सात समंदर पार महक रही भारतीय तहजीब की खुशबू
एनआरआई एसोसिएशन की मदद से न्यूज़ीलैंड की फिजाओं में महक रही मेरठ और मुजफ्फरनगर की सांस्कृतिक महक
मेरठ। महक हिंदी-उर्दू जुबां अब सिर्फ अपने देश तक ही महसूस नहीं रही, बल्कि अब यह विदेशों में भी लोगों की जुबां की रवानी बन रही है। भारत और पाकिस्तान की सरहद से निकलकर अब यह दोनों जुबाने सात समंदर पार न्यूज़ीलैंड में रह रहे उन लोगों की जुबां की रौनक बन रही हैं जिनका अंग्रेजी जुबां से गहरा रिश्ता है। खास बात यह कि न्यूज़ीलैंड में हिंदी और उर्दू जुबां को इज्जत बख्शने के लिए वहां की सरकार भी अपना पूरा योगदान दे रही है।
दरअसल अपने देश से हजारों मील दूर बसे खूबसूरत मुल्क न्यूज़ीलैंड की खूबसूरती में भारतीय तहजीब चार चांद लगा रही है। न्यूज़ीलैंड में हिंदी और उर्दू जुबां को लेकर चलाया गया एक अभियान एनआरआई की मदद से काफी परवान चढ़ा। इस अभियान को परवान चढ़ाने के लिए पहले तो न्यूज़ीलैंड में उर्दू हिंदी कल्चरल एसोसिएशन का गठन किया गया और फिर वहां की सरकार ने भी इस अभियान में खासी दिलचस्पी दिखाई। इस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुजफ्फरनगर जनपद के मूल निवासी (जिनका मेरठ से भी गहरा नाता है) नफीस अख्तर को बनाया गया। नफीस अख्तर अपने परिचितों से मिलने मेरठ भी आते हैं। इस संवाददाता से बातचीत में नफीस अख्तर ने बताया कि 'उर्दू हिंदी कल्चरल एसोसिएशन' के गठन का मुख्य उद्देश्य सात समंदर पार अथवा विदेशों में भारतीय संस्कृति अथवा यहां की तहजीब को जिंदा रखना था। बकौल नफीस अख्तर यदि हम आज अपने बच्चों को अपनी पहली तहजीब और परंपराओं से रूबरू नहीं कराएंगे तो कल हमारे बच्चे सिर्फ अंग्रेजी दायरे में सिमट कर रहे जाएंगे। नफीस अख्तर के अनुसार इस एसोसिएशन के गठन के दौरान न्यूज़ीलैंड पार्लियामेंट के मेंबर रहे सरदार कंवलजीत सिंह बक्शी ने भी इसे एक बहुत अच्छी पहल बताया था और इस बात का भी आश्वासन दिया था कि न्यूजीलैंड सरकार इसे अपना पूरा सपोर्ट देगी और हुआ भी बिल्कुल यही। न्यूज़ीलैंड सरकार ने एक प्रकार से एसोसिएशन को एनआरआई की मदद से स्वयं सींचा। इसी एसोसिएशन ने न्यूज़ीलैंड में अंतरराष्ट्रीय स्तर का मुशायरा और कवि सम्मेलन तक आयोजित किया। इस एसोसिएशन का संरक्षक प्रो. रईस अल्वी को बनाया गया, जबकि सैय्यद मुज्तबा हसन, रुपा सचदेवा और एम.अब्दुल हक उपाध्यक्ष बनाए गए। इनके अतिरिक्त राकेश शर्मा, फरहत राना मलिक, डॉ. पुष्पा और पैट्रिक बैनिक को इस एसोसिएशन का सदस्य बनाया गया। नफीस अख्तर के अनुसार इस एसोसिएशन के जरिए मेरठ और मुजफ्फरनगर सहित पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गंगा जमुनी तहजीब की महक न्यूज़ीलैंड की फिजाओं में महकती है।
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