छात्रों ने तैयार किया टैंक पर हमला रोकने वाला ड्रोन जैमर
छात्रों की काबिलियत को सेना ने सराहा
अब दो रेजीमेंट को छात्रों ने बेचे दो ड्रोन जैमर
मेरठ। अब सेना को और मजबूत बनाने के लिए इंजीनियरिंग के छात्रों ने बीड़ा उठा लिया है। मेरठ की एमआईईटी के दो इंजीनियरिंग छात्रों ने एक ऐसा ड्रोन जैमर तैयार किया है जो दुश्मन के आ रहे ड्रोन को एक किलोमीटर पहले ही पूरी तरह निष्क्रिय कर देगा। छात्रों के द्वारा बनाए दो ड्रोन जैमर को भारतीय सेना की पटियाल स्थित व महाराष्ट्र में स्थित एक रेजीमेंट ने खरीदा है। जिसका प्रयेाग पूरी तरह कारगर साबित हुआ है। सेना की अन्य रेजीमेंट ने छात्रों के द्वारा बनाए जा रहे ड्रोन को खरीदने के लिए आर्डर दिया है। जिन्हें तैयार करने में छात्र लगे हुए है ।
वैसे तो थल सेना व वायु सेना को अत्याधुनिक बनाने के लिए डीआरडीओ की अहम भूमिका होता है। पीएम मोदी के स्वदेशी कारण के मिशन के चलते सेना को अत्याधुनिक बनाने के लिए प्राइवेट सेक्टर भी अहम भूमिका निभा रहा है। सेना को अत्याधुनिक बनाने के इसी क्रम में इंजीनियरिंग कर रहे छात्रों ने भी बीड़ा उठा लिया है। हम बात कर रहे है। एमआईईटी के दो छात्र दीक्षांत कुमार व मनोहर कुशवाहा की जो वर्तमान में बीटेक के चौथे वर्ष के छात्र है। जिन्होंने पढाई करते हुए भारतीय सेना के लिए एक अत्याधुनिक एंटी-ड्रोन सिस्टम, जिसे "ड्रोन जैमर" के नाम से जाना है को विकसित किया है। छात्रों द्वारा तैयार की गयी विकसित यह प्रणाली हवाई ड्रोन हमलों से सुरक्षा प्रदान करने हेतु बनाई गई है। यह सिस्टम लगभग 1 किलोमीटर व्यास का एक वर्चुअल डोम (गोल क्षेत्र) तैयार करता है, जिसके भीतर कोई भी ड्रोन प्रवेश करता है तो वह स्वतः निष्क्रिय (ब्लॉक) हो जाता है।
दोनो छात्रों ने बताया उन्हों सात माह पूर्व इस सिस्टम की आवश्यकता की जानकारी महाराष्ट्र के आर्म्ड रेजिमेंट 90 के एक कैप्टन द्वारा प्राप्त हुई थी। जिस पर दोनो छात्रों ने कार्य करना आंरभ किया।ड्रोन को तैयार करने में सात माह लगे । पहले ड्रोन जैमर को छात्रों ने जनवरी 2025 में महाराष्ट्र की रेजीमेंट को सफलतापूर्वक डिलीवरी की थी। इसके बाद दूसरी यूनिट पंजाब के पटियाला रेजिमेंट 77 को प्रदान की गई।हाल ही में हमें महाराष्ट्र से एक और नया ऑर्डर प्राप्त हुआ है।दोनो द्वारा को झांसी में स्थित दो रेजीमेंट से ड्रोन का प्रदर्शन करने के बुलाया गया है।
दीक्षांत कुमार व मनोहर कुशवाहा ने बताया ड्रोन जैमर को और विकसित करने के लिए कार्य कर रहे है। वह ड्रोन जैमर की रेंप को चार से पांच किलोमीटर तक ले जाने का प्रयास कर रहे है। जिससे दुश्मन के हथियारों से लैस ड्रोन को चार से पांच किलोमीटर पहले ही निष्क्रिय किया जा सके।
थल सेना सबसे कारगर साबित होता है ड्रोन जैमर
किसी भी युद्ध में थल सेना की अहम भूमिका होती है। पीछे सो उसे वायु सेना सपोर्ट करती है। लेकिन थल सेना में शुरुआत में टैंक का बेडा चलता है। ऐसे अगर कोई भी हथियारों से लैस बेडे पर गिर जाए तो काफी नुकसान हो सकता है। ऐसे में ड्रोन जैमर उनका रक्षा कवच बन सकता है।
सेना से मिला एप्रिशियेन लेटर
छात्रों का कहना है जब उन्होंने महाराष्ट्र की रेजीमेंट को ड्रोन जैमर तैयार कर भेजा को उसका परीक्षण किया गया। जो सौ फीसदी साबित हुआ । जिस पर सेना की रेजिमेंट की ओर से दोनों छात्रों को उनकी योग्यता को सलाम करते हुए लेटर भेजा है।
पूर्व व पश्चिम की जुगलबंदी आयी काम
दीक्षांत कुमार मुजफ्फरनगर रतनपुरी व मनोहर कुशवाहा देवरिया जिले के रहने वाली है। दोनो बेशक बीटेक कर रहे है। जिनका तीसरा साल है दोनो के ट्रेड अलग -अलग है। लेकिन दोनों छात्रों ने जुगबंदी दिखाते हुए कुछ अलग करने की सोची। दरअसल वर्ष 2022 में एक प्रोजेक्ट मिला था जो सेना से संबंधित था। वह प्रोजेक्ट काफी पसंद किया गया । जिस पर महाराष्ट्र से ग्रुप कमांडर ने ने दीक्षांत कुमार को ड्रोन जैमर पर काम करने के लिए कहा । वही से दीक्षांत ने मनोहर को अपने साथ शामिल किया। दोनो मेहनत रंग लाती दिखाई दे रही है। दीक्षांत व मनोहर ने अपनी कंपनी है। जिस पर मोहर लगनी बाकी है।
ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन जैमर को सप्लाई करने का आया आर्डर
दीक्षांत व मनोहर ने बताया भारत द्वारा पाक पर चलाए ऑपरेशन सिंदूर के लिए उनके पास बड़ा आर्डर आया था । लेकिन संसाधनों की कमी के चलते उन्होंने आर्डर लेने से मना कर दिया था।
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