एआई तकनीक से बदलते पढ़ने-पढ़ाने के तौर-तरीके
- डॉ. मनु मिड्ढा
एआई ने न केवल पढ़ाने के तरीके को बदला है, बल्कि सीखने, मूल्यांकन और विद्यार्थियों की व्यक्तिगत जरूरतें समझने के नजरिए को भी क्रांतिकारी बना दिया। दरअसल हर विद्यार्थी की सीखने की क्षमता, गति और रुचि अलग-अलग होती है। पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में सभी छात्रों को एक समान तरीके से पढ़ाया जाता था, जिससे कई छात्र पीछे रह जाते थे। जबकि एआई आधारित लर्निंग टूल्स जैसे एडैप्टिव लर्निंग सिस्टम्स अब छात्र की सीखने की गति, रुचि, और कमजोरियों को ध्यान में रख उन्हें अनुकूल सामग्री प्रदान करते हैं।
मसलन, बायजूस, खान अकेडमी और कोर्सेरा जैसे प्लेटफॉर्म एआई की मदद से छात्रों को उनके स्तर के अनुसार टॉपिक्स सुझाते हैं और बेहतर समझाने के लिए पर्सनलाइज्ड कंटेंट प्रदान करते हैं। इससे छात्रों को अपनी गति से सीखने का मौका मिलता है, जिससे उनकी समझ और आत्मविश्वास बढ़ते हैं।
एआई आधारित स्मार्ट ट्यूटर और चैटबॉट्स छात्रों को 24×7 सहायता प्रदान करते हैं। अब छात्रों को हर छोटी-छोटी शंका के लिए शिक्षक का इंतजार नहीं करना पड़ता। ये वर्चुअल असिस्टेंट तुरंत सवालों के जवाब देते हैं, चाहे वह गणित का जटिल फॉर्मूला हो या इतिहास की महत्वपूर्ण तारीख। वहीं डुओलिंगो जैसे प्लेटफॉर्म एआई का प्रयोग कर भाषा सीखने की प्रगति ट्रैक करते हैं व उसी मुताबिक नए पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, जिससे सीखने की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी बनती है।
ध्यान रहे, एआई का मतलब यह नहीं कि शिक्षकों की जरूरत खत्म हो गई है। बल्कि, एआई ने शिक्षकों को और अधिक प्रभावी और डेटा-सक्षम बना दिया है। मसलन, अब शिक्षक यह समझ सकते हैं कि कौन-सा छात्र कहां पिछड़ रहा है और उसी के अनुसार व्यक्तिगत मार्गदर्शन दे सकते हैं। वहीं एआई तकनीक की मदद से शिक्षक अपने समय का अधिकतम उपयोग पढ़ाने के अलावा मार्गदर्शन, प्रेरणा और रचनात्मक गतिविधियों के लिए कर पा रहे हैं। एआई शिक्षकों का सहायक बन शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ा रही है।
यह भी कि एआई आधारित ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली अब उत्तरों का त्वरित और सटीक मूल्यांकन कर रही है। कई शिक्षण संस्थान एआई की मदद से क्विज़ का मूल्यांकन कर छात्रों को तुरंत परिणाम जारी कर सुधार के सुझाव देते हैं। इससे छात्रों को अपनी कमजोरियों का तुरंत पता चलता है जिनमें वे समय रहते सुधार कर सकते हैं। साथ ही, यह शिक्षकों का कीमती समय बचाती है, जिसे वे अन्य रचनात्मक और शैक्षिक गतिविधियों में लगा सकते हैं।
एआई ने शिक्षा को दुनिया के प्रत्येक कोने तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है। विशेष रूप से उन छात्रों के लिए जो स्कूल नहीं जा सकते, एआई आधारित वर्चुअल क्लासरूम और टूल्स ने उनके लिए नई राहें खोली हैं।
स्पीच-टू-टेक्स्ट और टेक्स्ट-टू-स्पीच जैसी तकनीकों ने दृष्टिहीन और श्रवण बाधित छात्रों को भी शिक्षा प्राप्ति का अवसर दिया है। इससे शिक्षा समावेशी बन रही है।
एआई केवल पढ़ाई में सहायक नहीं है, बल्कि खुद एक महत्वपूर्ण कैरियर स्किल बन चुका है। आज स्कूलों और कॉलेजों में एआई, मशीन लर्निंग, और डेटा साइंस जैसे विषय पढ़ाए जा रहे हैं ताकि विद्यार्थी भविष्य की तकनीकी नौकरियों के लिए तैयार हो सकें। ‘एआई फॉर यूथ’ प्रोग्राम इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जो युवाओं की एआई के कौशल विकास में मदद करता है।
एआई केवल एक तकनीकी उपकरण नहीं है, बल्कि यह शिक्षा में एक नई सोच का प्रतीक है। शिक्षा अब केवल परीक्षा पास करने का माध्यम नहीं रह गई है, बल्कि समझ, अनुभव और नवाचार का केंद्र बन गई है। छात्र अब जिज्ञासु हैं, सवाल पूछते हैं और खुद से सीखने की कोशिश करते हैं। एआई इस प्रक्रिया को निरंतर समर्थन प्रदान करता है, जिससे शिक्षा अधिक इंटरैक्टिव, रोचक और प्रभावी बनती है। दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने शिक्षा को स्मार्ट, व्यक्तिगत और इंटरेक्टिव बना दिया है। आज शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि तकनीक के सहारे हर बच्चा, हर उम्र का व्यक्ति अपने समय व तरीके के हिसाब से सीख सकता है।
हालांकि, एआई का उपयोग सोच-समझकर और जिम्मेदारी के साथ किया जाना चाहिए। यह भी कि मानवीय शिक्षकों की भूमिका कभी खत्म नहीं होगी, बल्कि एआई उन्हें और बेहतर बनाने का एक सशक्त माध्यम है। तो भविष्य की शिक्षा की शुरुआत हो चुकी है …और उसका नाम है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। जो कोई नागरिक इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं, वे एआई आधारित शिक्षा के अवसरों को अपनाएं और सीखने की इस नई क्रांति का आनंद लें!
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