गोल्डन थ्रो से लेकर आर्मी वर्दी तक

 लेफ्टिनेंट कर्नल बने नीरज चोपड़ा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया सम्मानित

 नयी दिल्ली।  भारत के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा को बुधवार को भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि से विभूषित किया गया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और थल सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी मौजूद रहे। समारोह के दौरान नीरज सेना की वर्दी में बेहद गौरवान्वित दिखे। यह सम्मान उन्हें खेल के क्षेत्र में देश के लिए अद्वितीय योगदान के लिए प्रदान किया गया।

एथलेटिक्स से नई ऊंचाइयों तक पहुंचने की कहानी

हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव के रहने वाले 27 वर्षीय नीरज चोपड़ा ने जिस समर्पण से भारत का नाम ऊंचा किया, वही जज्बा उन्हें इस नए सम्मान तक लेकर आया। नीरज ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में भाला फेंक में गोल्ड मेडल और पेरिस ओलंपिक 2024 में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचा। इनके चलते वे लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाले भारत के पहले एथलीट बने।

धोनी की तरह नीरज भी बने आर्मी ऑफिसर

इस मानद उपाधि से पहले नीरज भारतीय सेना में सूबेदार मेजर के पद पर थे। अब वे प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक से नवाजे गए हैं। दिलचस्प यह है कि नीरज से पहले 2011 में महान क्रिकेटर एमएस धोनी को भी यही सम्मान मिला था। इस तरह अब नीरज भारतीय खेलजगत के उन चुनिंदा चेहरों में शामिल हो गए हैं जिन्हें देश की सेना ने अपनी वर्दी पहनाने का गौरव दिया है।

राष्ट्रपति ने जारी की थी अधिसूचना

मई 2025 में रक्षा मंत्रालय के सैन्य मामलों के विभाग ने नीरज को मानद रैंक प्रदान करने की अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना में कहा गया था कि राष्ट्रपति द्वारा 'प्रादेशिक सेना विनियम 1948' के अंतर्गत दी गई शक्तियों के तहत हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव के पूर्व सूबेदार मेजर नीरज चोपड़ा (पीवीएसएम, पद्मश्री, वीएसएम) को 16 अप्रैल 2025 से प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद पद प्रदान किया जाता है। इस घोषणा के बाद बुधवार को औपचारिक समारोह में नीरज को यह उपाधि दी गई।

मौजूदा सत्र में प्रदर्शन रहा मिलाजुला

हालांकि नीरज के लिए यह खेल सत्र थोड़ा चुनौतीपूर्ण रहा। वे इस बार डायमंड लीग खिताब नहीं जीत पाए और विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक की रक्षा नहीं कर सके। उन्होंने 84.03 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो दर्ज किया, लेकिन अंतिम राउंड के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाए। बावजूद इसके, देशभर में नीरज का यह सैन्य सम्मान उनके संघर्ष, समर्पण और प्रेरणा की पहचान बन गया है।


No comments:

Post a Comment

Popular Posts