कान्हा उपवन मामले में सीएम खफा
गिर सकती है अधिकारियों पर गाज
मेरठ।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दो दिवसीय दौरे में दौरान सीएम ने कान्हा उपवन में मारे गये पशुओं पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने मेयर व डीएम व नगरायुक्त को हर सप्ताह वहां का निरीक्षण करने के लिए निर्देश दिए है। सीएम के हाॅवभाव बता रहे है। लखनऊ में पहुंचने के बाद इस मामले में नगर के अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
बता दें परतापुर स्थित सरकारी कान्हा उपवन में गोवंश की दर्दनाक मौत हो गयी थी। मामला उस समय तूल पकड़ा जब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडिया वायरल होते ही जनप्रतिनिधियों ने कान्हा उपवन का दौर किया तो वहां की स्थिति दयनीय मिली। भूख से मरे गाेवंशों को लेकर लेकर भाजपा पार्षदों ने नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी जिम्मेदारों पर भड़क उठे।डॉ. वाजपेयी गोवंशों की देखरेख करने वाले अफसरों पर जमकर भड़के और दोषी कर्मचारी-अधिकारियों को जेल भिजवाने तक की बात कही। महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने भी गोशाला का निरीक्षण किया। अनियमितताएं मिलने पर नाराजगी जताई।भाजपा पार्षद संदीप रेवड़ी, कुलदीप वाल्मीकि और दिग्विजय सिंह समेत अन्य लोगों ने नगर आयुक्त से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जताई। नगर आयुक्त ने एडीएम सिटी और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी की जांच रिपोर्ट भी तीनों पार्षदों को दिखाई । नगर आयुक्त ने पार्षदों का आश्वासन दिया कि कांवड़ यात्रा संपन्न होने यानी 25 जुलाई के बाद गोशाला में लापरवाही करने वालों अफसरों पर बड़ी कार्रवाई करूंगा।
निगम अफसरों का दावा था कि गोशाला में 2547 गोवंश हैं। राज्यसभा सदस्य ने पांच कार्यकर्ताओं को गोवंश की गिनती कराने में लगा दिया। टीनशेड में चार अलग-अलग जगह गोवंश थे, जहां पर उनके बैठने की जगह तक नहीं थी। उनकी गिनती तक नहीं हो सकी। डॉ. वाजपेयी ने फीता मंगाया और नापतोल शुरू कर दी। 9687 फीट जगह में कुल 150 पशु ही बांधे जा सकते हैं, लेकिन उसमें 340 गोवंश बंधे थे। उन तक कैसे चारा और पानी पहुंचता है, इसका जवाब निगम अफसर नहीं दे सके। गोशाला के बजट से लेकर अनुदान तक की जानकारी ली। इसी दौरान एक गोवंश ने बछड़े को जन्म दिया। गोवंशों की संख्या ज्यादा होने के चलते गाय और बछड़े की देखरेख न होने पर डॉ. वाजपेयी ने नाराजगी जताई।
प्रभारी मंत्री धमपाल सिंह कांवड़ यात्रा के दौरान जनप्रतिधियोें व मंडलायुक्त ,डीएम व नगरायुक्त के साथ कान्हा उपवन पहुंचे तो वहां की हालात देख कर कड़ी नाराजगी जताते हुए संबधित अधिकरियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिय। जिस पर नगर स्वासथ्य अधिकारी को वहां हटा दिया गया। डा गजेन्द्र सिंह काे सीएमओ कार्यालय भेजा गया। डा गजेन्द्र के स्थान पर सीएचसी परीक्षितगढ़ डा अमर सिंह को नगर स्वास्थ्य अधिकारी की जिम्मेदारी गयी। बाद में तत्कालीन नगर स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा किया गया। जिस पर उनकी गिरफ्तारी हुई। वहां पर दो और गोवंश की बीमारी के चलते मौत हो गयी। कुल मिलाकर कहा सकता है इस मामले में नगर निगम के अधिकारियों की गर्दन फंसती दिखाई दे रही है। अब देखना यह है कि गाज किस पर गिरती है।
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