उप गन्ना आयुक्त मेरठ द्वारा बाढ़ से प्रभावित गन्ना क्षेत्रों का किया गया स्थलीय निरीक्षण
निरीक्षण में दुधली खादर, बस्तौरा, पहाड़पुर, मकदुमपुर, जलालपुर सहित अनेक गांवों में जलमग्न गन्ना फसलें पाई गईं
स्थलीय निरीक्षण कर गन्ना किसानों को प्रदान की गई तकनीकी सलाह
मेरठ। मेरठ परिक्षेत्र के उप गन्ना आयुक्त राजीव राय द्वारा बाढ़ से प्रभावित गन्ना क्षेत्रों की वास्तविक स्थिति का आंकलन एवं किसानों को तकनीकी सहयोग प्रदान करने हेतु त्वरित कार्यवाही करते हुए जिला गन्ना अधिकारी मेरठ, सम्भागीय विख्यापन अधिकारी, मेरठ, सम्बंधितएस.सी.डी.आई., सचिव, तथा मवाना एवं टिकौला चीनी मिलों के अध्यासी, गन्ना महाप्रबंधक तथा विभागीय एवं चीनी मिल के पर्यवेक्षकों के साथ मवाना एवं टिकौला चीनी मिल क्षेत्र के बाढ़ ग्रस्त गांव दुधली खादर, भीकुण्ड ग्राम के निकट तथा बामनौली तथा रठौरा ग्राम के मध्य बाढ़ की स्थिति का स्थलीय निरीक्षण किया गया।
भ्रमण के दौरान प्रथम दृष्टया फतेहपुर प्रेम, हरिपुर गावड़ी, मानपुर, तारापुर, चामरोघ, कुनहेड़ा, परसापुर हंसापुर, शेरपुर, सिरजेपुर, लालपुर, बामनौली, लतीफपुर, भिकुण्ड, बस्तौरा, दुधली, बाजामपुर, किशोरपुर, ममेपुर, ऐदलपुर, झड़ाका, खेड़ीकलां, बधवा, मनोहरपुर, जलालपुर, मिर्जापुर, अगवानपुर, महमूदाबाद, शाहीपुर, खरकाली, मीरपुर, खानपुर, पहाड़पुर खादर, तरबीयतपुर नॉर्थ आदि गांव पूर्णतया या आंशिक जलमग्न पाए गये जहां बाढ़ के पानी के कारण स्थलीय निरीक्षण नही किया जाना सम्भव नही हो सका। इन गांवो के सम्बन्ध में निर्देश दिये गये कि बाढ़ का पानी कम होने पर निरीक्षण कर वास्तविक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
इस सम्बंध में विस्तृत जानकारी देते हुए उप गन्ना आयुक्त द्वारा बताया गया कि स्थलीय निरीक्षण के दौरान क्षेत्रीय गन्ना किसानों से प्रत्यक्ष संवाद कर उन्हें बाढ़ के कारण होने वाले संभावित नुकसान से फसल की रक्षा हेतु विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी से अवगत कराया गया। गन्ना किसानों को खेत में बाढ़ का पानी भर जाने की स्थिति में बचाव एवं सुधार से सम्बंधित एडवाइजरी के बारे में बताते हुए उप गन्ना आयुक्त ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जहां खेतों में लगातार वर्षा के कारण जलभराव हो गया है और जल निकासी संभव है, वहां जल निकालने के प्रयास किए जाएं और गन्ना किसानों को इसके लिए प्रेरित किया जाए। जिन क्षेत्रों में लगातार बारिश के चलते मिट्टी नरम हो गई है और हवा के प्रभाव से गन्ना गिर गया है या गिरने की संभावना है, वहां गन्ने को गिरने के 24 घंटे के भीतर पुनः खड़ा कर उसकी बंधाई कराई जाए। बसंतकालीन गन्ना बुआई में नुकसान की अधिक संभावना को देखते हुए, खेत से पानी उतरने के बाद उसमें कार्बन्डाजिम या थायोफिनेट मिथाइल 1 लीटर तथा एन.पी.के. 5 किग्रा को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से पौधे की बढ़वार में सुधार होता है, जिसे अवश्य अपनाया जाए।
उन्होनें यह भी कहा कि गन्ना किसानों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर तत्काल विभागीय सहयोग किया जाए। किसानों को तात्कालिक तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने के लिए सभी जिला गन्ना अधिकारी एवं चीनी मिल अधिकारी स्वयं फील्ड में नियमित भ्रमण करें और अधीनस्थ स्टाफ से भी क्षेत्र भ्रमण कराएं। यदि कहीं अत्यधिक नुकसान हो तो उसकी सूचना तुरंत गन्ना आयुक्त कार्यालय और संबंधित जिलाधिकारी को भी दी जाए। साथ ही सभी चीनी मिलें अपने फील्ड कर्मचारियों को क्षेत्र में सक्रिय रखते हुए प्रभावित किसानों को तकनीकी सहयोग प्रदान करें। फील्ड कार्मिक बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में जाकर कृषकों से संवाद करें, फसल बचाव के उपाय बताएं और बाढ़ से हुए गन्ना क्षेत्रफल के सम्बन्ध में वास्तविक आंकलन करें।
निरीक्षण के उपरांत उप गन्ना आयुक्त द्वारा स्थलीय रिपोर्टिंग एवं वास्तविक आंकलन प्रस्तुत करने के निर्देश भी संबंधित अधिकारियों को दिए गए। इस अवसर पर राजीव राय ने कहा कि “बाढ़ से प्रभावित किसानों को हर संभव सहायता प्रदान करना विभाग की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। गन्ना एक दीर्घकालिक फसल है, अतः इसकी सुरक्षा हेतु वैज्ञानिक उपायों को प्राथमिकता के साथ लागू किया जाए। गन्ना विभाग, मेरठ परिक्षेत्र, शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत युद्धस्तर पर कार्य कर रहा है ताकि किसानों की फसल को संभावित हानि से बचाया जा सके और उन्हें हर स्तर पर आवश्यक तकनीकी व प्रशासनिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके।
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