विवाद थमने वाला नहीं
इलमा अज़ीम
वक्फ संशोधन बिल- 2025 अब कानून बनने से महज एक कदम दूर रह गया है। संवैधानिक तौर पर, संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद इस बिल को अब मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद वक्फ संशोधन बिल- 2025 औपचारिक रूप से कानून के तौर पर लागू हो जाएगा। हालांकि, यह भी एक सच्चाई है कि दोनों सदनों से पारित हो जाने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बावजूद इस बिल को लेकर जारी विवाद अभी थमने वाला नहीं है। दोनों सदनों में चर्चा के दौरान, बिल पर सरकार और विपक्ष के बीच जोरदार टकराव देखने को मिला।
सरकार ने इस बिल को समय की मांग और मुस्लिमों के लिए फायदेमंद बताते हुए कहा कि पारदर्शिता और सुशासन के लिए इसे लागू करना बहुत जरूरी है। वहीं विपक्षी दलों ने इसे मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करार देते हुए इसे अल्पसंख्यक विरोधी विधेयक तक बता डाला। सदन में सरकार से हार जाने के बाद अब बिल के विरोधी सड़क पर उतर कर लड़ाई लड़ने की बात कहते नजर आ रहे हैं। मुस्लिम संगठनों ने इस बिल के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन चलाने का ऐलान पहले ही कर दिया है।
अल्पसंख्यक वोटों की राजनीति करने वाले कई राजनीतिक दल भी इस आंदोलन का समर्थन कर, इसे बड़ा बनाने की कोशिश करेंगे। वहीं विपक्षी सांसदों सहित कई संगठन इस बिल को संविधान विरोधी बताते हुए अदालत जाने की भी तैयारी में भी जुट गए हैं। शरद पवार की पार्टी की राज्यसभा सांसद फौजिया खान ने बिल के पारित होने के बाद कहा कि इसका विरोध जारी रहेगा, वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संस्था है, यह असंवैधानिक बिल है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून को रद्द कर देगा। वहीं डीएमके सुप्रीमो और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस बिल को पहले ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा कर रखी है। मुस्लिम वोटरों पर नजरें गड़ाए बैठे अन्य विपक्षी राजनीतिक दल भी इस अभियान का हिस्सा बन सकते हैं। इसलिए यह तय मान कर चलिए कि संसद के दोनों सदनों से बहुमत के आधार पर पास हो जाने के बावजूद भी, इस बिल पर जारी विवाद अभी थमने वाला नहीं है।
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