मां नहीं मिली तो बच्चे का बाल गृह में की आत्महत्या ,बीती देर रात लगाई फांसी
मां ने कहा–5 महीने से मिली नहीं, दतिया में हूं, अंतिम संस्कार में नहीं आ सकती
मेरठ।नाैंचदी स्थित राजकीय बाल गृह में रहने वाले एक बच्चे ने सुसाइड कर लिया है। बुधवार देर रात बाथरूम की जाली में चादर लटकाकर फंदा बनाया। उससे लटककर जान दे दी।आश्रम के दूसरे लड़कों ने तड़के सुबह उसे फंदे पर लटका देखा। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बाल गृह के स्टाफ से बात की। सामने आया कि बच्चा अपनी मां से मिलने बागपत गया था, मगर वह दतिया (मध्यप्रदेश) गईं थीं।
बुधवार देर रात उसने आश्रम में बाथरूम की छत पर लगी जाली पर चादर से फंदा लगाया और लटककर जान दे दी। देर रात आश्रम के दूसरे लड़कों ने इसकी जानकारी आश्रम के स्टाफ को दी। बालगृह के स्टाफ ने जब अंदर जाकर देखा तो किशोर फंदे पर लटका था। तुरंत नौचंदी थाना पुलिस को जानकारी दी गई। सूचना पर आई थाना पुलिस ने किशोर के शव को फंदे से उतारकर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया है।
जब पुलिस ने मां नीता से फोन पर संपर्क किया। तब उन्होंने कहा- मेरी बेटे से 5 महीने पहले मुलाकात हुई थी। 3 महीने से फोन पर भी बात भी नहीं हुई। इस वक्त मैं दतिया में हूं। आने में वक्त लगेगा, अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाऊंगी।पुलिस को बच्चे के साथ रहने वाले साथियों ने बताया कि वह बुधवार को अपनी मां से मिलने के लिए खेकड़ा (बागपत) गया था। मां नहीं मिली। वह लौट आया, मगर टेंशन में था।किशोर बागपत का रहने वाला था। पिता महावीर जैन की मौत हो चुकी है। घर में मां नीता देवी और किशोर अकेला था। कुछ दिन पहले मां खेकड़ा के ही एक वृद्धाश्रम में जाकर रहने लगी।वहीं बेटे को 22 अगस्त 2024 में मेरठ बालगृह में भेज दिया। किशोर मेरठ के एनएएस स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ता था।
बुधवार देर रात उसने आश्रम में बाथरूम की छत पर लगी जाली पर चादर से फंदा लगाया और लटककर जान दे दी। देर रात आश्रम के दूसरे लड़कों ने इसकी जानकारी आश्रम के स्टाफ को दी। बालगृह के स्टाफ ने जब अंदर जाकर देखा तो किशोर फंदे पर लटका था। तुरंत नौचंदी थाना पुलिस को जानकारी दी गई। सूचना पर आई थाना पुलिस ने किशोर के शव को फंदे से उतारकर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया है।
एक दिन पहले ही मां से मिलने गया था
बालगृह के स्टाफ ने बताया कि किशोर बहुत अच्छा छात्र था। पढ़ने में काफी गंभीर था। रोजाना स्कूल जाता और क्लास अटैंड करता था। उसने सुसाइड का कदम क्यों उठाया? इस बारे में कोई कुछ नहीं बता रहा। माना जा रहा है कि बुधवार को मां से मुलाकात नहीं होने के कारण वो टेंशन में था।
मां बोलींं– मेरा भगवान ही मुझसे रुठा...
बच्चे की मां नीता ने बताया कि मैं 17 जनवरी से मप्र में दतिया के पास धार्मिक स्थल पर यात्रा में गई है। क्योंकि बेटे के पास फोन नहीं है। आसानी से हमारी बातचीत नहीं हो पाती इसलिए उसे अपनी यात्रा के बारे में नहीं बता सकी थी। गुरुवार सुबह मुझे आश्रम से फोन आया, तब पता चला कि बेटे की मौत हो गई है।मां ने कहा- मैं तुरंत मंदिर से पूजा छोड़कर वहां से निकल पड़ी। बस से पहले ग्वालियर, फिर दिल्ली आऊंगी, इसके बाद बागपत पहुंचेगी। यहां पहुंचने में मुझे 2 दिन का वक्त लगेगा। इसलिए मैं बच्चे का अंतिम संस्कार नहीं कर पाऊंगी। कहा- मेरे पति की 5 साल पहले बीमारी से मौत हो चुकी है। एक बेटी है, जो बेंगलुरु में रहती है।
नीता बोलीं- बेटा कहता कमाने लगूंगा, फिर साथ रहेंगे
नीता ने बताया कि मेरी जिदंगी का आखिरी सहारा बेटा ही था। वो अक्सर कहता कि मां 2 साल बाद मैं बालिग हो जाऊंगा, पढ़ाई पूरी हो जाएगी तब कमाने लगूंगा। कहीं भी छोटी सी नौकरी कर लूंगा और तुझे अपने साथ ले जाऊंगा। फिर हम दोनों साथ ही रहेंगे।नीता ने कहा मैं तो उस दिन के इंतजार में सपने संजोए बैठी थी लेकिन मेरा तो नसीब ही मुझसे रुठा है। पहले पति चला गया और अब इकलौता जवान बेटा भी छिन गया।
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