काली नदी का जल हुआ सेेहत के खतरनाक
नदी के पानी से सीची गयी फसल से पैदा होने वाली वस्तु हानिकारक
मेरठ/लखनऊ। मेरठ से सहारनपुर जाने वाली काली नदी का जल सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। इस का खुलासा लखनऊ स्थित भीम राव अंबेडकर विवि के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने किया है। काली नदी में 27 जगहों के पानी के नमूनों की जांच बीबीएयू और भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) की प्रयोगशाला में की गई है। इस शोध पत्र को इंडियन जर्नल 'इनवॉयरमेंट एंड इकोलॉजी' ने प्रकाशित किया है।
बीबीएयू के शोधार्थी व तमिलनाडु के चेन्नई स्थित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण वैज्ञानिक मोनू कुमार ने यह शोध विवि. के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. नरेन्द्र कुमार के निर्देशन में किया है। शोधार्थी अनीत यादव और कमला पत राव ने शोध में सहयोग किया है। मोनू का कहना है कि काली नदी हिण्डन नदी की सहायक है। काली नदी का उदगम स्थल शिवालिक है। करीब 150 किमी. लम्बी नदी सहारनपुर, मुजफ्फरनगर व मेरठ से होते हुए पिथलोखर में हिण्डन नदी में मिलती है।
कैंसर, लिवर, गुर्दा और दिमाग के लिए नुकसादेह
पर्यावरण वैज्ञानिक मोनू कुमार ने बताया कि नदी में अलग-अलग जगह से पानी के 27 सैंपल लेकर बीबीएयू और आईआईटीआर की लैब में नमूनों की जांच की। जल की गुणवत्ता परखने के लिए प्रदूषण सूचकांक, सिंचाई जल गुणवत्ता सूचकोक और भरी धातु का परीक्षण किया। भारी धातु के विश्लेषण में लेड, कैडिमयम, क्रोमियम और आर्सेनिक मानक से ज्यादा पायी गई है। इससे लोगों में कैंसर, लिवर व गुर्दा फेल होने और दिमाग व त्वचा से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं।
पानी में बहुत दूषित मिला
बीबीएयू के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. नरेन्द्र कुमार ने बताया कि प्रदूषण सूचकांक की जांच में नदी का पानी बहुत ज्यादा दूषित मिला है। सहारनपुर, मेरठ और मुजफ्फरनगर के उद्योग और शहर का गंदा पानी नदी में प्रवाहित होता है। यह पानी सिंचाई व इंसानों के लिए नहीं है।
मेरठ में पानी सबसे दूषित
वैज्ञानिक मोनू के मुताबिक सिंचाई जल गुणवत्ता सूचकांक के आधार पर मेरठ के डबल गांव, राजपुर मोमिन व पिथलोकर में नदी के पानी की गुणवत्ता सबसे खराब मिली है। वहीं मुजफ्फरनगर के जीवना, हुसेनबाद व मोरक्का में पानी खराब मिला है। यहों भी सिंचाई के लिये उपयोग नहीं है।
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