मेरठ कॉलेज में हुई सीपीआर पर एक दिवसीय कार्यशाला 

सीपीआर  – जीवन रक्षक प्रक्रिया: डॉ राजीव अग्रवाल 

मेरठ।  मेरठ कॉलेज के विधि विभाग के विशालकाय सेमिनार हॉल में प्रो कामेश्वर पांडेय की अध्यक्षता में सीपीआर पर एक दिवसीय वर्कशाप आयोजित की गई। इस वर्कशाप के मुख्य वक्ता  हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ राजीव अग्रवाल रहे ।

 डॉ राजीव अग्रवाल ने कार्यशाला को संबंधित करते हुए कहा कि विदेश में खास तौर पर यूरोप, अमेरिका और जापान में पढ़ाई के कोर्स के साथ-साथ सीपीआर सिखाया जाता है। यहां तक की यूरोप में तो यदि कोई व्यक्ति ड्राइविंग लाइसेंस बनवाता है तो भी उसे उससे पहले सी पी आर का सर्टिफिकेट जमा करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि सीपीआर (CPR - कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) एक आपातकालीन जीवन रक्षक तकनीक है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की सांस या हृदय धड़कन बंद हो जाती है। यह प्रक्रिया हृदय गति रुकने, डूबने, बिजली के झटके या किसी अन्य आपात स्थिति में बेहद उपयोगी होती है।

सीपीआर में मुख्य रूप से दो क्रियाएँ शामिल होती हैं – छाती पर दबाव (चेस्ट कंप्रेशन) और कृत्रिम सांस (रेस्क्यू ब्रेथिंग)। उन्होंने मानव डमी पर छात्रों को इसका प्रशिक्षण भी दिया और बताया की 70 से 80 बार छाती पर दबाव देना होता है और 8 से 10 बार मुंह से सांस दी जाती है। छाती पर दबाव देने से रक्त का संचार जारी रहता है, जिससे मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचती रहती है। कृत्रिम सांस देने से फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचती है, जिससे व्यक्ति को जीवित रखने में सहायता मिलती है।

सीपीआर करने के लिए व्यक्ति को एक समतल सतह पर लिटाना चाहिए। फिर, दोनों हाथों का उपयोग करके उसकी छाती के मध्य भाग पर तेजी से और लगातार दबाव देना चाहिए। प्रत्येक 30 दबावों के बाद, व्यक्ति के मुंह में दो बार सांस फूंकनी चाहिए। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखनी चाहिए जब तक चिकित्सा सहायता न मिल जाए।

इस वर्कशाप का संचालन प्रोफेसर चंद्रशेखर भारद्वाज ने किया। उन्होंने संचालन के दौरान बताया कि कोविद के बाद से हृदय रोगों में वृद्धि हुई है। अत्यधिक तनाव भरी जीवन शैली भी इसके लिए जिम्मेदार है। अतः सभी लोगों को इस तकनीक को सीखना चाहिए। कार्यशाला में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिषद की प्रो रेखा राना, महाविद्यालय के मुख्य नियंता डॉ अनिल कुमार राठी, डॉ अशोक कुमार शर्मा, डॉ वीना चौधरी, डॉ गौरव बिष्ट, डॉ यूनिक अरोड़ा,  डॉ अनिल भारती, श्री अरविंद कुमार, डॉ राम यज्ञ मौर्य, डॉ सुधीर मलिक, डॉ हरिशंकर राय, डॉ अनुराग सिंह एवं लगभग 500 छात्रों ने हिस्सा लिया। मेरठ कॉलेज के सचिव श्री विवेक कुमार गर्ग एवं प्राचार्य प्रो युद्धवीर सिंह ने अपने संदेश में कार्यशाला की सफलता पर संतोष व्यक्त किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में जितेंद्र कुमार, विनय कुमार, रोहित कश्यप, अल्केश एवं दीपक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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