने अब लगातार बढ़ती हुई दिख रही हैं

सर्वे भें  आवास विकास ने दर्जनों  अवैध निर्माण वाले भूुखंडों को छोड़ा

मेरठ। एक तरफ हाईकोर्ट का नोटिस तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट का ध्वस्तीकरण का आदेश पहाड़ बनकर खड़ा है। इन सबके बीच प्रदेश व केन्द्र सरकार का वोट बैंक यानि सेंट्रल मार्किट के व्यापारियों का विरोध भी अधिकारियों के गले की फांस बन चुका है। व्यापारियों ने तो एक नया संगठन भी खड़ा कर लिया और सरकार से राहत देने की गुहार लगा रहे हैं। 

विगत 17 दिसम्बर 2024 को सेंट्रल मार्किट स्थित भूखण्ड संख्या 661/6 और इस जैसे सभी अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने आदेश दिया गया था। जिसके बाद परिषद ने 661/6 समेत 32 भूखण्डों की सूची बनाई और तोड़ने के लिए एक कंपनी को टेंडर दे दिया। इनमें से एक भूखण्ड तो ध्वस्त कर दिया गया, लेकिन परिषद के अधिकारियों के लिए ये मामला उस समय गले की फांस बन गया जब 1 दिसम्बर 2025 को सप्रीम कोर्ट ने उक्त मामले में सुनवाई की और अन्य सभी निर्माणों को भी तोड़ने का आदेश दिया। जनवरी 2026 तक इस आदेश का पालन करना है। उक्त आदेश के बाद से हीअधिकारियों के हाथ पैर फूले हुए हैं और अब नई उपविधि का सहारा ही व्यापारियों के लिए एक मात्र राहत हो सकती है। लेकिन नई उपविधि पर भी पेंच फंसा है यानि शमन शुल्क लेकर लैंड यूज चेंज कैसे करें। क्योंकि इसी साल आए नए बायलॉज में लैंड यूज चेंज का प्रावधान किया गया था। जिससे आवासीय भूखण्ड का कुछ हिस्सा कमर्शियल प्रयोग में लाया जा सकता है। लेकिन इसको लागू करने के कुछ नियम भी हैं। परिषद के अधिकारियों को इन नियमों पर ही मुहर लगाना टेढ़ी खीर लग रहा है। इस लिए लैंड यूज पर अभी तक कोई भीअधिकारिक पुष्टि नहीं की गयी है। परिषद के अधिकारी अब गुपचुप तरीके से क्षेत्रों का निरीक्षण कर रहे हैं। पिछले सप्ताह चीफ इंजीनियर ने भी मेरठ पहुंच पुरानी फाइलों को खंगाला था। शुक्रवार को पुराने अधीक्षण अभियंता को भी मेरठ बुलाया गया और पुरानी फाईलों का मुआयना कराया। दो दिन से एडिश्नल हाउसिंग कमिश्नर एवं सक्रेटरी डा. नीरज शुक्ला मेरठ में डेरा डाले रहे। इस दौरान सेंट्रल मार्किट व नगर निगम के कार्यालय समेत चाणक्यापुरी स्थित अवैध कॉम्पलैक्स का भी निरीक्षण किया।

ध्वस्तीकरण की सूची में क्यों नहीं रखे दर्जनों अवैध निर्माण

कहावत है तो सुनी होगी कि अमीरों पर रहम और गरीबों पर सितम और ये कहावत परिषद की आवासीय योजनाओं में सटीक बैठ रही है। अवैध निर्माणों को लेकर परिषद के अधिकारियों का खेल इतना गहरा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। सर्वे कर आवास विकास के अधिकारियों ने 375 अवैध निर्माण को दिखाया गया है। लेकिन दर्जनों निर्माणों को उस सूची में डाला ही नहीं गया जो सुप्रीम आदेश के बाद बनाई गई थी। सूची से बाहर निर्माणों में निर्माण खण्ड-1 में भूखण्ड-129/7, भूखण्ड-239/1, भूखण्ड-2/1, भूखण्ड-37/2, भूखण्ड-20/2, भूखण्ड 259/6 एवं निर्माण खण्ड-3 में भूखण्ड ई-105, एफ-101, 111, एल-621, एल-1501 शामिल हैं। ये सभी वो भूखण्ड हैं जिन पर विशाल इमारतें बनकर खड़ी है और बड़ा व्यवसायिक प्रयोग किया जा रहा है।

उजड़ गये भू -उपयोग परिवर्तन की हेल्प डेस्क 

आवास एवं विकास परिषद के अधिकारी सेंट्रल मार्किट मामले में गंभीर तो हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा कि कार्य को शुरू कहां से करें। गुरूवार को एडिश्नल हाउसिंग कमिश्नर एवं सक्रेटरी डा. नीरज शुक्ला के पहुंचने की जैसे ही अधिकारियों को खबर लगी तो पूरी टीम को मुस्तैद कर दिया गया। इसी बीच परिषद कार्यालय में एक नजारा अलग ही देखने को मिला। जिसमें नए बायलॉज के अनुसार आवेदन के लिए हैल्प डेस्क की स्थापना की गई। जिसके बैनर पर योजना संख्या-7 के लिए शमन एवं भू-उपयोग परिवर्तन के आवेदन प्राप्त करने की लाईनें लिखी थी। अधिकारी वापस लखनऊ के लिए रवाना हुए तो अगले ही दिन ये हैल्प डेस्क उजड़ गई। कुर्सियां खाली हुई और पीछे का बैनर भी गायब हो गया।


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