लखनऊ में अंबेडकर की मूर्ति रखने को लेकर बवाल
ग्रामीणों ने पुलिस पर किया पथराव, महिला इंस्पेक्टर समेत 6 गंभीर रूप से घायल
लखनऊ। सरकारी जमीन पर अंबेडकर प्रतिमा रखने को लेकर जमकर बवाल हुआ। इसे हटाने के विरोध में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों ने इकट्ठे होकर नारेबाजी की। सूचना पर पहुंची पुलिस ने लोगों को समझाने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारियों ने पथराव कर दिया।इसमें महिला इंस्पेक्टर मेनका सिंह समेत 6 लोगों के सिर फूट गए। । फिलहाल प्रतिमा कपड़े से ढकी रहेगी।
घटना बख्शी का तालाब थाना क्षेत्र के मवई खातरी गांव की है। यह गांव बीकेटी मेन रोड से 1 किलोमीटर अंदर है।मूर्ति लगाने को लेकर विवाद गांव के ही दो पक्षों के बीच का है। एक पक्ष ने 3 दिन पहले प्राथमिक स्कूल के सामने अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित कर दी। जहां प्रतिमा लगाई गई, वह ग्राम समाज की जमीन है। इसको लेकर गांव के ही दूसरे पक्ष ने विरोध शुरू कर दिया। दोनों पक्षों के बीच झगड़ा बढ़ा, तो किसी ने पुलिस को सूचना दे दी।सूचना मिलते ही शनिवार दोपहर करीब 2 बजे बीकेटी, इटौंजा, महिंगवा, मड़ियांव, महिला थाने की पुलिस पहुंची। तनाव देखते हुए पीएसी को भी मौके पर बुलाया गया। पुलिस ने हालात संभालने के लिए ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की। लेकिन, इसी बीच गांव वाले उग्र हो गए। उन्होंने पथराव कर दिया।इसमें महिला इंस्पेक्टर मेनका सिंह के अलावा महिगंवा थाने के दरोगा रामेंद्र सिंह, हेड कॉन्स्टेबल जय प्रकाश, लाल मोहम्मद, नगुवामऊ चौकी प्रभारी शेष मणि और एलआईयू के क्षेत्रीय प्रभारी सिद्धेश वर्मा घायल हुए हैं।पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए पांच राउंड आंसू गैस के गोले छोड़े। करीब 6 घंटे तक बवाल चलता रहा। बाद में काफी मशक्कत के बाद प्रशासन और ग्रामीणों की बीच सहमति बन पाई। डीसीपी नार्थ गोपाल चौधरी ने बताया- बातचीत के जरिए समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जाएगा। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में और सामान्य है।
गांव वालों का कहना है कि तीन दिन पहले ग्राम प्रधान के प्रस्ताव पर रात में चुपचाप प्रतिमा रखी गई थी। न तो प्रशासन से इसकी इजाजत ली गई और न ही ग्रामीणों से राय ली गई। प्रतिमा जिस जगह रखी गई, वह ग्राम समाज की जमीन है। यहां पहले हाट-बाजार और शादी-समारोह होते थे।इससे नाराज सैकड़ों बुजुर्ग, महिलाएं और युवा खातरी गांव से निकलकर पहाड़पुर चौराहा पहुंच गए। उन्होंने सड़क पर बैठकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। नारेबाजी कर रहे ग्रामीणों ने कहा कि प्रतिमा हटाई जाए और दोषियों पर कार्रवाई हो।
पुलिस ने इस मामले में गांव के प्रधान प्रतिनिधि को हिरासत में ले लिया, जिससे ग्रामीण और भड़क गए।प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर एकपक्षीय कार्रवाई का आरोप लगाया।ग्रामीण मुन्नी देवी ने कहा कि पुलिस ने ग्रामीणों को जमकर पीटा है। उन्हें ईंट लगी है। पुलिस ने कपड़े भी फाड़े हैं। ग्राम प्रधान को किडनैप करके ले गए हैं। उन्होंने ढूंढ़ने गए तीन-चार लोगों को भी किडनैप कर लिया है।वहीं, रमावती ने कहा कि लोगों ने पैसे एकत्र करके सहमति पर बाबा साहब की प्रतिमा स्थापित की थी। पता नहीं है कि विरोधी कौन है और लाठीचार्ज क्यों किया गया? गांव में लोग शांति चाहते हैं।
ग्रामीण बोले- एसडीएम, प्रधान की मौजूदगी में हुई थी स्थापना
सामाजिक कार्यकर्ता देवराज कुमार बौद्ध ने बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा 9 अप्रैल को ग्राम प्रधान की सहमति और ग्रामीणों की मौजूदगी में स्थापित की गई थी। उन्होंने दावा किया कि एसडीएम को भी इस संबंध में पूर्व सूचना दी गई थी। प्रतिमा लगाए जाने के समय किसी भी व्यक्ति या संस्था ने कोई विरोध नहीं किया।
देवराज कुमार ने बताया कि 12 अप्रैल की दोपहर प्रशासन के दो कर्मचारी गांव में पहुंचे। उन्होंने कहा कि अंबेडकर प्रतिमा बिना अनुमति के लगाई गई है, इसलिए इसे हटाया जाएगा। स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो प्रशासन की टीम ने गांव के प्रधान समेत तीन अन्य ग्रामीणों को हिरासत में ले लिया। अब तक यह पता नहीं चला है कि उन लोगों को कहां ले जाया गया है?
सोशल वर्कर बोले- हमारे जीते जी प्रतिमा नहीं हटेगी
देवराज कुमार ने प्रशासन से सवाल किया कि जब सभी को सूचित करके ग्राम सभा की सहमति से प्रतिमा स्थापित की गई थी, तो अब इसे हटाने की आवश्यकता क्यों पड़ रही। उन्होंने कहा कि हमारे जीते जी ये प्रतिमा नहीं हटेगी, चाहे जो भी हो जाए।
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