अधीक्षण अभियंता को थप्पड मारने का जवाब 12 साल बाद धवस्तीकण से मिला
2013 व्यापारी दिवंगत विनोद अरोड़ा ने अधीक्षण अभियंता अरविंद कुमार को मारा मारा था थप्पड़
मेरठ। 35 सालों से सुर्खियों में रहे सेंट्रल मार्केट काम्पलैक्स संख्या 661/6 मामला यू ही नहीं ध्वस्तीकरण तक पहुंचा। इसकी पीछे की कहानी 2013 में उस वक्त शुरू हुई थी। जब आवास विकास के अधीक्षण अभीयंता अरविंद कुमार को भुखंड पर डाले जा रहे लैंटर को रूकवाने के लिए पहुंची आवास की टीम काे घेरते हुए इसी दौरान व्यापारी नेता ने अधीक्षण अभियंता को थप्पड़ मार दिया था। इस थप्पड़ की गुंज लखनऊ तक पहुंची थी। इस मामले में नौंचदी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए अवैध निर्माण को रूकवाने के लिए फोर्स मांगी गयी थी लेकिन उस समय फोर्स नहीं मिल पायी थी।
इसके पश्चात परिषद की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की गयी। दिसम्बर 2014 में हाइकोर्ट ने अवैध दुकानों के निर्माण को जिम्मेदार परिषद के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के साथ सभी अवैध निर्माण को दो माह के अंदर गिराने के आदेश जारी किए थे। अपने को घिरता देख व्यापारियों ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रूख करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दी । जिस पर व्यापारियों को स्टे मिल गया। इसके दस साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसम्बर 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए काम्पलैक्स संख्या 661/6और इस जैसे सभी अवैध निर्माण को ध्वस्त करने के आदेश दिए।
आरटीआई ने ध्वस्तीकरण ने निभाई अहम भूमिका
शास्त्री नगर सैंट्रल मार्केट ध्वस्तीकरण के मामले में आरटीआई लोकेश खुराना ने अहम रोल अदा किया। वर्ष 2012 में आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश खुराना ने आवास एवं विकास परिषद से सैंट्रल मार्केट की वैधता के बारे में जानकारी ली थी। जिस पर आवास की ओर से बताया गया था कि शास्त्री नगर मार्केट नाम से कोई मार्केट नहीं है। इसके पश्चात लोकेश खुराना ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। परिषद टीम 661/6 मे चल रहे निर्माण को रोकने गई तो व्यापारियों ओर परिषद अधिकारियों के बीच मारपीट हो गयी थी। इसके बाद परिषद ने भी हाईकोर्ट का सहारा लिया था। 5 दिसम्बर 2014 को हाईकोर्ट ने उक्त भवन को ध्वस्त करने के आदेश जारी किए थे।

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