पुतिन और दिल्ली शिखर सम्मेलन
इलमा अज़ीम
यूक्रेन के साथ युद्ध और अमेरिकी टैरिफ को लेकर दुनिया में जारी गतिरोध के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 5 दिसंबर को भारत आने की संभावना है। राष्ट्रपति पुतिन का दौरा ऐसे समय होने जा रहा है, जब अमेरिका रूस से तेल नहीं खरीदने के लिए भारत पर लगातार दबाव बना रहा है।
हालांकि, भारत-रूस संबंधों पर अमेरिकी दबाव और तेल आयात विवाद का असर नहीं पड़ा है। बहरहाल, पुतिन नई दिल्ली में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस दौरान पुतिन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत होने की उम्मीद है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि राष्ट्रपति पुतिन एक दिन के लिए भारत आएंगे या उनका दौरा दो दिनों का होगा।
भारत और रूस के बीच हर साल शिखर वार्ता होती है। अब तक दोनों देशों के बीच 22 वार्ताएं हो चुकी हैं। पिछले साल जुलाई में पीएम मोदी मॉस्को गए थे, जबकि पुतिन आखिरी बार 2021 में भारत आए थे। इस बार दोनों देशों का सैन्य और तकनीकी सहयोग पर विशेष ध्यान रहेगा। माना जा रहा है कि भारत रूस से अतिरिक्त एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली भी खरीद सकता है।
भारत ने 2018 में 5 यूनिट के लिए 5 अरब डॉलर का सौदा किया था, जिसमें तीन रेजिमेंट मिल चुकी हैं और बाकी दो अगले साल तक मिलने की उम्मीद है। रूस की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के हवाई हमलों को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई थी।
राष्ट्रपति पुतिन का दौरा ऐसे समय होने जा रहा है, जब अमेरिका रूस से तेल नहीं खरीदने के लिए भारत पर लगातार बना रहा है। हालांकि, भारत-रूस संबंधों पर अमेरिकी दबाव और तेल आयात विवाद का असर नहीं पड़ा है। मोदी और पुतिन की यह मुलाकात भारत-रूस की विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी।
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