शोभित विवि बना रहा है इंजीनियरिंग छात्रों को ‘एआई-फ्रेंडली’, भविष्य की तकनीक के लिए कर रहा तैयार 

मेरठ।  शोभित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी) का स्कूल ऑफ कम्प्यूटेशनल साइंसेज एंड इंजीनियरिंग लगातार अपने छात्रों को भविष्य की तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार कर रहा है। इसी कड़ी में  "क्रिएटिव एआई टूल्स" विषय पर एक नवोन्मेषी और व्यवहारिक कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला का उद्देश्य इंजीनियरिंग छात्रों को 40 से अधिक उन्नत एआई टूल्स का व्यावहारिक प्रशिक्षण देना था, ताकि वे इन्हें अपने अकादमिक प्रोजेक्ट्स, शोध कार्यों और आने वाले पेशेवर जीवन में प्रभावी ढंग से एकीकृत कर सकें। यह पहल विश्वविद्यालय की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है जिसके तहत वह छात्रों को एआई-फ्रेंडली लर्निंग एनवायरनमेंट प्रदान कर रहा है और उन्हें ग्लोबल इंडस्ट्री की अपेक्षाओं के अनुरूप कौशल दे रहा है।



छात्रों ने कार्यशाला में चैट जीपीटी, रेप्लिट एआई, गामा एआई, मर्लिन एआई, वार्प एआई, नैचुरल रीडर, व्हाइटबोर्ड एआई, चैट पीडीएफ एआई, गूगल जेमिनी, पर्पलेक्सिटी एआई जैसे प्रसिद्ध टूल्स के साथ-साथ कई अन्य नवाचारपूर्ण एआई समाधानों का उपयोग सीखा। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें यह भी समझाया गया कि इन टूल्स का उपयोग करके वे कैसे अपनी उत्पादकता, रचनात्मकता, समस्या-समाधान क्षमता और नवाचार कौशल को नई ऊँचाइयों तक पहुँचा सकते हैं।

स्कूल ऑफ कम्प्यूटेशनल साइंसेज एंड इंजीनियरिंग की निदेशिका प्रोफेसर (डॉ.) निधि त्यागी ने छात्रों को संदेश देते हुए कहा कि, “एआई के बदलते परिदृश्य में खुद को अपडेट रखना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इस तरह की कार्यशालाएँ छात्रों को न केवल तकनीकी रूप से मजबूत बनाती हैं, बल्कि उन्हें उद्योग की मांगों के अनुरूप भी तैयार करती हैं।”

इस आयोजन के समन्वयक सहायक प्रोफेसर श्री अभिनव पाठक ने छात्रों को विभिन्न एआई टूल्स के वास्तविक जीवन में उपयोग और करियर संभावनाओं के बारे में विस्तार से मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि, “जब छात्र इन एआई टूल्स का नियमित और सहज रूप से उपयोग करना सीख जाते हैं, तो यह आने वाले समय में उनके प्लेसमेंट के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगा। विश्वविद्यालय निकट भविष्य में कई कैंपस प्लेसमेंट ड्राइव आयोजित करने की योजना बना रहा है, और इस संदर्भ में ये टूल्स छात्रों के लिए एक मजबूत हथियार की तरह काम करेंगे।”कार्यक्रम की सफलता में राजेश पांडेय, विजय माहेश्वरी, राजीव कुमार, निमरा मिर्जा एवं अन्य संकाय सदस्यों का विशेष योगदान रहा।


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