क्यों महिलाएं अपने परिवार, रिश्तों को छोड़ हिंसक प्रवर्ती अपना रही हैं?" —


यह सवाल अत्यंत संवेदनशील और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो गया है

 इस  विषय को समझने के लिए हमें कई सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और पारिवारिक पहलुओं पर ध्यान देना होगा l अखिर क्यों लोगों की मनःस्थिति में परिवर्तन आ रहा है l

पहला कारण --बदलते सामाजिक ढांचे

आजकल महिलाओं की शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सामाजिक जागरूकता में वृद्धि हुई है। पहले महिलाएं घरेलू हिंसा सहने को मजबूर होती थीं, लेकिन अब वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हैं। जब पुरुष हिंसा, अपमान या अत्याचार करते हैं, तो कई महिलाएं अब प्रतिरोध करती हैं — जो कभी-कभी हिंसक रूप भी ले सकता है।

दूसरा कारण --पारिवारिक तनाव और असंतुलन,

कई बार दांपत्य जीवन में विश्वास की कमी, आर्थिक तनाव, या आपसी सम्मान का अभाव होता है। ये स्थितियाँ विवाद और झगड़ों को जन्म देती हैं, जो हिंसा में बदल जाती  हैं — और यह पुरुष या महिला दोनों की ओर से हो सकता है।

तीसरा कारण --समानता की गलत समझ,

कभी-कभी "समान अधिकार" की सोच को कुछ महिलाएं प्रतिशोध की भावना में बदल लेती हैं। अगर उन्हें लगता है कि पति ने उनके साथ अन्याय किया है, तो वे उसी तरीके से जवाब देने लगती हैं, जिससे स्थिति बिगड़ जाती है।

चौथा कारण --मीडिया और सोशल मीडिया का प्रभाव,


टीवी शोज़, वेब सीरीज़ और सोशल मीडिया पर दिखाए जा रहे कुछ कंटेंट महिलाओं को 'सशक्त' बनने के नाम पर आक्रामक बना देते हैं। कई बार इसका असर गलत रूप में सामने आता है।

पांचवा कारण --न्याय व्यवस्था का दुरुपयोग

कभी-कभी कुछ महिलाएं कानून (जैसे दहेज कानून, घरेलू हिंसा कानून) का गलत उपयोग करती हैं और पतियों को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित करती हैं। यह बात सुप्रीम कोर्ट तक ने कई बार मानी है कि कानून का दुरुपयोग हो रहा है।

जो भी हो हमें इसकी समाधान की ओर सोचना चाहिए कि समाज में  परिवार में शांति किस तरह से बनी रही

सकारात्मक संवाद के साथ पति-पत्नी के बीच खुलकर बात करना सबसे ज़रूरी है।मनोवैज्ञानिक सहायता जरूरी है किसी भी प्रकार की हिंसा से पहले एक-दूसरे को समझने की कोशिश और काउंसलिंग की मदद लेना बेहतर होगा।

लैंगिक संतुलन बनाए रखने के लिए कानून की सही जानकारी की आवश्यकता है स्त्री और पुरुष दोनों को अपने अधिकार और कर्तव्य समझने चाहिए। कोई भी संबंध 'शक्ति संघर्ष' नहीं बल्कि 'सहयोग' होना चाहिए इसके लिए बेटियाँ फाउंडेशन "थोड़ा हमारा थोड़ा तुम्हारा " कैम्पेन  से समझाने की कोशिश कर रही है कि गलतियाँ इंसान से ही होती है थोड़ी समझदारी आपके जीवन को खुशहाल बना सकती है l अपनी समस्याओं को 8791617598 पर साझा करें हो सकता है आपकी पहल  आपके लिए यादगार बन जाए

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