आज जगह-जगह बजेंगे सायरन

रात में हो सकता ब्लैकआउट

 'सेंट जोसफ स्कूल' में होगा संयुक्त मॉकड्रिल

मेरठ।पहलगाम आतंकी घटना के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए पूरे देश में आज मॉकड्रिल होगी। मेरठ में भी किसी भी सार्वजनिक स्थल पर तेज सायरन, अफरा-तफरी और आग जैसी स्थिति देखने को मिल सकती है।लेकिन, घबराने की बात नहीं है। यह सब युद्ध की स्थिति होने से निपटने के लिए सिर्फ एक अभ्यास होगा। इसका मकसद लोगों को जागरूक करना होगा। शहर से लेकर देहात तक मॉकड्रिल और ब्लैक आउट होगा।

आज शहर में शाम 4 बजे लालकुर्ती स्थित सेंट जोसफ इंटर कॉलेज में मॉकड्रिल होगा। रात को ब्लैक आउट हो सकता है, हालांकि इसको लेकर अभी गाइड लाइन नहीं आई है।डीएम डॉ. वीके सिंह ने बताया कि सिविल डिफेंस, डिजास्टर मैनेजमेंट, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें इस मॉकड्रिल में हिस्सा लेंगी। इसका उद्देश्य युद्ध की स्थिति में नागरिकों को सुरक्षित रहने का प्रशिक्षण देना है।

मॉकड्रिल में त्रिस्तरीय सुरक्षा, हवाई हमलों से बचाव, आपात स्वास्थ्य सेवाएं, ब्लैक आउट में प्रतिक्रिया, बम निष्क्रिय करना और राहत कार्य के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी।जिलाधिकारी डाॅ. वीके सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल के आयोजन की तैयारी के लिए बैठक की गई। बैठक में सिविल डिफेंस, स्काउट, एनसीसी, एनएसएस, विद्युत विभाग आदि से तैयारियों के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई।

उन्होंने एयर स्ट्राइक के समय सायरन के चार साइन, रेडियो कम्युनिकेशन, कंट्रोल रूम के बारे में जानकारी दी। जिलाधिकारी द्वारा मॉक ड्रिल की तैयारी के संबंध में सीएमओ, अग्निशमन विभाग, संबंधित पुलिस क्षेत्राधिकारी व मजिस्ट्रेट को टीम बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि समस्त टीमों के लिए कार्यस्थल सुनिश्चित कर दिये जाये।असिस्टेंट कमिश्नर उद्योग को महत्वपूर्ण फैक्ट्रियों में सिक्योरिटी के लिए प्लान बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने ब्लॉकवार वॉट्सऐप ग्रुप बनाने के निर्देश दिये, जिसमें लोकल सीएचसी, पीएचसी, ग्राम प्रधान, पुलिस अधिकारी शामिल हों तथा उसमें ट्रेनिंग के लिए एक वार्डन को भी जोड़ा जाये।

उन्होंने कहा कि मॉक ड्रिल का उद्देश्य समस्त नागरिकों को जागरूक करना है। सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए तहसील, ब्लॉक व जिला स्तर पर वॉट्सऐप ग्रुप बनाने के निर्देश दिये गये। शहर में सेंट जोसेफ स्कूल तथा अन्य स्कूल-कॉलेज में मॉकड्रिल का आयोजन किया जायेगा।एसएसपी विपिन ताडा ने कहा कि आपातकाल के समय खुले में न रहे, निकटतम सुरक्षित स्थान पर छुप जाएं, घर में टेबिल-बेड या मजबूत फर्नीचर के नीचे छुप जाएं, यदि रास्ते में हों तो गाड़ी साइड में खड़ी करके निकटतम सुरक्षित स्थान पर छुप जाएं। अफवाहों पर ध्यान न दें। ऐसे समय में भगदड़ की स्थिति न बनने दें।

शहर में एक साथ बजेंगे छह सायरन

नागरिक सुरक्षा कोर के उप नियंत्रक रविन्द्र प्रताप ने बताया कि यदि शहर में सायरन ऊंची नीची आवाज में बजता है तो समझ जाइए कि पाकिस्तान हवाई हमला कर सकता है। यदि सायरन एक सुर में बजता है तो समझ जाइए खतरा था लेकिन टल गया है।वर्तमान में नागरिक सुरक्षा कोर के पास छह सायरन हैं, जो रेलवे रोड स्थित कोल्ड स्टोर, आईटीआई साकेत, सोहराब गेट बस अड्डा, शारदा रोड पुलिस चौकी, नगर कोतवाली और सोहराब गेट चौकी में लगे हैं। इन सभी सायरन पर नागरिक सुरक्षा कोर के वार्डन तैनात होंगे। खतरा होने पर ही सायरन बजेगा। बेवजह नहीं बजेगा।

हवाई हमले का पीला संदेश आने पर क्या होगा

सबसे पहले हवाई हमले का जिला प्रशासन और नागरिक सुरक्षा कोर के कंट्रोल रुम में एक पीला संदेश आएगा। जिसके आते ही नागरिक सुरक्षा कोर और जिला प्रशासन के अधिकारी अपनी तैयारी शुरू कर देंगे। अधिकारी जनता को बचाने के लिए खुद की तैयारी करेंगे।

संदेश के बाद अग्निशमन विभाग, सीएमओ, सीएफओ, डीएसओ, सीडीओ आदि अधिकारियों को खुद की तैयारी करनी होगी; जैसे ऐसे स्थान चिह्नित करने होंगे। जमीन के नीचे बने होंगे। खाई खोदी जाएगी, ताकि लोगों को वहां रख सकें।

हवाई हमले का लाल संदेश मिलने पर यह होगा

यदि मेरठ जिला प्रशासन को हमले का लाल संदेश मिलता है तो समझ लें कि मेरठ पर पांच मिनट के अंदर हमला होने वाला है। तब यहां पर खतरे वाला सायरन बजेगा। इस दौरान जिला प्रशासन और नागरिक सुरक्षा कोर, पुलिस आदि काे लोगों को अलर्ट करना है।

हवाई हमले का हरा सिग्नल मिलने पर यह होगा

यदि हवाई हमले का हरा सिग्नल जिला प्रशासन को मिलता है तो एक सुर में सायरन बजेगा यानी अब खतरा टल गया है। लोगों को सेल्टर से बाहर निकाला जाएगा। रेस्क्यू अभियान चलाया जाएगा। डाक्टरों की टीम निकली जाएगी।

हवाई हमले का व्हाइट सिग्नल मिलने पर यह समझें

यदि जिला प्रशासन के पास हवाई हमले का व्हाइट सिग्नल आता हैं तो समझ लेना कि युद्ध रूक गया है। जिला प्रशासन जनता को अलग अलग तरीकों से बताएगा कि युद्ध रूक गया है और अब कोई खतरा नहीं है।

ऐसे होगी मॉकड्रिल

जिलाधिकारी ने बताया कि बुधवार को शहर के विभिन्न कालेज, सार्वजनिक स्थान रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, विकास भवन आदि स्थानों पर माकड्रिल की जाएगी। जिसमे नागरिक सुरक्षा कोर के सदस्य और पुलिस आम जनता को बताएंगे कि उन्हें कैसे हमले से बचना है। जमीन पर कैसे लेटना है। ऐसे सुरक्षित स्थान पर चले जाना है जहां खाई हो। यह सब बताया जाएगा।

शाम को 7 बजे के बाद होगा ब्लैक आउट

दिन में स्कूलों में मॉकड्रिल होगी। शाम को चार बजे सेंट जोसफ इंटर कॉलेज में संयुक्त रूप से कई विभागों की मॉकड्रिल होगी। शाम के सात बजे के बाद कई इलाकों में ब्लैक आउट होगा। सायरन ऊंची नीची आवाज में बजाय जाएगा। ताकि सभी लोग अपनी अपनी लाइट बंद कर सके। इस दौरान बिजली भी चली जाएगी।

क्यों हो रही है यह महत्वपूर्ण मॉक ड्रिल

गृह मंत्रालय देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है और इसी कड़ी में समय-समय पर इस तरह के आपातकालीन अभ्यासों का आयोजन किया जाता रहता है। यह विशिष्ट मॉक ड्रिल मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई है।

ताकि हवाई हमले, मिसाइल हमले और ड्रोन अटैक जैसे आधुनिक खतरों से निपटने की मौजूदा रणनीतियों और तैयारियों के स्तर का मूल्यांकन किया जा सके। इस अभ्यास के माध्यम से यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आम जनता ऐसे हालात में घबराने के बजाय कैसे सतर्क रहें और अधिकारियों द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करें।

मॉक ड्रिल के दौरान कुछ प्रमुख गतिविधियां होंगी

- शाम 7 बजे बजेगा सायरन : निर्देशों के अनुसार, ड्रिल की शुरुआत शाम 7 बजे एक तेज सायरन बजने के साथ होगी, जो एक आपातकालीन स्थिति का संकेत देगा।

- ब्लैकआउट : सायरन बजने के तुरंत बाद, अभ्यास वाले पूरे इलाके में 'ब्लैकआउट' किया जाएगा, जिसका अर्थ है बिजली की आपूर्ति पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी। यह युद्ध की स्थिति में किया जाता है ताकि हवाई दुश्मनों के लिए निशाना लगाना मुश्किल हो।

- अंधेरा और अलर्ट मोड : ब्लैकआउट होने पर चारों तरफ अंधेरा रहेगा, जिससे दुश्मन के हमले का आभास कराया जाएगा। इस दौरान, सुरक्षा बल, पुलिस, और मेडिकल टीमें तुरंत 'अलर्ट मोड' में आ जाएंगी और अपनी भूमिकाएं संभालेंगी।

- राहत और बचाव ऑपरेशन : NDRF (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), पुलिस, फायर ब्रिगेड और स्वास्थ्य विभाग की टीमें मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य करेंगी। इस अभ्यास में नकली घायलों (mock casualties) को फर्स्ट एड देना और उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना शामिल होगा, ताकि वास्तविक स्थिति में बिना देरी के बचाव कार्य हो सके।

- बम स्क्वॉड और डॉग स्क्वॉड की तैनाती : किसी भी संभावित विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु की जांच करने और उससे निपटने के लिए बम डिफ्यूजल यूनिट और डॉग स्क्वॉड को भी तैनात किया जाएगा और उनसे संबंधित अभ्यास कराया जाएगा।

- सामाजिक दूरी और भीड़ नियंत्रण : यदि किसी स्थान पर भगदड़ जैसी स्थिति बनने की संभावना होती है, तो उसे कैसे नियंत्रित किया जाए और भीड़ के बीच सामाजिक दूरी कैसे बनाए रखी जाए, इसकी योजना और अभ्यास भी ड्रिल का हिस्सा होगा।

आम लोगों को क्या करना होगा? महत्वपूर्ण निर्देश

इस मॉक ड्रिल में आम नागरिकों से सहयोग की अपील की गई है और उन्हें ऐसे हालात में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया है।

सायरन बजने पर: घबराएं नहीं। अपने घरों या कार्यालयों में ही रहें या तुरंत नजदीकी किसी सुरक्षित स्थान (जैसे बेसमेंट या मजबूत इमारत का निचला हिस्से) पर चले जाएं।

अफवाहों से बचें: किसी भी तरह की अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान न दें। केवल सरकारी सूचना स्रोतों (जैसे आधिकारिक रेडियो, टीवी या सरकारी वेबसाइट) पर ही भरोसा करें।

लाइट्स बंद रखें: ब्लैकआउट में सहयोग करते हुए अपने घरों और प्रतिष्ठानों की लाइटें बंद रखें।

निर्देशों को सुनें: यदि कोई आधिकारिक घोषणा या निर्देश प्रसारित हो रहा हो, तो उसे ध्यान से सुनें और उसका पालन करें।

हेल्पलाइन पर संपर्क करें: किसी भी वास्तविक आपात स्थिति या संदेहजनक गतिविधि दिखने पर तुरंत पुलिस या संबंधित आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें।

क्यों बजते हैं जंग वाले सायरन

जंग के सायरन किसी भी आपदा या आपातकालीन स्थिति में लोगों को सतर्क करने के लिए बजाए जाते हैं। यह एक तेज आवाज वाला चेतावनी प्रणाली है, जिसकी आवाज काफी तीव्र होती है। इन सायरनों की आवाज 2 से 5 किलोमीटर की दूरी तक सुनाई दे सकती है और यह 120-140 डेसिबल तक की ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इनकी आवाज में एक खास लय होती है यह धीरे-धीरे तेज होती है और फिर धीरे-धीरे कम होती है।

सायरन बजने पर क्या करें- मॉक ड्रिल के दौरान या वास्तविक आपात स्थिति में सायरन बजने पर नागरिकों को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए तुरत सुरक्षित स्थानों की ओर जाए। 5 से 10 मिनट के भीतर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने का प्रयास करें। सायरन बजने के दौरान घबराएं नहीं।

खुले क्षेत्रों से तुरंत हट जाएं। घरों और अन्य सुरक्षित इमारतों के अंदर चले जाएं। टीवी, रेडियो और सरकारी अलर्ट पर ध्यान दें। किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें और प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें।

बच्चों को करें जागरूक- हवाई हमले से बचने की ड्रिल करवाई जा रही है ताकि हम सुरक्षित रहें और मानसिक रूप से तैयार हों। घबराएं नहीं। बच्चों को अवश्य जागरूक करें। हवाई हमले से बचाव की चेकलिस्ट मोबाइल में सेव करके रखें।

अलर्ट और सतर्कता- एयर रैंड सायरन की आवाज पहचानें। मोबाइल या रेडियो पर सरकारी अलर्ट सुनें। अफवाहों पर विश्वास न करें। केवल आधिकारिक सूचना पर ध्यान दें।

सुरक्षित स्थान (शरण स्थल)- निकटतम बंकर या शरण स्थल की जानकारी रखें, अपने घर में मजबूत, बिना खिड़की वाला कमरा तैयार रखें, शरण स्थल तक जल्दी पहुंचने का रास्ता पहले से तय करें।

जरूरी वस्तुएं तैयार रखें- पीने का पानी (कम से कम 3 दिन का) सूखा भोजन (बिस्किट, ड्राई फ्रूट्स आदि) प्राथमिक चिकित्सा किट, टॉर्च और एक्स्ट्रा सेल, पोर्टेबल रेडियो, जरूरी दस्तावेज (आईडी, मेडिकल रिपोर्ट, बैंक डिटेल्स), मोबाइल चार्जर/पावर बैंक।

अंधेरा और सुरक्षा- रात में सभी लाइट बंद रखें (ब्लैकआउट), खिड़कियों पर मोटे पर्दे, काले कागज या ब्लाइंड लगाएं, शीशे से दूर रहें, जमीन पर लेट जाएं, अभ्यास और तैयारी, परिवार के साथ हवाई हमले की ड्रिल करें, बच्चों को सुरक्षित स्थान और प्रक्रिया सिखाएं, पड़ोसियों के साथ आपसी सहयोग सुनिश्चित करें।

हमले के बाद क्या करें- बाहर तभी निकलें जब सरकारी निर्देश मिले, घायल हों तो प्राथमिक उपचार करें, संदिग्ध वस्तु या बम दिखे तो हुए नहीं पुलिस को सूचित करें।

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आरएएफ बटालियन में पुलिस लाइन से 45 पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इस ट्रेनिंग की शुरुआत मंगलवार से ही कर दी गई है। 10 दिनों के लिए होने वाली ट्रेनिंग में सिविल पुलिस के साथ ही आरएएफ के जवान भी शामिल किए गए हैं। ट्रेनिंग में एयर गन आंसू गैस चलाना भी पुलिसकर्मियों को सिखाया जा रहा है।

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