भ्रामक बयानबाजी से बचें


इलमा अज़ीम 
गत दिनों चुनाव नतीजों पर सवाल उठाने का नया रिवाज चल पड़ा है। परिणाम आए नहीं कि बयानबाजी शुरू हो जाती है। इस नजरिए पर काम करने वालों पर अपने विदाई भाषण में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को कहना पड़ा कि चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय और पूर्ण भागीदारी के बाद नतीजे पर सवालिया निशान लगाना उचित नहीं है। यह अवांछनीय है। उन्होंने भ्रामक बयान बाजी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मतदान या मतगणना के प्रमुख घंटे के दौरान भ्रामक बयान बाजी का चलन तेजी से बढ़ रहा है, तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने की कवायत और मतदाताओं को गुमराह करने के लिए जानबूझकर कार्रवाई की जा रही है। यह ऐसा प्रयास है जो स्वस्थ चुनावी परंपराओं के अनुकूल नहीं है।


यह हकीकत है कि भारतीय चुनाव प्रणाली दुनिया की सबसे विशाल और पारदर्शी चुनाव प्रणाली है। साथ ही अपनी गुणवत्ता के साथ दुनिया के तमाम देशों के लिए प्रेरणा का काम करती है। परिपक्व लोकतंत्र के हित में ऐसी चालों और बयानबाजियों से से बचना ही बेहतर होगा। यह समझना होगा कि मतदान कर्मियों की प्रतिबद्धता, स्वतंत्रता, निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करती है, जिससे प्रणाली में जनता का विश्वास मजबूत होता है। अपनी सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले सीईसी राजीव कुमार का इस तरह का बयान सीधे तौर पर विपक्ष पर हमला है, जो चुनाव आयोग पर भाजपा का पक्ष लेने का आरोप लगता है। 
विपक्षी दल यह भी कहता है कि चुनाव आयोग मतदाता सूची में अनियमित एवं से छेड़छाड़, मतदान में गड़बड़ी, चुनाव पूर्व कार्यालय में भेदभाव और इस तरह के अन्य आवश्यक आरोपी के साथ विपक्ष चुनाव आयोग पर मनमानी का आरोप लगता है। 

उन्होंने कहा कि मतदान के लिए बायोमेट्रिक का इस्तेमाल कर चुनावी पारदर्शिता में बड़ी क्रांति लाई जा सकती है। उन्होंने फर्जी खबरों की रोकथाम के लिए भी कड़े कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा चुनावों में एआई के प्रयोग से क्रांति लाई जा सकती है। 

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