छात्रवृत्ति वितरण गबन प्रकरण

हाईकोर्ट ने प्रधानाचार्य की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

 ईओडब्लयू  मेरठ सेक्टर के एसपी  को भी नोटिस

गाजियाबाद/मेरठ।  मदरसा छात्रवृत्ति वितरण गबन के मामले में अल्फला पब्लिक स्कूल की महिला प्रधानाचार्य की की गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है। यह मामला 13 साल पुराना है। ईओडब्लू की तरफ से यह केस दर्ज कराया गया था।

सीनियर एडवोकेट सुनील चौधरी ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के छात्रवृत्ति वितरण में 13 साल पहले हुए 56 छात्रों को छात्रवृति राशि 56,600 रुपए गबन के मामले में राबिया बेगम प्रधानाचार्य अल्फला पब्लिक स्कूल रशीद नगर मेरठ के विरुद्ध छात्रवृति गबन के मामले में दर्ज मुकदमे में चल रही जांच में गिरफ्तारी पर रोक लगाई है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ व सुभाष चंद्र शर्मा की अदालत ने याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया। एडवोकेट सुनील चौधरी ने दलील दी कि वर्ष 2010-11 में सरकार द्वारा 3 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति 98 मदरसा / स्कूल में तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम के द्वारा वितरण कर मदरसा के खाते में छात्रवृत्ति भेजकर नगद वितरित किया गया था।

अल्फला पब्लिक स्कूल रशीद नगर मेरठ के प्रबंधक मुस्तकीम व याची राबिया बेगम के विद्यालय के खाते में भेजी गई छात्रवृत्ति 56,300 रुपये भेजे जाने पर नियमानुसार 56 बच्चों को नगद वितरण कराया गया था। लेकिन कुछ मदरसे व स्कूल में पाई गई अनियमिताओं के कारण तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम व उनके क्लर्क संजय त्यागी सहित अन्य मदरसा के कर्मचारियों समेत 98 पर FIR कराई।

बाद में याची के विरुद्ध नीतू राणा इंस्पेक्टर आर्थिक अपराध शाखा थाना ने मुकदमा दर्ज कराया कि याची व मैनेजर ने मिलकर छात्रवृत्ति की धनराशि का नगद वितरण बता कर अधिकारी व क्लर्क के साथ मिलकर छात्रवृत्ति की धनराशि का गबन कर लिया। जबकि बच्चों के खातों में पैसा जाना चाहिए था।याची अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि याची ने नगद वितरण किया है और ई. ओ. डब्लू. की जांच में सहअभियुक्त संजय त्यागी की जांच में स्वयं यह माना है कि गबन का कोई आरोप नही पाया गया केवल भारत सरकार की गाइड लाइन का उलंघन किया गया है।याची ने तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी मेरठ के निर्देश पर अधिकारियों की मौजुदगी में नगद छात्रत्रवृति का वितरण किया है, गाइडलाइन के अनुसार मदरसा संचालकों के खातों में छात्रवृत्ति भेजी थी जो संचालक के द्वारा छात्रों को छात्रवृत्ति का वितरण नियमानुसार कर दिया गया था ।आर्थिक अपराध संगठन ने 13 साल बाद याची को नोटिस दिया है और 2019 में 8 साल के बाद एफआईआर दर्ज हुई, जिसकी जानकारी याची को नही है। अब जांच शुरू कर याची को गिरफ्तार करना चाहती है।

3 करोड़ के गबन का आरोप सुमन गौतम ,अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मेरठ के ऊपर है जिनके विरुद्ध 98 मुकदमे दर्ज हैं और सारे मुकदमें समाहित हो गए हैं और उनकी गिरफ्तारी पर भी न्यायालय ने रोक लगा रखी है व वर्तमान समय मे जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सहारनपुर के पद पर तैनात है। पिछले 13 साल से आज तक कोई भी गबन की धनराशि की वसूली नही हुई।

मेरठ के अलावा अन्य जिला गाजियाबाद, सहारनपुर में भी छात्रवृति नगद वितरण हुई है। याची अधिवक्ता के बहस को सुनकर हाइकोर्ट ने शिक़ायतकर्ता इंस्पेक्टर नीतू राणा मेरठ को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में राज्य सरकार सहित पुलिस अधीक्षक आर्थिक अपराध संगठन मेरठ व अन्य को 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश पारित किया। याची के विरुद्ध चल रही जांच में पुलिस रिपोर्ट प्रेषित या पुलिस रिपोर्ट पर न्यायालय के द्वारा संज्ञान लिए जाने तक गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया है।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts