आत्मनिर्भरता जरूरी
इलमा अज़ीम
आहार में पौष्टिक तत्वों का कारक मानी जाने वाली दालें, बढ़ते दामों के कारण गरीब की शारीरिक जरूरत पूरी नहीं कर रही हैं। ये हालात मानसून के दौरान औसत से कम या ज्यादा बारिश होने से तो उत्पन्न होते ही हैं, किसान के नकदी फसलों की ओर रुख करने के कारण भी हुए हैं। दरअसल, पौष्टिक आहार देश के हरेक नागरिक के स्वस्थ जीवन से जुड़ा अहम प्रश्न है।
संविधान के मूलभूत अधिकारों में भोजन का अधिकार शामिल है। चूंकि दालें प्रोटीन और पाैष्टिकता का महत्वपूर्ण जरिया हैं, इसलिए इनके आयात होने के कारण इनके भाव भी बीच-बीच में बढ़ जाते हैं। इस कारण मध्यवर्गीय व्यक्ति की थाली से दाल गायब होने लगती है। चूंकि दाल व्यक्ति की सेहत से जुड़ी है और बीमारी की हालत में तो रोगी को केवल दाल-रोटी खाने की ही सलाह चिकित्सक देते हैं।
वर्ष 1951 में प्रतिव्यक्ति दालों की उपलब्धता 60 ग्राम थी, जो वर्ष 2010 में घटकर 34 ग्राम रह गई। जबकि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार यह मात्रा 80 ग्राम होनी चाहिए। दालें भारत में प्रोटीन का प्रमुख स्रोत मानी जाती हैं। लेकिन स्थानीय मांग पूरी करने के लिए दाल उत्पादन में किसान को बड़ी मेहनत करनी पड़ती है। देश में सबसे अधिक चने और अरहर की खेती होती है। इनके अलावा मूंग और उड़द दालें पैदा होती हैं। देश में 10 राज्यों के किसान दालों की खेती करते हैं। इनमें सबसे अधिक उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है।
दालें मुख्य रूप से खरीफ की फसल हैं, जो वर्षा ऋतु में बोई जाती हैं। इस ऋतु में करीब 70 प्रतिशत दालों का उत्पादन होता है। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार दालों के तात्कालिक भाव 85.42 रुपये प्रति किलो से लेकर 112.88 रुपए प्रति किलो तक हैं। भावों में इस उछाल का कारण जमाखोरी और सट्टेबाजी के साथ आयात का कुचक्र है। टाटा, महिंद्रा, ईजी-डे और रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियां जब से दाल के व्यापार से जुड़ी हैं, तब से ये जब चाहे तब मुनाफे के लिए दाल से खिलवाड़ करने लग जाती हैं। जब कंपनियां बड़ी तादाद में दालों का भंडारण कर लेती हैं, तो भावों में कृत्रिम उछाल आ जाता है।
हालांकि केंद्र सरकार ने दालों का भंडारण सितंबर 2024 से सीमित किया हुआ है। इस कारण भाव नियंत्रण में हैं। मौजूदा केंद्र सरकार ने 100 पिछड़े जिलों में दालों के उत्पादन का दायरा बढ़ाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। इस दिशा में जरूरी है कि देश आत्मनिर्भर बने।





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