हाईकोर्ट बेंच की मांग ही नहीं आवश्यकता भी  है - डा. लक्ष्मी कांत वाजपेयी 

मेरठ में हाइकोर्ट बेंच की मांग के लिए राज्यसभा सांसद ने न्याय मंत्री को लिखा पत्र 

 मेरठ। मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग तेज हो गयी है। जहां अधिवक्ता आंदोलनरत है वही जनप्रतिनिधियों ने इसकी  आवाज को उठाना आरंभ कर दिया है। राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मी कांत वाजपेयी ने न्याय मंत्री  को पत्र भेजते हुए वेस्ट यूपी में उच्च न्यायालय की खंडपीठ की मांग की है। इससे पूर्व सांसद अरूण गोविल भी सांसद में हाईकोर्ट बेंच की मांग उठा चुके है। 

 राज्य सभा सांसद डा. वाजपेयी ने पत्र में लिखा है वेस्ट यूपी की जनता को सस्ता व सुलभ न्याय और वादकारी का हित सर्वोच्च के हिसाब से खंडपीठ की बहुत पुरानी मांग है। अब यह मांग ही नहीं आवश्यकता भी है। ई फाइलिंग सैंटर की व्यवस्था भारत सरकार ने दी  लेकिन उसका उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय ने लागू करने का आदेश देकर एक सप्ताह के बाद उसकाे kept in abeyance में रखने का काम किया ,यानी लागू नहीं किया। महत्वपूर्ण प्रश्य यह है  कि क्या मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय का कोर्ट रूप दिया गया आदेश 15 मार्च 24 को कोई उच्च न्यायालय क्या प्रशासनिक आदेश से kept in abeyance लंबे समय तक रख सकता है। 

उन्होंने बताया कि भारत के मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच ने 6 अक्टूबर 2023 केा अपने महत्वपूर्ण फैसले में यह कहा कि after a lapse week from the date of this order ,noHigh court shall deny access to video confrencing facilities or hearing through the hybrid mode to any member of the bar or litigant desirous of availing od such a facility,( सर्वेश माथुर )v/s रजिस्ट्रार जनरल पंजाब एंड हरियाण ,रिट पिटीशन ( क्रिमिनल न.351/23के पृष्ठ संख्या -7 बिंदु संख्या 14 /1का अंश)

 उस क्रम में यूपी हाईकार्ट  के रजिस्ट्रार जनरल ने अपने आदेश संख्या अक्बूटर 3537 18 अगस्त 2023 में सभी जिला न्यायालयों को उपरोक्त व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया ।उपरोक्त क्रम में राज मंगल सिंह यादव नाेडल अधिकारी जनपद न्यायालय मेरठ ने 25 अगस्त  2023 के अपने पत्र में जिलाध्यक्ष बार एसो. मेरठ को सूचित किया कि 1 नवम्बर  2023 से ई फाइलिंग व्यवस्था को प्रारंभ किया जा रहा है। लेकिन अचानक रजिस्ट्रार जनरल उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अपने पिछले आदेश को स्थगित करने के निर्देश दिये।

 अचानक महाराष्ट्र सरकार ने मुबंई उच्च न्यायालय की 5 वीं पीठ और महाराष्ट्र की चौथी पीठ काेल्हापुर देने का आदेश एक अगस्त को जारी किया। 18 अगस्त से उसे लागू करने का आदेश है। 

 उन्होंने कहा है तब स्वभाविक है कि वेस्ट यूपी के वादकारी व अधिवक्ता एक बार पुन: अपनी मांग पर भारत सरकार के मांग कर रहे है। 

 डा वाजपेयी ने महाराष्ट, व यूपी की तुलना करते हुए बताया कि  महाराष्ट्र में 94 न्यायधीश है जबकि यूपी में 160 न्यायधीश है।  यह बताया महाराष्ट्र में प्रति न्यायधीश 13.3 लाख जनसंख्या का औसत है जबकि यूपी में प्रति न्यायधीश का औसत 19.4 जनसंख्या है। यूपी में हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों का औसत11.34 वर्ष है । जबकि महाराष्ट जिला न्यायालयों में 4.1 वर्ष है। जबकि यूपी में यह 6.2 वर्ष है।  


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