शिकायत पर सीबीआई की टीम ने की छापेमारी
प्राइवेट अस्पताल की कमियां बता कर मांगी थी 50 लाख रूपये की रिश्वत
सीबीआई की 12 घंटे तक चली लंबी कार्रवाई
मेरठ। सरकारी विभागों से भ्रष्ट्राचार समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। सीबीआई ने रिश्वतखोरी मामले में मेरठ के सूरज कुंड स्थित सीजीएचएस के कार्यालय में छापा मारकर एडिशनल डायरेक्टर डा. अजय कुमार, कार्यालय अधीक्षक लवेश साेलंकी व एक प्राइवेट व्यक्ति रईस अहमद को पांच लाख रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने आरोपियों के विभिन्न ठिकानों ,प्रतिष्ठानों पर भी छापेमारी की है। सुबह होने तक जांच जारी है। दोनो अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। जानकारी मिली है सीबीआई को एडिशनल डायरेक्टर के घर से तीस लाख की नकदी जेवर मिले है। गाजियाबाद की सीबीआई थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है ।
दरअसल हाईफिल्ड स्पेशलिटी हास्पिटल और रोहटा रोड स्थित जेएमसी मेडिसिटी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मालिक विशाल सलोनिया ने सीबीआई से शिकायत की थी। विशाल ने बताया कि 8 जुलाई को सीजीएचएस के एडिशनल डॉयरेक्टर अजय कुमार, ऑफिस सुपरिटेंडेट लवेश सोलंकी जेएमसी मेडिसिटी हॉस्पिटल और हाईफिल्ड स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निरीक्षण करने पहुंचे थे। दोनों हॉस्पिटलों में कमियां बताकर सीजीएचएस का पैनल निलंबन के लिए अधिकारिक नोटिस जारी कर दिया।विशाल ने बताया दोनों अधिकारियों ने सीजीएचएस पैनल बनाए रखने के लिए 50 लाख की मांग की। रुपए नहीं देने पर जेएससी मेडिसिटी हॉस्पिटल का सीजीएचएस पैनल निलंबित कर दिया। फिर वह सीजीएचएस ऑफिस गया और वहां अजय कुमार और लवेश सोलंकी से मिला।उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही 50 लाख नहीं दिए तो दूसरे हॉस्पिटल हाईफिल्ड का भी सीजीएचएस पैनल निरस्त कर देंगे। ये पूरी बातचीत मोबाइल में रिकॉर्ड कर ली। इसके बाद 9 अगस्त को सीबीआई के दिल्ली ऑफिस में संपर्क करके शिकायत की।
शिकायत की पुष्टि के बाद CBI गाजियाबाद की टीम मंगलवार शाम करीब 4 बजे सूरजकुंड हंस चौराहे के पास स्थित सीजीएचएस डिस्पेंसरी पर पहुंची। दिल्ली नंबर की दो गाड़ियों में करीब 8 से 10 लोग थे। एडिशनल डायरेक्टर और ओएस को उन्होंने एक कमरे में बैठा लिया और उनसे पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया।सीजीएचएस की सूरजकुंड स्थित जिस डिस्पेंसरी पर सीबीआई ने रेड डाली, वह सुबह 8 बजे खुलकर दोपहर में 2 तक बंद हो जाती है। जब CBI टीम ने रेड डाली उस समय डिस्पेंसरी बंद हो चुकी थी और अधिकांश सभी स्टाफ जा चुका था। इसके बाद गार्ड व कुछ और लोग ही डिस्पेंसरी में शाम तक रुकते हैं।
इस पर सीबीआई ने अपना जाल फैला दिया। योजना के अनुसार अस्पताल संचालक कैमिकल लगे पांच लाख रूपये लेकर सूरज कुंड स्थित सीजीएचएस कार्यालय पहुंचा । जैसे ही उसने रूपये निकाल कर दिये । तभी सीबीआई ने धावा बोलते हुए एडिशनल डायरेक्टर ,कार्यालय अधीक्षक व निजी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों को छापे की भनक काफी देर बाद लगी। इस दौरान गिरफ्तारी के डर से विभाग के अन्य कर्मचारी वहां से भाग निकले। सभी ने अपने मोबाइल को बंद कर लिया। हॉस्पिटल के संचालक विशाल सलोनिया ने बताया वह एडिशनल डायरेक्टर और ऑफिस सुपरिंटेंडेंट से फोन पर टच में था। उन लोगों ने उसे शाम 4 बजे ऑफिस बुलाया था। मैं रुपए लेकर पहुंचा तो एडिशनल डायरेक्टर ने मुझे लवेश सोलंकी के पास भेज दिया। और लवेश से बोले- अगर पूरे रुपए यानी 50 लाख रुपए लाए हों तो इनका काम कर दो। मैंने वहां 5 लाख रुपए दिए। कहा अभी इतना रखिए और रुपए की व्यवस्था थोड़ी देर में करता हूं। इतने में सीबीआई की टीम पहुंच गई और दोनों को रंगे हाथ रुपए के साथ पकड़ लिया। सीबीआई द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने पर दोनो की हवाईयां उड़ गयी। करीब 12 घंटे तक कार्रवाई चली। तड़के 4 बजे तक सीबीआई टीम डिस्पेंसरी में डटी रही। इसके बाद टीम ने उन्हें अलग-अलग जगहों पर ले गई। बुधवार सुबह 11 बजे टीम वापस लौट गई। एडिशनल डायरेक्टर हेल्थ डा. अजय कुमार और ऑफिस सुपरिंटेंडेंट लवेश सोलंकी को हिरासत में ले लिया।
दोनों परिवारों व रिश्तेदारों में मची खलबली
छापेमारी के बाद रात में कुछ और लोग डिस्पेंसरी पहुंचे हैं जिनके हाथ में कुछ बैग भी देखे गए हैं। सभी को मीडिया से दूर रखा गया है। सीबीआई अधिकारी मीडिया से बचते हुए नजर आए। डॉ. अजय कुमार और लवेश सोलंकी के ट्रैप होने के बाद जब परिजनों को सूचना दी गई तो उनमें खलबली मच गई। दोनों के परिवार के लोगों का पहुंचना वहां सूरजकुंड डिस्पेंसरी पर शुरू हो गया। रात में भी डॉ. अजय के कई रिश्तेदार डिस्पेंसरी पहुंचे लेकिन सीबीआई टीम ने किसी को उनसे मिलने नहीं दिया। घर से खाना मंगाकर खिलाया गया।
पल्लवपुरम पहुंची सीबीआई की टीम
सीबीआई के सूरज कुंड छापेमारी के बाद सीबीआई टीम एडिशनल डायरेक्टर के पल्लवपुरम स्थित आवास पर पहुंची। वहां पर टीम ने बैंक से संबधित जानकारी , कागजातों की व जांच पड़ताल की। इस दौरान किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया। वही कार्यालय अधीक्षक के शास्त्री नगर अंसल कालोनी के पास स्थित आवास पर सीबीआई की टीम ने छापेमारी कर दस्तावेज को खंगाला गया। सीबाीआई की छापेमारी से पेूरे दिन सीजीएचएस की डिस्पेंसरियों में हड़कप मचा रहा।
निरीक्षण के नाम पर चल रहा बड़ा खेल
सीजीएचएच में ज्यादातर सरकारी कर्मचारियों व उनके परिवारों का उपचार किया जाता है। गंभीर बीमारी होने पर सीजीएचएस के चिकित्सक मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती कराते है। मरीज के उपचार में हुूए खर्चे का भुगतान बिल मिलने के बाद सीजीएचएस की ओर से भुगतान किया जाता है। पूर्व में भी एक ऐसा मामला दर्ज किया गया था। दरअसल सीजीएचएस स्कीम के पैनल में शामिल होने करने के लिए रिश्वत ली जाती है। पैनल में बने रहने के लिए यह खेल किया जा रहा है।
सीजीएचएस के अंतर्गत आते है शहर के 40 से अधिक अस्पताल
मेरठ की बात करे तो सीजीएचएस के अंतर्गत चालीस से अधिक प्रावइवेट अस्पताल आते है।जो सीजीएचएस के पैनल में है। कई इसमें शहर के नामी गिरामी अस्पताल भी शामिलहै। जिसमें लोकप्रिय, न्यूटिमा, आंनद हॉस्पिटल ,सुशीला जसवंत राय , मैट्रो हार्ट अस्पताल , भाग्य श्री आदि अस्पताल शामिलहै। इन अस्पतालों के अंदर केन्द्रीय सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों व उनके परिवारों के सदस्यों का उपचार किया जाता है। जिसमें सीडीए, इनकम टैक्स, पोस्ट एडं टेलिग्राफ , दूस संचार विभाग , व सीजीएचएच के सेवा निवृत कर्मचारी , वर्तमान में कार्य कर रहे कर्मचारी व चिकित्सक शामिल हे।
ये होता है खेल
मेरठ में सीजीएसएच की शास्त्रीनगर, लेखानगर , आबुलेन, श्रद्धापुरी, आर्दश नगर और सूरज कुंड पर डिस्पेंसरी कार्य कर रही है। जिसमें से सूरज कुंड वाली डिस्पेंसरी पर मरीजों की शुगरख् ब्लड, पेशाब थूक की जांच होती है।आबूलेन वाली डिस्पेंसरी में एलोपैथिक के साथ आयुर्वेद की दवाई भी दी जाती है। जबकि आर्दश नगर वाली डिस्पेंसरी में होम्योपैथिक की दवा भी दी जाती है। इसके बाद होता असली खेल मामूली गंभीर मरीजों को एक सप्ताह में घर वापस चले जाना चाहिए उन्हें 15 से बीस तक अस्पताल में भर्ती रखा जाता है। सीजीएचएस से पैनल में हाेने के कारण निजी अस्पताल भारी भरकम बिल बना कर सीजीएचएस को भेज देते है।
सामान्य लोगों को मरीज बताकर खेला जा रहा खेल
सीजीएचएस विभाग से पूर्व रिटायर एक अधिकारी ने बताया पैनल में अंतर्गत आने वाले निजी अस्पताल में सामान्य मरीज बता कर निजी अस्पताल में भर्ती करा उसका फोटाे चिकित्सक के साथ खिंचवाकर चलता कर दिया जाता है। उसके बाद मरीज के नाम पर अस्पताल में रूम का किराया , जांच , दवा के नाम पर बिल बनाकर सीजीएचएस को भेजा जाता हे। इसमे कुछ हिस्सा भर्ती मरीज को देकर सीजीएचएस व निजी अस्पताल बंदरबाट होती है। जांच में ेऐसे कई मामले आए है।
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