अपराध और हिंसा

 कवलजीत सिंह 
दुनिया के देशों की पांच बड़ी चिंताओं में आज सबसे बड़ी चिंता अपराध और हिंसा होती जा रही है। दरअसल दुनिया के देशों के लोग आज सबसे अधिक अपराध और हिंसा से प्रताडित है। इसमें कोई दो राय नहीं कि अपराध और हिंसा आज वैश्विक समस्या बनती जा रही है।

 दुनिया के देशों में कहीं ना कहीं से प्रतिदिन अपराध और हिंसा की खबरें प्रमुखता से सामने आ रही है। जहां तक हिंसा का प्रष्न है उसके विषय में तो यह कहना ही पर्याप्त होगा कि जैसे कहावत है कि फलां के तो नाक पर ही गुस्सा बैठा रहता है, लगभग यह स्थिति आज के युवाओं में ही नहीं अपितु अधिकतर नागरिकों में होती जा रही है। जहां तक अपराध का प्रश्न है तो घरेलू हिंसा से लेकर संस्थागत हिंसा यानी की वर्ग विशेष द्वारा सामहिक योजनावद्ध हिंसा आम हो गई है। 



दुनिया के देशों में राजनीतिक अस्थिरता के चलते असंतोष के हालात, अन्य देशों में अवैध प्रवेष, अवैध निवास, शरणार्थिंयों की बड़ती भीड़ और हथियारों की सहज उपलब्धता के कारण हिंसा आम होती जा रही है। कई देशों में तो शरणार्थियों या विदेशी प्रवासियों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से हिंसा के हालात पैदा किया जा रहे हैं तो देशों के बीच युद्ध के हालातों के कारण भी हिंसा आम होती जा रही है।



 हिंसा का एक बड़ा कारण नई पीढ़ी में बढ़ता असंतोष है। जीवन शैली और रहन-सहन में बदलाव के कारण संवेदनशीलता और आपसी संबंध कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं। मानसिकता कुंठित होती जा रही है। गलाकाट प्रतिस्पर्धा के कारण स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का स्थान कुंठा, संत्रास और मानसिक तनाव लेता जा रहा है और यह गुस्से के रुप में सामने आता है और यही कारण है कि मामूली से गाड़ी टच होने या साइड नहीं देने तक के कारण सामान्य वाद-विवाद एक दूसरे की जान के प्यासे होने तक पहुंच जाता है। इसी तरह से अन्य देशों में शरणार्थी या अवैध निवास या अन्य कारणों से अब संगठित होकर माहौल खराब करना आम हो गया है। 

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