कृषि में एआई
राजीव त्यागी
देश में कृषि क्षेत्र कई समस्याओं से जूझ रहा है। इनमें लागतें लगातार बढ़ना व पैदावार घटती जाना प्रमुख चुनौती है। ऐसे में एआई और आईओटी तकनीकों का इस्तेमाल कारगर हो रहा है। इसमें खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाने व किसान के लिए पर्याप्त आय सुनिश्चित करने की क्षमता है। दरअसल, जलवायु परिवर्तन, मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट और संसाधनों की सीमित उपलब्धता के चलते कृषि व्यवसाय को समस्याग्रस्त बना दिया है।
ऐसे में खेती से जुड़े कार्यों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकते हैं। इन तकनीकों के उपयोग से किसानों को खेती के तरीकों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, उनकी पैदावार भी बढ़ सकेगी और लागत भी कम होगी। तकनीक के प्रयोग से फसलों में लगने वाले रोगों और कीटों का प्रबंधन अब पहले से आसान हो गया है।
पहले किसान तब तक इंतजार करते थे जब तक कि बीमारी पूरी फसल को नुकसान न पहुंचा दे। लेकिन अब एआई आधारित मोबाइल एप जैसे प्लांटिक्स और एग्रीबोट ने इस समस्या का समाधान कर दिया है। किसान फसल की फोटो अपलोड करते हैं, और ये ऐप तुरंत बीमारी का पता लगाकर उसका इलाज सुझाते हैं। इससे तुरंत समस्या के बारे में जानकारी मिलती है और समय पर इलाज संभव है।
इसके अलावा तकनीकों की मदद से किसान मिट्टी की गुणवत्ता की जानकारी के आधार पर तय कर सकते हैं कि कौनसी फसल लगाना ज्यादा लाभदायक होगा। मशीन लर्निंग मॉडल्स मिट्टी के पोषक तत्वों और जलवायु परिस्थितियों के आधार पर किसान को सुझाव दे सकते हैं कि कौन-सी फसल लगाने से उत्पादन अधिक होगा और कौन-सी फसल से मुनाफा ज्यादा होगा।
एआई की मदद से मौसम की भविष्यवाणी भी की जा सकती है। इससे किसान पता लगा सकेंगे कि कब बारिश होगी, कब सूखा पड़ सकता है या कब ठंड पड़ेगी। इस जानकारी के आधार पर फसल की बुआई, कटाई और सिंचाई का सही समय तय कर सकते हैं। मौसम के सटीक पूर्वानुमान के चलते किसान प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।
लेखक एक स्वत्रंत पत्रकार है
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