हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी पर मेडिकल कॉलेज, का महत्वपूर्ण शोध प्रकाशित
मेरठ। मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के चिकित्सकों द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण क्लीनिकल शोध प्रतिष्ठित Journal of Bone and Joint Diseases में प्रकाशित हुआ है।
यह अध्ययन हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी के दो प्रचलित सर्जिकल तरीकों—मॉडिफाइड हार्डिंज (एंटीरोलैटरल) अप्रोच और सदर्न (पोस्टेरियर) अप्रोच—के बाद मरीजों की कार्यात्मक क्षमता और चलने की प्रक्रिया (गेट मैकेनिक्स) की तुलनात्मक समीक्षा पर आधारित है। इस प्रॉस्पेक्टिव अध्ययन में कुल 40 मरीजों को शामिल किया गया। मरीजों का 6 और 9 माह के फॉलो-अप पर हैरिस हिप स्कोर, चाल की गति, कदमों की लंबाई, कैडेंस तथा हिप की मूवमेंट के आधार पर मूल्यांकन किया गया। उक़्त अध्ययन में पाया गया कि मॉडिफाइड हार्डिंज अप्रोच से ऑपरेट किए गए मरीजों में अपेक्षाकृत जल्दी कार्यात्मक सुधार, बेहतर चाल और अधिक स्थिरता देखने को मिली।
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक मेडिकल कॉलेज के उप प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष, ऑर्थोपेडिक्स विभाग डॉ ज्ञानेश्वर टाँक ने कहा, “इस अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि सर्जिकल अप्रोच का चयन हिप रिप्लेसमेंट के बाद मरीज की चाल और कार्यात्मक रिकवरी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।”अध्ययन के सह-लेखक डॉ. कृतेश मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर, ऑर्थोपेडिक्स विभाग ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल दर्द से राहत नहीं, बल्कि मरीज को सामान्य और आत्मविश्वासपूर्ण चाल में वापस लाना है। इस शोध से यह सिद्ध हुआ कि मॉडिफाइड हार्डिंज अप्रोच कार्यात्मक रूप से अधिक लाभकारी है।”प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने उपरोक्त उपलब्धि हेतु आर्थोपेडिक्स विभाग को बधाई दी।


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