सैंटल मार्केट में अवैध कॉम्प्लेक्स पर चलेगा बुलडोजर!
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद व्यापारियों को जल्द ही छोड़नी पड़ेंगी दुकानें
मेरठ। शास्त्रीनगर सेक्टर छह सेंट्रल मार्केट पर बने कॉम्प्लेक्स के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। दो जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए सेंट्रल मार्केट शास्त्रीनगर 661/6 के व्यापारियाें की समय सीमा बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी।
व्यापारियों ने कोर्ट से मांग की थी कि उन्हें कॉम्प्लेक्स खाली करने के लिए और समय दिया जाए। व्यापारियों 17 मार्च तक कॉम्प्लेक्स खाली करना था, लेकिन उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि समय सीमा बढ़ाई जाए या नहीं इसको लेकर तीन सप्ताह बाद निर्णय होगा।तब तक आवास विकास परिषद को कॉम्प्लेक्स को खाली कराने के लिए किसी तरह का बल प्रयोग करने पर रोक लगा दी थी। तीन सप्ताह बाद 15 अप्रैल को भी मामले में सुनवाई नहीं हो पाई थी। इसी तरह 21 अप्रैल को सुनवाई की तिथि थी, वह भी टल गई थी।
सोमवार को हुई सुनवाई
सोमवार को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस महादेवन ने 61 नंबर लगे केस की सुनवाई की। सुनवाई के समय मौजूद व्यापारी किशोर वाधवा ने बताया कि याचिका निरस्त कर दी गई है कोर्ट ने समय देने से इकार कर दिया। बताया जा रहा है कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश के तुरंत क्रियान्वयन की बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को दिए आदेश में शास्त्रीनगर 661/6 पर बने कॉम्प्लेक्स को तीन माह खाली करने और उसके बाद दो सप्ताह में आवास विकास को इसे ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। इस आदेश को लेकर ही कॉम्प्लेक्स के व्यापारियाें ने याचिका दायर कर समय सीमा बढाने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस कॉम्प्लेक्स के सभी 22 व्यापारियों को मायूसी हाथ लगी है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश अभी अपलोड नहीं हुआ
सुप्रीम कोर्ट का आदेश अभी अपलोड नहीं हुआ है, लेकिन सुनवाई के समय मौजूद अधिवक्ताओं ने पुष्टि की है। आवास विकास परिषद के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद ही वह अग्रिम कार्रवाई करेंगे।
बतातें चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त कॉम्प्लेक्स की तरह निर्मित अन्य निर्माण जो आवासीय भूखंडों पर बने हैं को ध्वस्त करने के आदेश भी 17 दिसंबर 2024 को दिए थे। ढ़ाई हजार से अधिक निर्माणों को इसके तहत आवास विकास परिषद ने चिन्हित किया है। इनको नोटिस देने की कार्रवाई चल रही है। 1700 से अधिक को नोटिस दिए जा चुके हैं।
No comments:
Post a Comment