संविधान के अनुरूप सख्ती से लागू हो ‛एनिमल्स लॉ’
- अम्बिका कुशवाहा ‛अम्बी’,
पृथ्वी सभी जीवों की आश्रय है। जो सभी जीवों को जीवन, जल, हवा, और भोजन प्रदान करती है। यह हमारे जीवन के लिए आवश्यक संसाधनों का स्रोत है। पृथ्वी की सुंदरता, विविधता, और जीवन को बनाए रखने की क्षमता अद्वितीय है। लेकिन आज के मनुष्यों ने स्वयं को सर्वशक्तिशाली मान लिया है और वो समस्त भूमंडल पर अपना अधिकार स्थापित करने का प्रयास करते रहते है। अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए इंसान अन्य जीवो के प्रकृति आवास एवं जीवो को नुकसान पहुंचा रहे है।
प्रकृति और जानवरों के प्रति मनुष्य के कर्तव्य नैतिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इंसान को नहीं भूलना चाहिए कि पृथ्वी का आस्तित्व जैव विविधता, जंगलों और पहाड़ों की धनी प्रकृति पर ही टीका है। और इंसान जितना अधिक इन चीजों को नुकसान करेगा, उतना ही अधिक धरती का तापमान बढ़ेगा और जलवायु परिवर्तन से जीवन संकट में आएगा।
वैश्विक स्तर पर 11 अप्रैल को ‘पालतू पशु दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। लेकिन यह दिवस सिर्फ पालतू पशुओं के लिए ही नहीं बल्कि पृथ्वी पर निवास करने वाले सभी पशु-पक्षिओं के प्रति प्रेम एवं संरक्षण के प्रति जागरूकता हैं। लोगों को पशुओं के प्रति जिम्मेदारी और उनके कानूनी अधिकारों के बारे में सोचने का मौका देता है।
भारत एक ऐसा देश है जहाँ पशुओं का सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिस्थितिक महत्व रहा है। हाल की वर्षों से विकास कार्य की आड़ में जिस तरह से जानवरों के प्रकृति आवास का विनाश किया जा रहा है, ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। आधुनिकता और विकास के नाम पर जंगलों की कटाई और पहाड़ों पर दखलंदाजी एक गलत निर्णय है। भारत में पशुओं के संरक्षण और कल्याण के लिए कई कानून मौजूद हैं, जो पालतू और जंगली दोनों तरह के जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
भारतीय संविधान में विभिन्न अधिनियमों के माध्यम से पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकने और उनकी देखभाल को बढ़ावा देने के लिए कानूनी ढांचा तैयार किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 51A(g) में भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है कि वह प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करे, जिसमें जंगल, नदियाँ, झीलें और वन्यजीव शामिल हैं, साथ ही सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा रखे। अनुच्छेद 48A में राज्य को पर्यावरण की रक्षा और वन्यजीवों के संरक्षण का आदेश है।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960- भारत का सबसे महत्वपूर्ण पशु कल्याण कानून है, जिसका उद्देश्य जानवरों को अनावश्यक पीड़ा और क्रूरता से बचाना है। इसमें धारा 11 किसी भी जानवर को पीटना, लात मारना, भूखा रखना, या पालकर छोड़ देना अपराध है। इसी अधिनियम के तहत एनिमल्स वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना हुई थी। धारा 9 में संरक्षित प्रजातियों का शिकार करना या उन्हें पालतू बनाना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
भारत में वन संरक्षण अधिनियम और विभिन्न पशु संरक्षण कानूनों के होने के बावजूद भी, जीवों, जंगलों और वन्यजीवों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। आए दिन जानवरों के साथ इंसानों द्वारा क्रूरता की घटनाएं देखने को मिल जाती है। इन कानूनों का उद्देश्य वनों की कटाई को रोकना, जैव विविधता को संरक्षित करना और वन्यजीवों के अवैध शिकार तथा व्यापार पर अंकुश लगाना है। एनिमल्स लॉ के प्रति कानून का कड़ाई से सक्रिय होना जरूरी हैं।
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