मेरठ में 1.50 लाख आवारा कुत्ते नगर निगम के पास प्लान नहीं
कोर्ट के आदेश पर अब तैयार करनी होगी नई रणनीति
मेरठ। मेरठ शहर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ने और गली-मोहल्लों और सार्वजनिक स्थलों पर झुंड में बैठे कुत्ते आए दिन महिलाओं, बच्चों और राहगीरों पर हमला कर रहे हैं। इससे लोगों में डर के साथ-साथ रैबीज जैसी जानलेवा बीमारी फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर समस्या पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश जारी किया है कि सार्वजनिक स्थलों से आवारा कुत्तों को हटाया जाए और उन्हें शेल्टर हाउस में स्थानांतरित किया जाए।
नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार, मेरठ शहर की सड़कों पर करीब 1.50 लाख आवारा कुत्ते हैं। फिलहाल परतापुर स्थित शंकर नगर में एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर में 130 और हापुड़ रोड तिरंगा गेट के पास नए कंट्रोल सेंटर में 200 कुत्तों को रखने की व्यवस्था है।
यहां कुत्तों की नसबंदी और एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाकर उन्हें वापस छोड़ने की योजना चल रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद अब इन कुत्तों को सार्वजनिक स्थलों से हटाना अनिवार्य हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नगर निगम के पास फिलहाल कुत्तों को रखने के लिए कोई शेल्टर हाउस नहीं है। निगम ने अब तक इसके लिए कोई ठोस योजना तैयार नहीं की है।
रैबीज का खतरा बढ़ा
जिला अस्पताल में रोजाना 120 से 130 लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं। वहीं, नगर निगम को रोज दस से अधिक शिकायतें कुत्तों के काटने की मिलती हैं। कई इलाकों में लोग आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान हैं, लेकिन निगम की ओर से कार्रवाई सीमित है। अधिकतर मामलों में निगम केवल नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को फिर से सड़कों पर छोड़ देता है।
नगर निगम करेगा नई प्लानिंग
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमर सिंह ने बताया कि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कराया जाएगा। सार्वजनिक स्थल से कुत्तों को हटाकर शेल्टर हाउस पहुंचाने का काम नगर निगम करेगा। फिलहाल निगम के पास शेल्टर हाउस नहीं है, इस पर नगर आयुक्त और उच्च अधिकारियों के साथ बैठक कर योजना तैयार की जाएगी।”


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