रिश्ते सुधारने का मौका

 इलमा अज़ीम 
भारतीय छात्रों के लिए कनाडा टॉप फारेन डेस्टिनेशन रहा है। बातचीत बढ़ने से छात्र वीजा और वर्क परमिट आसान हो सकता है। पीएम मोदी और मार्क कार्नी की मुलाकात से जो रास्ता खुला है, उसका पूरा फायदा मिले, इसके लिए कनाडा को खालिस्तानी अलगाववादियों से जुड़ी भारत की चिंताओं पर ध्यान देना होगा।
 खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर केस से जुड़े सवाल पर कार्नी का संतुलित जवाब बताता है कि उन्हें भी इसका ख्याल है। पीएम मोदी ने जी 7 शिखर सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा उठाया और उनका सवाल बिल्कुल ठीक है कि आतंकवाद के प्रायोजक देश और पीड़ितों को एक तराजू में क्यों तौला जा रहा है। जब तक दुनिया के ताकतवर देश आतंकवाद को लेकर अपना नजरिया साफ नहीं करते और अपनी सहूलियत के अनुसार आतंक की परिभाषा तय करने की आदत नहीं छोड़ते, यह समस्या हल नहीं होने वाली। 


भारत और कनाडा ने एक-दूसरे के यहां हाई कमिश्नर जल्द से जल्द बहाल करने का ऐलान किया है। यह उस गलती को सुधारने की दिशा में पहला कदम है, जो कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन टूडो ने की थी। राजनयिक संबंध बहाल होने से दूसरे द्विपक्षीय मामलों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिनमें पिछले साल टकराव के बाद से ठहराव आ गया था। 

एक विस्तृत इकोनॉमिक एग्रीमेंट को लेकर दोनों देशों ने 2010 में बातचीत शुरू की थी। करीब एक दशक तक सब ठीक चला, लेकिन पहले कोरोना की रुकावट आई और फिर कूटनीतिक रिश्ते खराब हो गए। भारत और कनाडा के बीच वित्तीय वर्ष 2024 में 8.37 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था। हालांकि दोनों की इकॉनमी को देखते हुए क्षमता और संभावनाएं कहीं ज्यादा हैं। आर्थिक समझौते से व्यापार आसान होगा, निवेश बढ़ेगा और अनुमान है कि द्विपक्षीय कारोबार में 6 बिलियन डॉलर तक का इजाफा होगा। 

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