पराली एवं फसल अवशेष जलाना कानूनी अपराध, लग सकता है जुर्मानाः उप गन्ना आयुक्त
* गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण तो बढ़ता ही है, मिट्टी की उर्वरता भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है
* फसल अवशेष जलाने पर प्रति एकड 400 किलोग्राम लाभदायक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश एवं सल्फर आदि आवश्यक पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं
* फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न कार्बन से वायु प्रदूषित होती है, जिसका मानव एवं पशु स्वास्थय पर बुरा प्रभाव पड़ता है
* गन्ना किसान अपने खेतों में ट्रैश मल्चिंग करके अधिक उपज और अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं, इससे पर्यावरण प्रदूषण भी रुकेगा
* किसानों को ट्रैश मल्चिंग के लिए अधिक से अधिक जागरूक किया जाए साथ ही ट्रैश मल्चिंग एवं रैटून मैनेजमेंट डिवाइस (आरएमडी) के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाए
मेरठ।उप गन्ना आयुक्त परिक्षेत्र मेरठ ने बताया कि फसल अवशेष जलाना कानूनी अपराध है तथा पराली व फसल अवशेष जलाने पर जुर्माने का प्रावधान है। वर्तमान में प्रदूषण एक भयंकर समस्या बन गया है, जिसका कृषि उत्पादन के साथ-साथ मानव जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड रहा है। इसे विभिन्न स्तरों पर नियंत्रित करना बहुत जरूरी है, ताकि इसकी विभीषिका से बचा जा सके।
उप गन्ना आयुक्त ने बताया कि गन्ने की सूखी पत्तियों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण तो बढ़ता ही है, मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित होती है। इसलिए अगर फसल अवशेषों को जलाने की बजाय उचित प्रबंधन किया जाए तो फसल अवशेषों के माध्यम से मिट्टी को पोषक तत्व वापस मिल जाते हैं। गन्ना किसान अपने खेतों में ट्रैश मल्चिंग करके अधिक उपज और अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं, इससे पर्यावरण प्रदूषण भी रुकेगा।
उन्होने ट्रैश मल्चर के प्रयोग की जानकारी देते हुए बताया कि ट्रैश मल्चर के माध्यम से गन्ने की पत्तियों को छोटे-छोटे टुकडों में परिवर्तित किया जाता है। यह यंत्र पेड़ी प्रबंधन के लिए बहुत उपयोगी है। पेड़ी प्रबंधन के अंतर्गत दो पंक्तियों के बीच पत्तियों की मल्चिंग करने से बहुत लाभ होता है, क्योंकि इससे खेत की नमी सुरक्षित रहती है तथा खरपतवार कम होते हैं। ट्रैश मल्चिंग के लिए उपयोग की जाने वाली सूखी पत्तियां कुछ समय बाद खाद में बदल जाती हैं। इन पत्तियों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश तथा कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं तथा खरपतवार नियंत्रण एवं जल की बचत में सहायक होते हैं। उन्होंने बताया कि गन्ना खेती में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के निर्देश दिए गए हैं। जिसके अंतर्गत ट्रैश मल्चर तथा पेड़ी प्रबंधन यंत्र (रैटून मैनेजमैंट डिवाइस) की व्यवस्था की गई है।
फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान की जानकारी देते हुए उप गन्ना आयुक्त ने बताया कि फसल अवशेष जलाने पर प्रति एकड़ 400 किलोग्राम लाभदायक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश एवं सल्फर आदि आवश्यक पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते हैं। खेत में आग लगाने पर खेत की मिट्टी उसी प्रकार जलती है, जैसे ईंट भट्टे में ईंट जलती है। खेत का तापमान बढ़ने से उसमें पाए जाने वाले लाभदायक जीव जैसे राइजोबियम, एजेटोबैक्टर, एजोस्पिरिलम, नील हरित शैवाल एवं पीएसबी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा किसानों के मित्र कहे जाने वाले लाभदायक कवक, ट्राइकोडर्मा, जैविक कीटनाशक, विबेरिया बेसियाना, बैसिलस थुरिंजिनिसिस एवं केंचुए भी आग से नष्ट हो जाते हैं। फसल अवशेष जलाने से उत्पन्न कार्बन से वायु प्रदूषित होती है, जिसका मानव एवं पशुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
इस सम्बन्ध में उप गन्ना आयुक्त द्वारा मेरठ परिक्षेत्र के अन्तर्गत जिला गन्ना अधिकारियों को व्यापक निर्देश दिये गये हैं कि प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र में ट्रैश मल्चर की व्यवस्था चीनी मिल एवं विभाग के सहयोग से सुनिश्चित की जाए। किसानों को ट्रैश मल्चिंग के लिए अधिक से अधिक जागरूक किया जाए साथ ही ट्रैश मल्चिंग एवं रैटून मैनेजमेंट डिवाइस (आर.एम.डी) के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए गोष्ठी, किसान मेला, पम्पलेट, दैनिक समाचार पत्र, वॉल पेंटिंग, दूरदर्शन आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार करते हुए किसानों को गन्ने की सूखी पत्तियां न जलाने की जानकारी दी जाए।
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