अग्रसेन कन्या पी.जी. कॉलेज को जारी हुआ अल्टीमेटम

 क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के समक्ष फिर पहुंचा मामला

वाराणसी।श्री अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज वाराणसी में जारी अनियमितता पर रोक नहीं लग पा रही है। कालेज की समाजशास्त्र विभाग की प्रोफेसर डॉ.आभा सक्सेना के कूटरचित एमए (समाजशास्त्र) के अंक पत्र के आधार पर कॉलेज में नियुक्ति प्राप्त करने की शिकायत एक बार फिर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी के कार्यालय में पहुंची है।
गौरतलब है कि बीते 30 सितंबर को वाराणसी के सर्किट हाउस में डॉ. श्वेता सिंह एवं डॉ. बृजेश पाण्डेय के नेतृत्व में शिक्षकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इस गंभीर प्रकरण से अवगत कराया था। वहीं से प्रकरण में तेजी आई। इससे पहले भी कई बार डॉ. आभा सक्सेना के कूटरचित अभिलेख के जांच हेतु निवेदन किया गया, लेकिन कुछ अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों एवं वर्तमान प्राचार्य व प्रबंधक के सहयोग से जांच ठंडे बस्ते में चली गई थी।
इस प्रकरण में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी ने कॉलेज के प्राचार्य एवं प्रबंधक को पत्र लिखकर गोरखपुर विश्वविद्यालय के विभिन्न पत्रों का हवाला देते हुए, जिसे डॉ. श्वेता सिंह ने अपने शिकायती पत्र के साथ संलग्न किया है।डॉ आभा के मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन कार्यदिवस में समुचित कार्यवाही कर अवगत कराने को निर्देशित किया है।
       क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी वाराणसी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि यदि कॉलेज की प्रबंधक और प्राचार्य ने उक्त प्रकरण में विलंब किया तथा उसके कारण शासकीय धन की क्षति हुई तो इसका संपूर्ण उत्तरदायित्व महाविद्यालय के प्रबंधक और प्राचार्य का होगा।
अब देखना यह है कि अबकी इसका अंजाम क्या होता है, एक ओर डॉ. आभा सक्सेना की ऊंची पहुंच, प्रबंधक एवं प्राचार्य के साथ ही कुछ जन प्रतिनिधियों का खुलेआम संरक्षण है, तो दूसरी ओर योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति।प्राचार्य और प्रबंधक से इतना तगड़ा गठजोड़ है कि प्रो. आभा सक्सेना को अभी भी केंद्राध्यक्ष बनाया गया है। सवाल यह है कि जिसका खुद का अंकपत्र कूटरचित हो वह परीक्षा की शुचिता कैसे बरकरार रखेगा।

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