गंभीर संकट का संकेत है ग्लोबल वार्मिंग
राजीव त्यागी
मौसम विज्ञानियों ने पहले ही चेता दिया था कि औद्योगिक क्रान्ति और उसके चलते हमारी जीवन शैली में बदलाव से ग्लोबल वार्मिंग के हालात बनते जा रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग का सबसे प्रमुख कारण जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग रहा है।
जलवायु परिवर्तन या यों कहे कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते मानव अस्तित्व पर आ रहे संकट की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि 2 जून को समूचे विश्व में ग्लोबल हीट एक्शन डे मनाया जाने लगा है। ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणाम तेजी से हमारे सामने आने लगे हैं। लाख प्रयासों, शिखर सम्मेलनों और संकल्पों के बावजूद पृथ्वी पर तापमान की बढ़ती दर को रोकने में हम पूरी तरह से विफल रहे हैं। 1850 से अब तक के रेकार्ड के अनुसार विश्व में अब तक का सबसे गर्म साल 2024 रहा है। वर्कले अर्थ द्वारा जारी रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि होती है कि सर्वाधिक गर्म साल 2024 रहा है। मजे की बात यह है कि यह सब तो तब है जब ग्लोबल वार्मिंग को लेकर वैश्विक सम्मेलन लगातार आयोजित हो रहे है और पृथ्वी के बढते तापमान को डेढ़ डिग्री तक सीमित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग का सीधा सीधा अर्थ धरती के तापमान में बढ़ोतरी होना है। इस साल 2025 के ग्लोबल हीट डे की थीम रिकागनाइजिंग एण्ड रेस्पोडिंग टू हीट स्ट्रोक रखा गया है। दुनिया के देष 2050 तक ग्लोबल वार्मिंग दर को 50 प्रतिशत कम तक लाना है।
दरअसल 1896 में ही स्वीडिस मौसम विज्ञानी ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से चेता दिया था। 1975 में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर सबसे पहली रिपोर्ट आई और 1988 में अमेरिका की सीनेट में नासा वैज्ञानिक जैम्स हेनसेन से चर्चा करते हुए आने वाले संकट को स्पष्ट कर दिया था। ग्लोबल वार्मिंग के चलते आज दुनिया के देशों, समुद्र किनारे के शहरों, जंगलों की जैव विविधता औैर बच्चों, बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों से ग्रसित लोगों के सामने गंभीर संकट आ गया है। कहने का अर्थ यह है कि यह संकट किसी एक स्थान या एक नागरिक विशेष पर ना होकर समूची मानव जाति और अस्तित्व पर आ गया है। इसके दुष्परिणामों को तो इस तरह से समझा जा सकता है कि ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं, इससे समुद्र का जल स्तर लगातार बढने लगा है। मौसम के हालात अस्पष्ट होते जा रहे हैं। गर्मी और अधिक लंबी व गर्म होती जा रही है तो मौसम चाहे सर्दी हो, गर्मी हो या बरसात हो चरम स्थिति में होने लगा है। रेगिस्तान बढ रहा है तो जलवायु परिवर्तन या यों कहें कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते नित नए चक्रवात, तूफान, बरसात के दिन कम होने के बावजूद एक ही समय में अत्यधिक बरसात, सर्दिंयों में अधिक बरसात आदि सामने आ रहे हैं।
मौसम विज्ञानियों ने पहले ही चेता दिया था कि औद्योगिक क्रान्ति और उसके चलते हमारी जीवन शैली में बदलाव से ग्लोबल वार्मिंग के हालात बनते जा रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग का सबसे प्रमुख कारण जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक उपयोग रहा है। कोयला, तेल, गैस आदि जीवाश्म ईंधन के उपयोग से अंतरिक्ष की परत प्रभावित हुई है और उसके चलते तापमान में बढ़ोतरी के हालात बनते जा रहे हैं। हमें भूलना नहीं चाहिए कि जीवाश्म ईंधन के साथ ही कुछ अन्य कारण भी है जिनके चलते तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। अत्यधिक शहरी करण और लोहे सीमेंट के उपयोग के कारण गगनचुंबी इमारतों से कंक्रिट के जंगल का विस्तार, आबादी का अत्यधिक दबाव होने केे कारण प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक व बेरहमी से दोहन, सुविधा के लिए नित नए इलेक्ट्रोनिक उत्पादों का अत्यधिक उपयोग, पंखें या कूलर के स्थान पर एयर कण्डीशनरों का उपयोग, रसोई में फ्रीज व अन्य उत्पादों का उपयोग और इसी तरह के अन्य वस्तुओं के उपयोग के चलते तापमान में बढ़ोतरी का कारण बनता जा रहा है। मजे की बात यह है कि आज जिसे बेहतर व उपयोगी बताया जा रहा है कुछ समय बाद ही उसे हानिकारक बताने में भी नहीं हिचका जा रहा। आज जापान आदि देशों में माइक्रोवेव ओवन या आरओ आदि के उपयोग को हानिकारक बताया जाने लगा है। पहले प्लास्टिक को बढ़ावा दिया गया और अब उसके दुष्परिणाम सामने हैं। इसी तरह से जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रुप में ईवी वाहनों के प्रोत्साहन के साथ ही दबे स्वर में यह रिपोर्ट आने लगी है कि ईवी का भी असर तापमान बढ़ोतरी पर पड़ेगा। हालात यहां तक होने लगे हैं कि हीट स्ट्रोक के कारण लोगों की ही नहीं जानवरों की भी जान जाने लगी है।
ग्लोबल हीट एक्शन डे के आयोजन के पीछे लोगों को हालात की गंभीरता से सजग करना और अत्यधिक हीटवेव से बचने के लिए सतर्क और सजग करना है। तापमान की बढ़ोतरी का इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि स्थानीय निकायों द्वारा तापमान अधिक होने पर आमनागरिकों को राहत देने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव करवाया जाने लगा है तो जयपुर सहित कई शहरों में सिग्नल वाले रास्तों पर गर्मी से राहत के लिए हरा पर्दा टांगा जाने लगा है। हीट एक्शन डे के माध्यम से लोगों को सजग करना, हीटवेव से बचने व सुरक्षा के उपायों खासतौर से भूखे पेट नहीं रहना, पानी व तरल पदार्थ का अधिक सेवन के साथ ही छाया में रहने और ढीले कपड़े पहने के साथ ही शरीर को ढक के रखना आदि के प्रति अवेयर करना है। आज लोगों में पशुपक्षियों के प्रति भी संवेदनशीलता बढी है और गर्मी के चलते दाना-पानी की व्यवस्थाएं एक अभियान के रुप में की जाने लगी है।
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