गंगा का उफान, हस्तिनापुर के कई गांव डूबे
न बिजली न राशन, रक्षाबंधन के त्योहार पर ग्रामीणों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त
मेरठ । खादर क्षेत्र में गंगा का उफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। क्षेत्र के कई गांव बाढ़ के पानी में डूब गए हैं। इससे ग्रामीणों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।चारों तरफ पानी ही पानी है। गलियों से लेकर आंगन तक गंदा पानी भरा हुआ है। बिजली सप्लाई ठप है। खाने-पीने का राशन खत्म हो रहा है। बीमारियां दरवाज़े तक दस्तक दे चुकी हैं।
गांवों में फंसे लोग दिन-रात चिंता में हैं। महिलाएं चूल्हा नहीं जला पा रहीं। बच्चे भूखे सोने को मजबूर हैं। बुजुर्ग दवाइयों के बिना तड़प रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि बाढ़ के इस संकट में न कोई सरकारी अफसर गांव में आया, न ही कोई डॉक्टर।एक बुजुर्ग किसान ने कहा, "जहां-जहां पानी भरा है, वहां हम अपने दम पर जी रहे हैं। प्रशासन सिर्फ कागज़ों में राहत दे रहा है।"कल रक्षाबंधन है, लेकिन गांव में त्योहार का माहौल कहीं नहीं दिख रहा। बहनों का कहना है कि चारों ओर पानी भरा है। सड़कों का नामोनिशान मिट चुका है। ऐसे में भाइयों तक पहुंचना नामुमकिन है।भारतीय किसान संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष नवनीत चौहान ने बाढ़ग्रस्त गांवों का दौरा किया। उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात कर उनकी परेशानियां सुनीं। उन्होंने बताया कि बाढ़ से किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं।
चौहान ने कहा, "धान, गन्ना और सब्जियों की फसलें पानी में गल रही हैं। किसानों के पास अब जीवनयापन का कोई साधन नहीं बचा।"ग्रामीणों ने बताया कि कई घरों में सांप और जहरीले कीड़े-मकोड़े घुस गए हैं। मवेशियों के लिए चारे का संकट गहराता जा रहा है। लोग नाव या अस्थायी बेड़ों से ही एक-दूसरे तक पहुंच पा रहे हैं। गांववासियों की मांग है कि प्रशासन तुरंत राहत सामग्री, राशन, पीने का साफ पानी और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराए। फिलहाल, गंगा का जलस्तर घटने के आसार नज़र नहीं आ रहे हैं।
No comments:
Post a Comment