अमरीकी दादागिरी का कड़ा जवाब

- डा. वरिंदर भाटिया
अमेरिका भारत के खिलाफ टैरिफ वॉर के जरिये दादागिरी दिखाने की कोशिश कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया है। इसका मतलब है कि अब भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लग गया। डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ वाले आदेश पर दस्तखत भी कर दिए हैं। यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा, जबकि पहला 25 फीसदी वाला टैरिफ 7 अगस्त से लागू होगा। अब सवाल है कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ बम क्यों फोड़ा, आखिर उनकी क्या मजबूरी है, इसका भारत पर क्या असर होगा और अब भारत का अगला कदम क्या होगा? सबसे पहले जानते हैं कि अमेरिका ने अभी क्या किया है। डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि भारत अपने दोस्त रूस से यारी खत्म करे। उससे तेल न खरीदे। इसके लिए अमेरिका ने प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा लिया है। यही वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से होने वाले आयात पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाने का आदेश जारी किया। इस फैसले के पीछे भारत की ओर से रूस से तेल खरीद जारी रखना बताया गया है।


वाइट हाउस का कहना है कि यह कदम यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को और प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया है। सत्य यह है कि अमेरिका अपनी शर्तों पर भारत के साथ ट्रेड डील चाहता है। वहीं, भारत अपने छोटे किसानों के हितों के लिए अमेरिका के मनमाने को ट्रेड डील को मानने को तैयार नहीं है। भारत नहीं चाहता कि ऐसे किसी ट्रेड डील से भारत के छोटे किसानों और कारोबारियों को घाटा हो। इसी प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत डोनाल्ड ट्रंप बार-बार टैरिफ की धमकी से भारत को मजबूर करना चाहते हैं। यही वजह है कि पहले उन्होंने 25 फीसदी का टैरिफ लगाया था। अब उन्होंने इसे बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया। डोनाल्ड ट्रंप जब से सत्ता में आए हैं, वह रूस-यूक्रेन जंग को खत्म कराने की जद्दोजहद में लगे हैं। वह हर कोशिश कर चुके हैं, मगर सफलता नहीं मिली। ऐसे में मजबूरी में उन्होंने रूस को तोडऩे के लिए भारत को अपना हथियार बनाया है। यह जगजाहिर है कि भारत अपने दोस्त रूस से तेल खरीदता है। ट्रंप का मानना है कि तेल से होने वाली कमाई का इस्तेमाल रूस युद्ध में कर रहा है। यही वजह है कि ट्रंप को लगता है कि अगर रूस से भारत तेल नहीं खरीदेगा तो उसकी कमर टूट जाएगी और पुतिन युद्ध में सरेंडर कर देंगे। मगर हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। भारत साफ कर चुका है कि वह अपनी जरूरतों के हिसाब से रूस से तेल खरीदता है। डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ पर भारत ने कहा कि अमेरिका का यह कदम अनुचित, अविवेकपूर्ण और तर्कहीन है। अमेरिका के इस कदम का असर भारत की अर्थ व्यवस्था पर व्यापक तौर पर पडऩे की संभावना है। 50 फीसदी टैरिफ का असर कपड़ा, समुद्री उत्पाद और चमड़ा निर्यात जैसे क्षेत्रों पर बुरा असर पडऩे की आशंका है। जिन क्षेत्रों को इन शुल्कों से नुकसान होगा, उनमें कपड़ा/परिधान, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, पशु उत्पाद, रसायन, बिजली और यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं। निर्यातकों के अनुसार, इस कदम से अमेरिका को भारत के 86 अरब डॉलर के निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा।

दवा, ऊर्जा उत्पादों (कच्चा तेल, परिष्कृत ईंधन, प्राकृतिक गैस, कोयला और बिजली) महत्वपूर्ण खनिज और इलेक्ट्रॉनिक्स इत्यादि की एक विस्तृत श्रृंखला पर ये टैरिफ लागू नहीं होंगे। अमेरिका ने जिन देशों पर टैरिफ लगाए हैं, उनमें सबसे अधिक भारत और ब्राजील पर ही हैं। जी हां, भारत और ब्राजील 50 फीसदी टैरिफ वाले देशों की कैटेगरी में हैं। अमेरिका ने म्यांमार पर 40 प्रतिशत, थाईलैंड और कंबोडिया पर 36 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 35 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत, चीन और श्रीलंका पर 30 प्रतिशत, मलेशिया पर 25 प्रतिशत, फिलीपींस और वियतनाम पर 20 प्रतिशत टैरिफ यानी शुल्क लगाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस को तोडऩे के चक्कर में भारत से पुठपंगा ले रहे हैं। वैसे भी ट्रंप की यह चाल भारत पर अपनी दादागिरी का दबाव बनाने की ही है। भारत इससे कैसे निपटे यह अब अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। भारत के पास अभी वक्त व कुछ विकल्प हैं। भारत अब ट्रेड डील पर अमेरिका से बातचीत कर सकता है और इस टैरिफ को कम करवा सकता है। 21 दिनों की मोहलत में भारत और अमेरिका आपस में बातचीत करके बीच का रास्ता निकाल सकते हैं। दूसरा विकल्प यह होगा कि भारत इसे विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ में इस टैरिफ को चुनौती दे। तीसरा विकल्प राजनीतिक है। भारत को अब रूस और चीन के साथ मिलकर अपनी तिकड़ी को मजबूत करना चाहिए। रूस हमारा आजमाया हुआ दोस्त है और चीन के साथ हमारी सांस्कृतिक सांझ है। वैसे भी चीन अमेरिका का विरोधी है और विरोधी का विरोधी दोस्त होता है। ताजा हालात यह है कि अमेरिका के टैरिफ के जवाब में भारत ने भी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। माना जा रहा है कि भारत भी अमेरिका से आने वाले सामान पर समान टैक्स लगा सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने के बाद इस बात को लेकर काफी चर्चा हो रही थी कि भारत क्या कदम उठाएगा। अब भारत ने अमेरिका से बदला लेने का प्लान बना लिया है। भारत, अमेरिका से आने वाले कुछ सामानों पर टैक्स लगाने की तैयारी कर रहा है। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है क्योंकि अमेरिका ने भारत से आने वाले स्टील और एल्यूमीनियम पर 50 फीसदी तक ड्यूटी बढ़ा दी है। क्या सरकार इस मामले पर गंभीरता से विचार कर रही है। अगर भारत सरकार इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देती है, तो यह अमेरिका के खिलाफ पहला बड़ा कदम होगा। ट्रंप ने 31 जुलाई को भारत से आने वाले सभी सामानों पर 25 फीसदी टैक्स लगा दिया था। इसके बाद 6 अगस्त को रूस से तेल खरीदने के कारण भी अमेरिका ने भारत पर कुछ पाबंदियां लगाईं और टैरिफ को बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया था। स्टील और एल्यूमीनियम पर टैक्स का विवाद फरवरी से चल रहा है। तब ट्रंप सरकार ने इन धातुओं पर 25 फीसदी टैक्स लगाया था। जून में, इस टैक्स को बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया। इससे भारत के लगभग 7.6 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ा है। 


अमेरिका भारत की चिंताओं को बातचीत से हल करने को तैयार नहीं है। इसलिए भारत के पास जवाबी कार्रवाई करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है। भारत, अमेरिका से आने वाले कुछ सामानों पर उतना ही टैक्स लगाएगा, जितना नुकसान अमेरिका ने भारत को पहुंचाया है। भारत को अमेरिका की एकतरफा और गलत हरकतों का जवाब देने का पूरा अधिकार है। अगर भारत जवाबी कार्रवाई करता है तो व्यापार का यह अंतर और भी बढ़ सकता है। यह ही अमेरिकी दादागिरी का ठोकू जवाब है।

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