तानाशाही से निपटने के लिए किसान एकता जरूरी- राकेश टिकैत 

 यूपी गेट पर हवन कर किया आंदोलन का आह्वान

गाजियाबाद। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि तानाशाही से निपटने के लिए किसानों में एकजुटता और आंदोलन जरूरी है। सरकार आंदोलन दबाने का प्रयास करती है, लेकिन हमें एक जुट होना है। राकेश टिकैत ने ये बातें यूपी गेट पर दो अक्टूबर को भाकियू के हवन में कहीं। इस दौरान गाजियाबाद और दिल्ली का भारी पुलिस बल तैनात रहा। साल 2018 में किसान क्रांति यात्रा को यूपी गेट पर ही दिल्ली पुलिस ने रोका था। किसान दिल्ली में महात्मा गांधी के समाधि स्थल पर जा रहे थे। तभी से हर साल दो अक्तूबर को इसकी याद में यूपी गेट पर भाकियू हवन करती है और क्रांति दिवस मनाती है।

गुरुवार को सुबह से ही यूपी गेट पर गाजियाबाद और दिल्ली पुलिस ने बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया था। साढ़े नौ बजे से किसान नेताओं का आना शुरू हुआ। यूपी गेट पर एनएच-नौ के नीचे कौशांबी से आने वाले मार्ग पर बैरिकेड लगाकर ढाई लेन से वाहनों को निकाला जा रहा था और ढाई लेन में किसान नेता दरी बिछाकर बैठ गए। साढ़े 10 बजे तक बड़ी संख्या में किसान नेता पहुंचे और हवन शुरू किया। हवन के बाद करीब 12 बजे राकेश टिकैत यूपी गेट पहुंचे। यहां कई किसान नेताओं ने भाषण दिया और फिर राकेश टिकैत ने कहा कि दमनकारी नीतियों से निपटने का एकमात्र साधन किसानों की एकता और आंदोलन है।

हमें हर घर से एक किसान आंदोलन के लिए चाहिए। उन्होंने नोएडा और मंडोला समेत कई जगहों पर किसानों की समस्या को लेकर आंदोलन किया था। आश्वासन भी दिया, लेकिन सरकार ने मांगे नहीं मानी। आंदोलन को दबाने के लिए प्रशासन तरह-तरह के हथकंडे अपनाता है, लेकिन हमें आंदोलन करना पड़ेगा। पैदल मार्च कर बैरिकेड गिरा दिए राकेश टिकैत ने किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि कभी-कभी तो ट्रैक्टरों को भी झटका दे देना चाहिए यानी चलाना चाहिए। वह बोले कि आंदोलन के लिए हर जिले में जगह चिह्नित कर दो।

गाजियाबाद में कलक्ट्रेट या पुलिस लाइन जाओ, यहां प्रदर्शन न करने दें तो यूपी गेट पर आ जाओ। अपने भाषण के बाद उन्होंने सैकड़ों नेताओं के साथ मार्च शुरू किया और दिल्ली में प्रवेश करते हुए दिल्ली के अंदर पुलिस के लगाए बैरिकेड को गिरा दिया। उसके बाद गोल चक्कर से लौटकर यूपी गेट पर आए और मार्च संपन्न होने के बाद राकेश टिकैत समेत सभी किसान अपने घर लौट गए।

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