सामाजिक समरसता को मजबूत करती होली
- जगतपाल सिंह
भारतीय संस्कृति के प्राचीनतम त्यौहारों में होली को एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है क्योंकि प्रेम, सद्भावना, एकता और सामाजिक समरसता का ताना-बाना जोड़ने में होली के त्यौहार को अहम माना गया है। क्योंकि मानवीय जीवन मे निजी स्वार्थ को लेकर घर, परिवार, समाज में जो आपसी मनभेद, ईर्ष्या, द्वेष पैदा जाता है उसको त्यागने और भुलाने का संदेश होली का त्यौहार देता है। होली के त्योहार पर लोग एक दूसरे के गिले- शिकवे भूलकर एक दूसरे के गले लगते हैं और गुलाल और रंग लगाकर उमंग और उत्साह के साथ होली का त्यौहार मनाते हैं जो आपसी सौहार्द का भी प्रतीक है।
अगर इसके अतीत में चले तो पाएंगे कि होली बसंत ऋतु में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय एवं नेपाली पर्व है हिंदू पंचांग के अनुसार फागुन मास की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है होली का वह दिन होता है जब होली को जिसे अग्नि में अखंड रहने का वरदान मिला हुआ था। होली ने प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर अग्नि में प्रवेश किया था उस समय भगवान विष्णु अपने भक्त प्रहलाद की सहायता करने के लिए आए और परिणाम स्वरूप होलिका अग्नि में जल गई जबकि भक्त प्रहलाद को कोई नुकसान नहीं हुआ यह कथन होली के विषय में जानकारी देता है । हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के मारे जाने की खुशी में यह त्यौहार मनाया जाता है।
पुराणों के अनुसार अगर ध्यान दें तो बताया यह जाता है कि प्राचीन समय में भक्त प्रहलाद के सकुशल अग्नि से बचने की खुशी में अगले दिन गुलाल लगाकर इस पर्व को मनाया जाता है हिरण्यकश्यप मरने से पहले ही होलिका के रूप में बुराई अग्नि में जलकर खाक हो गई और अच्छाई के रूप में भक्त प्रहलाद बच गए। उसी दिन से होली के जलने का और दहन होने का यह पर्व पूरे विश्व में मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में त्योहारों का अपना एक अलग ही महत्व है भारतीय संस्कृति मे सभी धर्मों के त्योहारों को प्रेम सद्भावना से मनाने की परंपरा है और एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों को उनके त्योहारों पर बधाई और शुभकामनाएं देते हैं । यहां तक की एक दूसरे को अपने घर बुलाकर जलपान और मिठाइयां खिलाई जाती है और मिठाइयों का आदान-प्रदान भी अक्सर देखने को मिलता है यह प्रेम और सौहार्द विश्व में हमारी धार्मिक एकता और अखंडता और सद्भावना के लिए जाना जाता है हमारे संविधान में भी सभी धर्म और पंथ को बराबर का सम्मान और दर्जा दिया गया है इसलिए विश्व में भारतीय संविधान अपनी एक अलग पहचान रखता है।
होली बसंत ऋतु का यह पर्व आनंदित और उत्साहित रूप लेकर आता है । चारों तरफ हरियाली खेतों में गेहूं की बाली को लेकर लोग होली की अग्नि मे उसको भुनते हैं जो शुभ माना गया है और एक दूसरे को आदान प्रदान करते हैं। होली के मौके पर लोग घरों में तरह-तरह के पकवान बनवाते हैं और एक दूसरे को अपने घर आमंत्रित करके खुशी मनाते हुए व्यंजन खिलाते हैं। उत्तर भारत में बरसाने की होली और मथुरा की होली का अपना एक अलग ही महत्व बताया गया है लेकिन होली के इस त्यौहार पर लोग इतने आनंदित और खुश होकर झूम उठते हैं कि उनके लिए मथुरा वृंदावन बरसाना उनका अपना स्थान ही बन जाता है प्राचीन परंपरा के अनुसार शहरों कस्बों गांवों में होली बजाई जाती है और होली के गीत गाए जाते हैं।
होली के रंगों में रंगे लोगों में जो उत्साह आनंद और प्रेम देखने को मिलता है वह हमारे देश की एकता और अखंडता को भारतीय संस्कृति अध्यात्म का प्रतीक है लेकिन कुछ लोग इस त्यौहार में अत्यधिक नशा करके रंग में भंग करके इस त्यौहार की गरिमा और पवित्रता को क्षति पहुंचाते हैं। ऐसे लोगों पर प्रशासन तो निगरानी करता ही है उन लोगों पर समाज के प्रबुद्ध और जागरूक लोगों को भी निगाह रखनी चाहिए । क्योंकि होली का त्यौहार रंगों और उत्सव उमंग का त्यौहार है जो प्रेम सद्भावना एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है और यह पर्व भारतीय संस्कृति अध्यात्म की प्राचीनतम धरोहर है इसके वास्तविक स्वरूप को बनाए रखना समाज का परम धर्म और परम कर्तव्य है।
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