साहित्य और कला महोत्सव के दूसरे दिन रहा ज्ञान, विमर्श और सृजन का संगम

देहरादून।  द लिटरेरी टेबल द्वारा आयोजित “लिटरेचर एंड आर्ट्स फेस्टिवल” के दूसरे दिन की शुरुआत गणेश वंदना एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुई। दिन भर चले सत्रों में साहित्य, संस्कृति, महिला सशक्तिकरण और आधुनिक तकनीक पर गहन चर्चाएं हुईं।

पहले सत्र “बियॉन्ड द हाइप: प्रैक्टिकल एआई फॉर टुडे एंड टुमॉरो” में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के व्यावहारिक पहलुओं पर पैनल चर्चा हुई, जिसमें डॉ. प्रेम कश्यप, डॉ. संजीव बथला, मोना वर्मा और जुही खन्ना ने अपने विचार रखे।

दूसरा सत्र “अ टेल ऑफ टू फ्लेवर्स: द बिटरसवीट बैलेंस इन लव फॉर एप्रिकॉट्स” लेखिका मधुलिका लिडल पर केंद्रित रहा, जिसकी मॉडरेटर रूपा सोनी थीं। इसके बाद “फ्रॉम इंडिया टू भारत: रिक्लेमिंग सिविलाइजेशनल आइडेंटिटी” सत्र में दीपक वोहरा ने भारतीय सभ्यता की पहचान पर सारगर्भित वक्तव्य दिया।डॉ. अलोका दासगुप्ता नियोगी के सत्र “ब्रेकिंग द हश: अनअर्थिंग द लेगेसीज़ ऑफ इनहेरिटेड साइलेंस” ने समाज में दबी आवाज़ों को उजागर करने पर चिंतन किया

No comments:

Post a Comment

Popular Posts