आतंकवाद के विरुद्ध शिक्षा का संकल्प: पहलगाम के शहीदों को श्रद्धांजलि

कवल जीत सिंह

पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने एक बार फिर हमारे देश को झकझोर कर रख दिया है। निर्दोष नागरिकों का इस प्रकार बलिदान होना न केवल एक राष्ट्रीय शोक है, बल्कि यह हम सभी को एक बार फिर सोचने के लिए विवश करता है कि आतंकवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं और इससे लड़ने के लिए हमें किन स्तरों पर कार्य करना होगा।

एक शिक्षाविद और ऑल इंडिया स्कूल लीडर्स एसोसिएशन का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते, मैं गहराई से मानता हूँ कि आतंकवाद के विरुद्ध केवल सुरक्षा बलों की नहीं, बल्कि समाज के हर अंग की जिम्मेदारी है — और उसमें सबसे अहम भूमिका शिक्षा की है। शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि वह चेतना है जो व्यक्ति को मानवता, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति जागरूक बनाती है। जो यह समझाती है कि धर्म केवल प्रभु प्राप्ति का एक मार्ग है न कि किसी भी दूसरे वर्ग से नफरत करने और रक्तपात करने का मार्ग।

आतंकवाद की विचारधारा का जवाब लंबे समय में बंदूक से नहीं, बल्कि विचारों से दिया जा सकता है। जब हम अपने विद्यालयों में बच्चों को आलोचनात्मक सोच, सहिष्णुता, विविधता का सम्मान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता सिखाते हैं, तब हम आने वाले समय के लिए एक ऐसा समाज गढ़ते हैं जो नफरत की जड़ों को पनपने ही नहीं देता।

शिक्षाविदों का इस लड़ाई में विशेष योगदान हो सकता है। हमें अपने पाठ्यक्रमों और शिक्षण पद्धतियों में ऐसे तत्व शामिल करने होंगे जो राष्ट्रप्रेम, सामाजिक सौहार्द और शांति की शिक्षा दें। हर विद्यार्थी को यह समझना होगा कि राष्ट्र केवल एक भौगोलिक सीमा नहीं, बल्कि एक विचार है — जिसे जीवित रखने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान आवश्यक है।

मैं सभी विद्यार्थियों से आग्रह करता हूँ कि वे अपने ज्ञान, ऊर्जा और साहस का उपयोग राष्ट्र निर्माण में करें। देशप्रेम का अर्थ केवल तिरंगा फहराना नहीं, बल्कि उसके मूल्यों को अपने जीवन में उतारना है — सच्चाई, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और दूसरों के प्रति करुणा। अपने विद्यालय, परिवार और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास ही एक सच्चा राष्ट्रभक्त बनाता है।



आज जब हम पहलगाम में मारे गए सभी वीरों और निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, तब हमें यह संकल्प भी लेना होगा कि हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जहाँ आतंकवाद के लिए कोई स्थान न हो। यह तभी संभव होगा जब शिक्षा केवल नौकरी पाने का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का शस्त्र बने।

राष्ट्रीय अध्यक्ष – ऑल इंडिया स्कूल लीडर्स एसोसिएशन

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