रमजान में रूखसत हुए शहर काजी  

अंतिम दर्शन में उमड़ा जनसैलाब

पिता की क्रब के  पास सुपुर्द -ए-खाक

मेरठ।मेरठ शहर काजी प्रो. जैनुस्साजीद्दीन सिद्दीकी का सोमवार सुबह इंतकाल हो गया। सीने में दर्द होने के बाद उनको सुबह अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके जनाजे की नमाज रात शाही जामा मस्जिद में अदा की गई। रात 10 बजे उनका दफीना किया गया। दफ़ीने में हजारों लोगों की भीड़ रही। उनके जनाजे में जैन सैलाब  उमड़ पड़ा। प्रो. जैनुस्साजीद्दीन सिद्दीकी  को चिश्ती साहब कब्रिस्तान में उनके  पिता की  कब्र के पास  सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जनाजे में सभी धर्मो के  लाेग  शामिल रहे।

रविवार को उन्होंने समाज के लोगों से होली के चलते जुमे की नमाज ढ़ाई बजे पढ़ने की अपील की थी। वहीं, मेरठ के नए शहरकाजी अब प्रोफेसर सलेकिन सिद्दीकी होंगे। वे प्रो. जैनुस्साजीद्दीन सिद्दीकी के बेटे हैं। इसकी घोषणा सोमवार की शाम असर की नमाज के बाद गुदड़ी बाजार स्थित छप्पर वाली मस्जिद में की गई।प्रोफेसर प्रो.जैनुस्साजीद्दीन सिद्दीकी मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष रहे। उन्हें राष्ट्रपति अवार्ड मिल चुका था। वे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे। प्रोफेसर प्रो.जैनुस्साजीद्दीन सिद्दीकी के पिता काजी जैनुल आबिद्दीन भी शहीर काजी रहे। छोटे भाई जैनुल राशिद्दीन नायब शहर काजी हैं। बेटे प्रोफेसर सलेकिन सिद्दीकी हैं।



पिता के इंतकाल के बाद अब प्रोफेसर सलेकिन सिद्दीकी शहर काजी होंगे। प्रोफेसर सलेकिन सिद्दीकी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में अध्यापन कर रहे हैं। अब वे अपने पिता की विरासत संभालते हुए मेरठ के शहर काज़ी की जिम्मेदारी निभाएंगे। समाज के प्रबुद्ध वर्ग और धार्मिक नेताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है।

प्रो.जैनुस्साजीद्दीन सिद्दीकी ने अपनी धार्मिक शिक्षा दारुल उलूम देवबंद से प्राप्त की, जहां उन्होंने ‘फाजिल’ की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने आधुनिक शिक्षा की ओर कदम बढ़ाया और जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

उनकी शिक्षा और उपलब्धियां

दारुल उलूम देवबंद – फाजिल (इस्लामिक स्टडीज)

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) – अरबी भाषा में एमए

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) – अरबी भाषा में पीएचडी

1942 में मेरठ में जन्मे प्रो. जैनुल साजेद्दीन को उनके धार्मिक और शैक्षिक योगदान के लिए अखिलेश यादव सरकार में राज्य मंत्री स्तर का दर्जा भी मिला था। वे उस समय उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन थे।

सरकार द्वारा मिला था सम्मान, राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजे गए

शहर काजी प्रो.जैनुस्साजीद्दीन सिद्दीकी और उनके पिता काजी जैनुल आबिदीन को अरबी भाषा और इस्लामी शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सरकार द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

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