भारतीय संस्कृति में समाहित है वैज्ञानिक दृष्टिकोण : निमिष कपूर

- भारत में परमाणु ऊर्जा का अथाह भंडार

- परमाणु ऊर्जा से बनेगा भारत बिजली का बादशाह

मेरठ। भारतीय संस्कृति में वैज्ञानिक दृष्टिकोण गहराई से समाहित है। भारत के प्राचीन ग्रंथों और सभ्यता में विज्ञान और तर्कशीलता की जड़ें स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। जो लोग विज्ञान की तकनीकों और वैज्ञानिक सोच का विरोध करते हैं, उनके पास इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। यह विचार भारत सरकार के विज्ञान संचार विभाग के वैज्ञानिक प्रभारी श्री निमिष कपूर ने तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल द्वारा जूम एप के माध्यम से आयोजित एक विशेष ऑनलाइन व्याख्यान में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि विज्ञान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत किया जाए, ताकि आठ वर्ष के बच्चे भी उसे आसानी से समझ सकें। बच्चों में वैज्ञानिक चेतना विकसित करने के लिए विज्ञान लेखन को सरल और रोचक बनाना आवश्यक है।

परमाणु ऊर्जा से बनेगा भारत बिजली का महाशक्ति

कपूर ने बताया कि भारत के पास परमाणु ऊर्जा का अथाह भंडार है, जिसका सही उपयोग कर भारत बिजली उत्पादन में विश्व में अग्रणी बन सकता है। वर्तमान में भारत सौर ऊर्जा के माध्यम से बड़े स्तर पर बिजली उत्पादन कर रहा है, किंतु भविष्य में परमाणु ऊर्जा का उपयोग हमें ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और सशक्त बनाएगा।

वैज्ञानिक चेतना भारतीय ग्रंथों में भी

श्री कपूर ने ऋग्वेद का उल्लेख करते हुए बताया कि 1400-1700 ईसा पूर्व के ग्रंथों में सूर्य ग्रहण का वर्णन मिलता है, जो भारतीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण की प्राचीनता को सिद्ध करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को सुझाव दिया कि सूर्य को सुरक्षित तरीके से देखने के लिए सोलर फिल्टर का उपयोग करें। साथ ही ग्रहण की फोटोग्राफी भी आसानी से संभव है यदि वैज्ञानिक सावधानियों का पालन किया जाए।

प्लास्टिक के उपयोग से बचने की सलाह

पर्यावरण सरंक्षण पर बल देते हुए उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले खतरों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीना, प्लास्टिक बैग में चाय लेना या प्लास्टिक कप में पेय पदार्थों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, क्योंकि इससे प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक रसायन शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

हाइटेक खेती और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्व

कृषि क्षेत्र में नवाचार का उल्लेख करते हुए निमिष कपूर ने बताया कि हाईटेक खेती के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रहा है। किसानों द्वारा फसलों को कीटों से बचाने, बेहतर उत्पादकता प्राप्त करने और कृषि संबंधी अनुसंधान को आम लोगों तक पहुँचाने के लिए एआई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। शोध पत्रों को एआई के माध्यम से सरलता से तैयार कर अधिक प्रभावी ढंग से प्रसारित किया जा सकता है। तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने अतिथि का स्वागत करते हुए अध्यक्षीय भाषण दिया व धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर डॉ. मनोज श्रीवास्तव, डॉ. दीपिका वर्मा सहित तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के अनेक छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सौ से अधिक शिक्षक एवं विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर विज्ञान संचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के महत्व पर विचार विमर्श में सम्मिलित हुए।


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