ताजमहल की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त
कहा- कांच उद्योग के प्रभाव का आकलन करें
नई दिल्ली (एजेंसी)।
ताजमहल की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल ताजमहल पर प्रदूषण और औद्याोगिक इकाइयों के प्रभाव को लेकर शीर्ष अदालत ने चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को कांच उद्योग के ताजमहल पर प्रभाव का आकलन करने के लिए कहा है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने एनईईआरआई को मूल्यांकन पूरा करने की समयसीमा बताते हुए एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित सभी सरकारी एजेंसियों को इस काम में नीरी की सहायता करनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि इन उद्योगों से कितना प्रदूषण हो रहा है। अगर हमें पता चलता है कि ये उद्योग प्रदूषण फैला रहे हैं तो हम इन इकाइयों को स्थानांतरित करने का आदेश देने में संकोच नहीं करेंगे। प्रदूषण की सीमा के बारे में जांच की आवश्यकता है।
इसके बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक टीम गठित करने का निर्देश दिया। यह टीम राज्य की ओर से दाखिल हलफनामे में उल्लिखित उद्योगों का दौरा करेगी और इन उद्योगों से होने वाले प्रदूषण के पहलू की जांच करेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि पांच उद्योगों का अध्ययन पूरा करने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा ताकि उचित निर्देश जारी किए जा सकें।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने ताजमहल और उसके आसपास पर्यावरण संरक्षण के लिए ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (टीटीजेड) प्राधिकरण की निंदा करते हुए पूछा था कि क्या इस प्रतिष्ठित स्मारक का संरक्षण एक तमाशा है या मजाक। टीटीजेड लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों तथा राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ताजमहल की सुरक्षा के लिए क्षेत्र में विकास कार्यों की निगरानी कर रहा है।
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