कोरोना के प्रति सावधानी जरूरी
कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार फैलता जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रायल की ओर से आश्वासन दिया जा रहा है कि कोरोना वायरस की यह नस्ल उतनी भयावह नहीं है, जितनी हम कोरोना की तीन लहरों के दौरान देख और झेल चुके हैं। यह नस्ल संक्रामक जरूर है, तेजी से फैलती है, लेकिन अपेक्षाकृत मारक नहीं है, लिहाजा चिंता न करें, लेकिन सावधानी जरूर बरतें।
अब देश में संक्रमित लोगों की संख्या 5 हजार से अधिक को पार कर चुकी है और दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी हस्तक्षेप कर केंद्र सरकार से स्टेटस रपट तलब की है, तब हम भी कुछ चिंतित हुए हैं। फिलहाल केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि राज्यों में संक्रमण का ज्यादा प्रभाव देखा गया है। अकेले केरल में ही संक्रमित मरीजों की संख्या 1500 के पास पहुंच चुकी है।
आर्थिक राजधानी मुंबई और देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। फिलहाल मौतों की संख्या आधा दर्जन है और 146 करोड़ की आबादी वाले देश में यह आंकड़ा नगण्य है। अभी तक जो मौतें हुई हैं, वे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, निमोनिया, गुर्दे की पुरानी बीमारी, एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम आदि पहले से ही मौजूद बीमारियों के कारण हुई हैं, लेकिन चिकित्सकों ने यह स्पष्ट नहीं किया कि कोरोना संक्रमण का असर कितना था?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मई, 2025 तक ऐसे कोरोना वायरस को ‘वेरिएंट्स अंडर मॉनिटरिंग’ के वर्ग में रखा है।लेकिन इसके मायने ये भी नहीं हैं कि इसको हल्के में लिया जाए। चूंकि भारत में 70 फीसदी से अधिक आबादी में कोरोना का टीकाकरण हो चुका है, लिहाजा महामारी विशेषज्ञों और मेडिकल बिरादरी का मानना है कि कोरोना का मौजूदा वेरिएंट ‘मौसमी फ्लू’ से कुछ ही ज्यादा है। यह सही है कि इस संक्रमण के लक्षण हल्के हैं, लेकिन पहले से गंभीर बीमारियों के शिकार लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को किसी भी तरह की लापरवाही भारी भी पड़ सकती है। बहरहाल, चिंतित होने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता बरतना बहुत जरूरी है।
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