यूक्रेन ने रूस में चार किलोमीटर घुस किया 41  विमानों को तबाह 

 हमला ट्रकों में छिपाकर भेजे गए मोबाइल ड्रोन सिस्टम से किया गया

400 से ज्यादा ड्रोन से रूसी एयर बेस पर किया गया हमला

नयी दिल्ली,एजेंसी। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने एक नया मोड़ तब ले लिया जब यूक्रेन ने रूस के अंदर 4 हजार  किलोमीटर दूर एयरबेस पर हमला करके 40 से ज्यादा रूसी बमवर्षक विमानों को तबाह कर दिया। इस हमले की खास बात ये रही कि यह एक पारंपरिक हमले जैसा नहीं था, बल्कि तकनीक और चालाकी से भरा एक मोबाइल ड्रोन ऑपरेशन था, जिसे एक आम से ट्रक के जरिए अंजाम दिया गया। यह रणनीति रूस की सुरक्षा प्रणाली को पूरी तरह चौंकाने वाली थी। 

रिपोर्ट के मुताबिक, मुरमांस्क और इरकुत्स्क जैसे रूसी इलाकों में स्थानीय लोगों ने एक ट्रक को संदिग्ध स्थिति में खड़ा देखा। ट्रक के ट्रेलर से एक के बाद एक FPV ड्रोन उड़ते गए और एयरबेस की तरफ बढ़ते चले गए। ड्राइवर घबराया हुआ लग रहा था और पुलिस ने जब उसे हिरासत में लिया, तो उसने सिर्फ इतना कहा कि मुझे यहां बुलाया गया था, कोई मिलने वाला था। यानी ड्राइवर को खुद पता नहीं था कि ट्रक क्या लेकर आया है और इसी बीच हमले की शुरुआत हो चुकी थी।

 क्या है एफपीवी ड्रोन 

FPV (First Person View) ड्रोन आमतौर पर ऑपरेटर द्वारा रिमोट कंट्रोल से उड़ाए जाते हैं।  ऑपरेटर हेडसेट या स्क्रीन पर लाइव फीड देखकर ड्रोन को किसी टारगेट की तरफ ले जाता है और सटीक हमला करता है। यूक्रेन ने इन ड्रोन को कंटेनरों में छिपाकर ट्रकों के जरिए रूस के भीतर गहराई तक पहुंचाया और वहीं से लॉन्च कर दिया। इस तरीके ने रूस की एयर डिफेंस को चकमा दे दिया क्योंकि ड्रोन बेहद नजदीक से लॉन्च किए गए थे और उनका जवाब देने का समय ही नहीं मिला।

40 से ज्यादा बमवर्षक विमान तबाह

यूक्रेनी सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, इस हमले में रूस के कम से कम 41 मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स को नुकसान पहुंचा। जिन विमानों को निशाना बनाया गया, उनमें Tu-95 और Tu-22M3 जैसे बड़े बाहुबली बमवर्षक शामिल थे। हमला इरकुत्स्क के बेलाया एयरबेस और मुरमांस्क के ओलेन्य एयरबेस जैसे ठिकानों पर हुआ, जो यूक्रेन से करीब 4000 किलोमीटर दूर हैं. यह पहली बार है।जब यूक्रेन का कोई ड्रोन रूस के इतने अंदर देखा गया है।

ऑपरेशन की योजना डेढ़ साल पुरानी

इस ऑपरेशन की योजना यूक्रेन ने करीब 1.5 साल पहले बनाई थी और इसे खुद राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की निगरानी में अंजाम दिया गया। ड्रोन को कंटेनरों में छिपाकर खास ट्रकों में रखा गया, जो रूस की सीमा पार कर एयरबेस के पास पहुंचे। यह हमला न केवल सैन्य दृष्टि से बड़ी सफलता थी। बल्कि यह दर्शाता है कि यूक्रेन अब रूस के “घरेलू” इलाकों को भी टारगेट करने की क्षमता रखता है।

रूस की जवाबी कार्रवाई और तनाव

इस हमले के कुछ ही घंटों बाद रूस ने यूक्रेन पर जवाबी हमला किया। रूस की सेना ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला करते हुए एक ही दिन में 472 ड्रोन और 7 मिसाइलें दागीं। एक हमले में यूक्रेन के 12 सैनिक मारे गए और 60 से ज्यादा घायल हो गए। इसके बाद यूक्रेनी सेना के एक वरिष्ठ कमांडर मिखाइलो ड्रापातयी ने इस्तीफा दे दिया।  इससे यह साफ है कि यह लड़ाई अब दोनों पक्षों के लिए केवल सीमाओं की नहीं रही, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव और रणनीतिक जीत की होड़ बन गई है। 

क्या होने वाले हैं और बड़े हमले?

यूक्रेन के इस ‘गुरिल्ला ड्रोन वारफेयर’ से यह साफ है कि आने वाले समय में युद्ध की तस्वीर बदल सकती है। अब भारी हथियारों से ज्यादा, स्मार्ट और मोबाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल युद्ध को नई दिशा दे रहा है। ट्रक से ड्रोन लॉन्च कर 40 से ज्यादा विमानों को उड़ाना न सिर्फ एक रणनीतिक जीत है, बल्कि यह रूस को यह एहसास दिलाने का प्रयास है कि अब उसकी सरहदें भी सुरक्षित नहीं रहीं। जेलेंस्की ने साफ कहा है कि यूक्रेन अपनी आज़ादी और लोगों की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। 

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