विद्युत दुर्घटनाओं की रोकथाम को जागरूकता जरूरी
- यदुनाथ राम
हमारे दैनिक जीवन में बिजली की उपयोगिता काफी बढ़ गई हैं। हम निजी जीवन में घर, दफ्तर या काम की अन्य जगहों पर चाहे वह उद्योग हो, वाणिज्यिक संस्थान हो अथवा सार्वजनिक स्थान हो, बिजली का प्रयोग अवश्य ही करते हैं। बिजली न रहने पर ऐसा लगता है कि हमारी दिनचर्या रूक सी गई हैं। आज हम दैनिक जीवन की अधिकांश गतिविधियों हेतु बिजली पर निर्भर हो चुके हैं। बिजली ने हमारे जीवन को आरामदायक बनाया हैं। किन्तु, मामूली सी चूक या लापरवाही होने पर यही बिजली हमारे जान-माल के लिए खतरा भी बन जाती हैं। कहते है कि बिजली एक अच्छा दोस्त है किन्तु, असावधानी / लापरवाही भरा व्यवहार करने पर यह सबसे खतरनाक दुश्मन बन जाती हैं। देश में विद्युत दुर्घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जोकि हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय बनती जा रही हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में हर साल करीब 12,500 लोगों की मृत्यु बिजली के करंट लगने से ही होती हैं। यानि, 30 लोग प्रतिदिन भारत में बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं से मरते है, जोकि बहुत ही दुःखद एवं पीड़ादायक है। विद्युत सुरक्षा सम्बन्धी नियमों की जानकारी देकर एवं लोगों को इन नियमों को पालन करने हेतु जागरूक करके हम विद्युत दुर्घटनाओं एवं इसके कारण होने वाली मौतों को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
वर्तमान में हम देखते है कि 11000 वोल्ट या इससे अधिक वोल्टेज की विद्युत लाईनों के नीचे या इन लाईनों से बहुत कम दूरी पर लोग अपना घर बना लेते हैं। कई बार अपने घर के बारजे को इतना बढ़ा लेते है कि मकान की छत पर कोई भी व्यक्ति कार्य करते समय जरा सी लापरवाही होने पर विद्युत लाईनों के सम्पर्क में आ जाता है और विद्युत दुर्घटना का शिकार हो जाता हैं। कई बार ट्रैक्टर, ट्रक अथवा बस के ऊपर लदे हुये सामान विद्युत लाइनों के नीचे से गुजरते समय विद्युत लाईन के सम्पर्क में आ जाने के कारण बड़ी विद्युत दुर्घटना हो जाती हैं। अक्सर बारिश के दिनों में विद्युत पोलों, स्टे वायर में करंट उतरने अथवा कटी-फटी सर्विस केबिल से टीन शेड इत्यादि में करंट उतरने के कारण भी विद्युत दुर्घटनायें होती हैं। विद्युत दुर्घटनाओं से बचने के लिए विद्युत सुरक्षा के नियमों की जानकारी होना तथा उनका सख्ती से पालन किया जाना अतिआवश्यक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक लोगों में विद्युत सुरक्षा नियमों की जानकारी का काफी अभाव दिखता हैं। घर के अन्दर पंखे, स्वीच बोर्ड, कूलर / फर्राटा पंखे में करंट उतरने के कारण विद्युत दुर्घटना होने की खबरें प्रायः सुनने को मिलती रहती हैं। घरों के अन्दर विद्युत दुर्घटनायें प्रायः पुराने विद्युत उपकरणों के प्रयोग, पुरानी केबिल जोकि कई जगह कट-फट गई है तथा इंश्युलेशन खराब हो गया है, के प्रयोग करने एवं उनको भीगे बदन बिना जूते-चप्पल पहने छूने से हो जाती हैं।
हमारे देश में लोगों की आमदनी जैसे-जैसे बढ़ी है, वैसे-वैसे लोगों का रहन-सहन का स्तर भी सुधरा है तथा हमारे घरों में घरेलू विद्युत उपकरणों का उपयोग काफी बढ़ गया हैं। कई बार हम एक ही विद्युत सर्किट में एक से ज्यादा विद्युत उपकरण लगा देते है, जिस वजह से उस सर्किट में उसकी क्षमता से ज्यादा करंट बहने से वह गर्म हो जाता है तथा आग लगने से शॉर्ट सर्किट होने से घटना हो जाती हैं। घर के अन्दर होने वाली विद्युत दुर्घटनाओं से बचाव के लिए हमें साल भर में कम से कम एक बार घर की वायरिंग खास कर पुराने बने घरों की वायरिंग की जाँच किसी अच्छे इलेक्ट्रिशियन से करवानी चाहिए तथा कटे-फटे एवं पुराने तारों को बदल देना चाहिए। किसी भी प्रकार के खुले जोड़ बिजली की तारों में नहीं होने चाहिए। तारों के जोडों को अच्छी क्वालिटी के टेप लगाकर बन्द कर देना चाहिए। जिन घरों की वायरिंग 15-20 साल पुरानी है उनकी नई वायरिंग करानी चाहिए क्योंकि, पुरानी वायरिंग की क्षमता अब तक बढ़े हुए विद्युत उपकरणों का भार वहन नहीं कर सकती हैं। शॉर्ट सर्किट से बचने के लिए सुरक्षा उपकरणों जैसे-फ्यूज सेट, एम०सी०बी० का प्रयोग करना चाहिए।
बडे लोड के उपकरणों यथा एसी०, गीजर इत्यादि हेतु अलग-अलग एम०सी०बी० का प्रयोग करना चाहिए ग्रामीण क्षेत्रों में घर की वायरिंग किये जाने वाले केबिल/तारों की गुणवत्ता सही न होना एवं घर की वायरिंग की सही ढंग से अर्थिंग न किया जाना भी विद्युत दुर्घटना का कारण बनता है। अतः हमें अपने आवास अथवा प्रतिष्ठान की अर्थिंग की जाँच समय-समय कुशल इलेक्ट्रिशियन से कराकर इसे ठीक कराते रहना चाहिए। बारिश के दिनों में कई बार दीवारों एवं दरवाजों में लीकेज के कारण करंट उतर आता है तथा हमें दीवारों को छूने पर हल्के झट्के महसूस होते हैं। ऐसा होने पर हमें तुरन्त कुशल इलेक्ट्रिशियन से वायरिंग जाँच कराकर उन्हें ठीक करा लेना चाहिए। कई बार लोगों द्वारा सस्ते एवं घटिया क्वालिटी की एम०सी०बी० का प्रयोग किया जाता है, अथवा कट-आऊट में सही क्षमता का फ्यूज वायर लगाने की बजाये मोटा तार लगा दिया जाता है, जिससे ओवर लोड होने पर भी फ्यूज ब्लो नहीं करता/एम०सी०बी० ट्रिप नहीं करती तथा शोर्ट सर्किट हो जाने के कारण घर में आग लग जाती हैं। कनेक्शनों का लूज होना भी स्पार्किंग एवं विद्युत दुर्घटना का एक मुख्य कारण हैं। अतः घरों में विद्युत दुर्घटनाओं को रोकने हेतु घर की वायरिंग प्रशिक्षित एवं लाईसेंसधारी इलेक्ट्रिशियन से करानी चाहिए। किसी भी बिजली के उपकरण को चलाने के लिए तीन-पिन वाले प्लग का ही उपयोग करना चाहिए, इस प्लग में दो पिन बिजली की आपूर्ति के लिए (फेज और न्यूट्रल) और तीसरा पिन अर्थिंग (ग्राउंडिंग) के लिए होता है, जो घर की अर्थिंग से जुड़ा होता हैं। अगर किसी कारण से उपकरण के बाहरी आवरण में लीकेज करंट आ जाता है, तो लीकेज करंट अर्थ तार के जरिये जमीन में चला जाता है और इंसान को बिजली का झटका नहीं लगता हैं। आवास अथवा प्रतिष्ठान में तीन फेज की सप्लाई होने पर हमें तीनों फेज पर लोड बॉट कर चलाना चाहिए इससे वायरिंग के ओवर हीट शार्ट सर्किट होने का खतरा नहीं रहता हैं।
बाजारों एवं शहरों में प्रायः हम देखते हैं कि ठेले वाले, सब्जी वाले ट्रांसफार्मर की फेंसिंग, लोहे के पोल या स्टेवायर वायर से सटाकर ठेले या दुकान लगा लेते है यह बहुत खतरनाक हैं। ट्रान्सफार्मर के रेडिएटर / डायफ्राम फटने, तेल लीक होने, लोहे के पोल या स्टेवायर में करंट उतरने से विद्युत दुर्घटना का खतरा बना रहता है। कई बार लोगों द्वारा अपने घर के आस-पास विद्युत पोलों के सपोर्ट के लिए लगे स्टे वायर एवं पोलों की अर्थिंग निकाल कर फेंक दिये जाते हैं। इसी तरह से कई बार खेतों में लगे हुए विद्युत पोलों, स्टेवायर के पास की मिट्टी लोगों द्वारा निजी स्वार्थवश हटा दी जाती है, जिससे आँधी-तूफान आने पर पोल गिर जाता है या एक तरफ झुक जाता है तथा विद्युत लाईनें नीचे आ जाती है तथा विद्युत दुर्घटना का खतरा होने पर इनके विद्युत लाईनों से छू जाने के कारण कई बार विद्युत दुर्घटनाएँ घटती होती हैं। अतः चालू लाईन के नीचे से अधिक ऊँचे ::वाहन, रथ, झण्डें, ताजिये, पाईप या सरिया आदि नहीं ले जाने चाहिए, इनके विद्युत तार से छू जाने के कारण दुर्घटना हो सकती हैं।
ग्रामीण क्षत्रों में कच्चे रास्तों / पगडण्डियों जहाँ गर्मियों के दिनों में शादी-ब्याह अथवा मकान निर्माण के लिए ईट/बालू ले जाने हेतु ऊँचे वाहनों के आने-जाने की संभावना रहती है, विद्युत लाइन की ऊँचाई कम होने पर तथा ऐसे स्थान जहाँ पर सड़क के मरम्मत / पुननिर्माण होने के फलस्वरूप सड़क ऊँची हो जाने कारण विद्युत लाइनों की जमीन से ऊँचाई कम हो गयी हो, वहां पर सम्बधिंत विद्युत उपकेन्द्र पर शिकायत कर बीच में एक अतिरिक्त पोल लगवाकर विद्युत लाइन की ऊँचाई बढ़वा लेना चाहिए जिससे कि इन लाइनों के नीचे से वाहनों के गुजरते समय इनके विद्युत लाइनों के सम्पर्क में आने की आशंका न रहें। हमें त्यौहारों, धार्मिक समारोहों के समय हमेशा सहज एवं सजग रहना चाहिए तथा अति उत्साह में विद्युत सुरक्षा नियमों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।
मार्च-अप्रैल के महीनों में जब खेतों में फसल पक कर लगभग तैयार हो जाती है, तेज हवा चलने से विद्युत तारों के एक-दूसरे के पास में आने से चिंगारी पैदा होती है तथा फसलों में आग लगने की दुर्घटनाएँ होती हैं। ऐसे में जिन स्थानों पर जहाँ तेज हवा चलने पर चिंगारी निकलने की या तार लाल होने की घटना दिखे, तुरन्त विद्युत विभाग के टोल फ्री नम्बर 1912 पर फोन कर विद्युत विभाग को सूचित कर लाईन बन्द करवा देनी चाहिए तथा उनसे तारों को ठीक करवा लेना चाहिए। ट्रान्सफार्मर से धुंआ निकलने, तार टूट कर गिरा होने, लटके होने, पोलों के टेढ़ा होने, स्टे वायर में स्टे इन्सुलेटर न लगा होने, बारिश होने पर किसी पोल या स्टे वायर में करेण्ट उतरने की घटना की सूचना विद्युत विभाग के टोल फ्री नम्बर 1912 या सम्बन्धित विद्युत उपकेन्द्र पर देकर हमें समय से इन्हें ठीक करा लेना चाहिए। हमारी थोड़ी सी सावधानी, सजगता, संवेदनशीलता एवं समय से बिजली विभाग को दी गई सूचना सम्भावित बड़ी विद्युत दुर्घटना रोक सकती है तथा कई लोगों के अमूल्य जीवन की रक्षा कर सकती हैं।
(मुख्य अभियन्ता (वितरण) मेरठ क्षेत्र द्वितीय, मेरठ)
No comments:
Post a Comment