सफर जारी है


ये जिंदगी है जनाब
जिन्हें अपना सफर
अनवरत जारी रखना होता है,
जहां जिंदगी ठहर जाए
वहां सफर खत्म करना होता है,
सिलसिला विभिन्न चक्रों से घूमते,
हंसी, खुशी, दुख, गम चूमते,
न कहीं रुकना,
न किसी के आगे झुकना,
तमाम रंगों से सराबोर होते,
कभी नींद से जागते कभी सोते,
प्रेरित करता कभी देश का प्रेम,
कभी अपने वंचित समाज के प्रति प्रेम,
कभी गांव के लिए प्रेम,
कभी परिवार के प्रति प्रेम,
और कभी स्वयं के लिए प्रेम,
मन की भावना सबके लिए कुशलक्षेम,
लक्ष्य जनजागृति की राह से
तनिक भी विचलित न होने का,
कांटे निकलने का न कभी बोने का,
यही तो सफर है,
सतत आगे की ओर अग्रसर होने का।
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- राजेन्द्र लाहिरी, पामगढ़ छग।

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