नायाब प्रयोग!

 मेरठ ने जाना 'काबा' का सही रुख 

शाही ईदगाह के मुतवल्ली रहे सैय्यद आसिम अली सब्जवारी के प्रयोग को सऊदी और अमेरिका तक ने सराहा 

 बुधवार को दोपहर 2 बजकर 48 मिनट पर किया गया प्रयोग

 मेरठ। बरसों तक शाही ईदगाह के मुतवल्ली रहे सैय्यद आसिम अली सब्जवारी द्वारा किया गया नायाब प्रयोग आज भी लोगों के लिए काबा की डायरेक्शन (रुख) तय करने में मददगार साबित हो रहा है।

 बतादे कि सैय्यद  आसिम अली सब्जवारी ने अपने  जीवन के कई साल इस प्रयोग को अमली जामा पहनाने में लगाए थे। दरअसल दुनिया भर के मुसलमानों के लिए नई बनने वाली मस्जिदों और न घरों में खाना ए काबा का रुख तय करने के लिए सैय्यद आसिम अली सब्जवारी ने ऐसे प्रयोग को अंजाम दिया, जिसके द्वारा चंद मिनटों में ही काबा का एकदम सही रुख पता किया जा सकता है। ऐसा साल में सिर्फ दो बार ही मुमकिन है। एक 28 मई को और दूसरी बार 17 जुलाई को। बुधवार को 28 मई थी, लिहाजा मेरठ शहर के लोगों ने खाना ए  काबा के रुख को जानने के लिए यह प्रयोग किया। बुधवार को यह प्रयोग दोपहर 2:48 पर किया गया। सैय्यद आसिम अली सब्जवारी के बेटे सैय्यद अनस सब्जवारी ने बताया कि 28 मई को दोपहर 2:48 पर सूरज खाना ए काबा के ठीक ऊपर होता है। इसी दौरान सैय्यद आसिम अली सब्जवारी द्वारा बताए गए नियमों के अनुसार लोगों ने इस प्रयोग को कर खाना ए काबा का सही रुख वेरिफाई किया। उल्लेखनीय है कि काबा का रुख जानने के लिए पूर्व में अमेरिका में भी कुछ मस्जिदें सैय्यद आसिम अली सब्जवारी द्वारा सुझाए गए प्रयोग के आधार पर ही बनी थीं। इसके अलावा साउदी सरकार ने भी सैय्यद आसिम अली सब्जवारी के इस प्रयोग को अपनी मान्यता प्रदान कर दी थी। बुधवार को मेरठ के विभिन्न मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगों ने यह प्रयोग करके देखा। इसके अलावा शहर में जहां नई मस्जिदों की तामीर हो रही है वहां भी यह प्रयोग किया गया।

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