भारत में ऑन्कोलॉजी देखभाल को लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अंतर को काम किया जा रहा
-इसी को लेकर बुलंदशहर में नारायणा हॉस्पिटल की ऑन्कोलॉजी ओपीडी का आयोजन
-नारायणा हेल्थकेयर ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में हर स्थान तक पहुंचा रहा सेवाएं
बुलंदशहर: भारत में स्वास्थ्य सेवा को लेकर महानगरीय क्षेत्रों, ग्रामीण व छोटे शहरों के बीच असमानता दिखाई पड़ती है। महानगरीय क्षेत्रों के बड़े अस्पतालों में अत्याधुनिक उपकरण और उपचार हेतु कई प्रकार की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। वहीं दूसरी तरफ छोटे शहरों या फिर ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी कमी के कारण एक बड़ा अंतर पैदा हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्र के लोग बड़े शहरों का सफर करते हैं और इस दरमियान उन्हें कई प्रकार की वित्तीय व अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खासकर ऑन्कोलॉजी में रोगियों को बेहतर देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती है। इन्हीं सब मुद्दों को ध्यान में रखते हुए नारायणा हॉस्पिटल गुरुग्राम की ओपीडी बुलंदशहर में आयोजित की गई। जिसमें डॉ. देबाशीष चौधरी, सीनियर कंसल्टेंट एंड क्लीनिकल लीड, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी मरीज के इलाज एवं संपर्क हेतु उपस्थित रहे। यह ओपीडी हर बुधवार, समय सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक मातृछाया अस्पताल, बुलंदशहर में आयोजित की जाएगी।
डॉ. देबाशीष चौधरी, सीनियर कंसल्टेंट एंड क्लीनिकल लीड, ने बताया कि, ग्रामीण और बड़े शहरों में ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में इस अंतर को कम करने के लिए यह प्रयास एक प्रभावी समाधान ला सकता है। कैंसर की रोकथाम और शुरुआती पहचान के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना, सामुदायिक जांच कार्यक्रम लागू करना और टेली-ऑन्कोलॉजी सेवाओं का विस्तार करना देखभाल में मौजूदा कमियों को कम करने में मदद कर सकता है। आखिरकार, किसी भी स्वास्थ्य सेवा समस्या के निदान के लिए सबसे पहला कदम है कि उसकी समय पर पहचान हो सके और ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में जल्द इलाज शुरू करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ऑन्कोलॉजिस्ट के रूप में, हम ज़रूरतमंदों तक सीधे देखभाल पहुँचाने में विश्वास करते हैं। इस उद्देश्य से, हम बुलंदशहर, बिजनौर, मुज़फ़्फ़रनगर, रेवाड़ी, पानीपत और श्रीनगर जैसे दूरदराज के इलाकों में साप्ताहिक आउटरीच ओपीडी आयोजित करते हैं, जहाँ मरीजों के दरवाज़े पर ही परामर्श, निदान और उपचार योजनाएँ प्रदान की जाती हैं। यह दृष्टिकोण मरीजों और उनके परिवारों को यात्रा के अतिरिक्त बोझ के बिना उनकी देखभाल के बारे में निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
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