डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में चौधरी चरण सिंह विवि की ऐतिहासिक पहल

राष्ट्रीय कार्यशाला में कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने "e-Governance" पर प्रस्तुत किया दृष्टिकोण

सीसीएसयू राष्ट्रीय स्तर पर ई-गवर्नेंस हेतु नीतिगत दिशा तय करने में नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है- प्रोफेसर संगीता शुक्ला 

नई दिल्ली/मेरठ । प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (PM-USHA) के अंतर्गत में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला "मल्टी-डिसिप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटीज़ (MERU)" का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर भारत सरकार के शिक्षा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार मुख्य अतिथि रहे, जबकि उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी ने कार्यशाला को संबोधित किया।

इस प्रतिष्ठित कार्यशाला में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने सक्रिय भागीदारी निभाते हुए विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया। कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में ‘e-Governance: A Strategic Management Tool for Universities’ विषय पर प्रभावशाली प्रस्तुति दी, जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों के सुशासन की दिशा में डिजिटल परिवर्तन के महत्व को रेखांकित किया गया,चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के नेतृत्व में संचालित ई-गवर्नेंस 'समर्थ' समूह में कल्याणी विश्वविद्यालय (पश्चिम बंगाल), आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय (बिहार), तमिलनाडु की एक राज्य विश्वविद्यालय तथा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय सम्मिलित हैं। इस समूह की समन्वयक संस्था के रूप में कार्य करते हुए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने सभी सहभागी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर 'ई-गवर्नेंस समर्थ' परियोजना के क्रियान्वयन हेतु एक दृष्टि पत्र (विजन डॉक्यूमेंट) एवं रोडमैप तैयार किया है।

प्रो. शुक्ला ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी, सुगम और उत्तरदायी बनाना समय की मांग है। उन्होंने SAMARTH (System for Academic Management and Administrative Reform Through Technology) प्लेटफ़ॉर्म के सफल कार्यान्वयन की प्रक्रिया, चुनौतियाँ, और उपलब्धियों को विस्तार से साझा किया। उन्होंने बताया कि SAMARTH जैसे ई-गवर्नेंस प्लेटफ़ॉर्म शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जो देशभर के 13,000 से अधिक उच्च शिक्षण संस्थानों को एकीकृत कर चुका है।

प्रो. शुक्ला ने अपनी प्रस्तुति में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा किए गए नवाचारों, जैसे वर्चुअल लर्निंग इंटीग्रेशन, डिजिटल प्रमोशन ट्रैकिंग, ऑनलाइन ग्रेडिंग सिस्टम, और डिजिटल सर्टिफिकेट वितरण प्रणाली का उल्लेख किया, जो छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अत्यधिक सरल और पारदर्शी बनाते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय का प्रयास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप डिजिटल गवर्नेंस के माध्यम से दक्षता, जवाबदेही, और डेटा आधारित निर्णय-निर्माण को बल दिया जाए।

प्रो. शुक्ला ने अपने संबोधन में ई-गवर्नेंस के कार्यान्वयन में आ रही बाधाओं—जैसे डिजिटल डिवाइड, साइबर सुरक्षा, और प्रशिक्षित मानव संसाधन की कमी—को रेखांकित करते हुए उनके समाधान हेतु ठोस सुझाव भी प्रस्तुत किए। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक विश्वविद्यालय में समर्पित SAMARTH Implementation Committee का गठन, प्रशिक्षिण कार्यक्रमों का आयोजन, और साइबर सुरक्षा हेतु नीति निर्धारण आवश्यक है।

कार्यक्रम में AICTE के अध्यक्ष प्रो. टी. जी. सीताराम, NETF के चेयरपर्सन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, पूर्व UGC अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार सहित अनेक उच्चाधिकारी, शिक्षाविद् एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति उपस्थित रहे।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की प्रभावशाली भागीदारी ने कार्यशाला में मेरठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा को नई पहचान दी।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला के साथ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर मृदुल कुमार गुप्ता, प्रोफेसर अनुज कुमार और प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा भी उपस्थित रहे, जिन्होंने विश्वविद्यालय के नवाचार-आधारित विजन और रणनीति को साझा करने में सक्रिय सहयोग किया।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में ई-गवर्नेंस के अंतर्गत 34 मॉड्यूल सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। शेष 7 मॉड्यूल भी पूर्ण रूप से कॉन्फ़िगर कर लिए गए हैं और उन पर तीव्र गति से कार्य प्रगति पर है। 

विश्वविद्यालय राष्ट्रीय स्तर पर ई-गवर्नेंस हेतु नीतिगत दिशा तय करने में नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है, जिसमें सीसीएसयू की ई-गवर्नेंस टीम सक्रिय रूप से योगदान दे रही है।"

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा चयनित देश के 65 प्रमुख विश्वविद्यालयों की राष्ट्रीय कार्यशाला में चौधरी चरण सिंह विवि, कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने e-Governance विषय पर उपरोक्त प्रभावशाली और दृष्टिकोणपरक प्रस्तुति दी। यह वे विश्वविद्यालय थे जिन्हें हाल ही में मंत्रालय की ओर से ₹100 करोड़ या ₹20 करोड़ की विशेष ग्रांट प्राप्त हुई है, और जिन्हें डिजिटल परिवर्तन की दिशा में मॉडल संस्थान के रूप में विकसित किया जा रहा है।

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