कुछ आदतें भी बदलें
इलमा अजीम
तकनीक ने स्वास्थ्य को मापने योग्य संख्याओं में बदलाव कर दिया है। जब ये संख्याएं असामान्य हो जाती हैं, तो उन्हें अक्सर जीवनशैली में बदलाव से सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है। आज हर दिन, भारत में हजारों लोग दिल के दौरे, कैंसर, और हड्डी टूटने जैसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यह सब वार्षिक और नियमित स्वास्थ्य जांच से टाला जा सकता है।
फिर भी, यह आदत हमारे जीवन का हिस्सा क्यों नहीं बन पाई है? यह सोचने का विषय है। आज, एक साधारण अल्ट्रासाउंड मशीन से हम शरीर के किसी भी हिस्से की जटिल संरचनाओं को बिना दर्द के, मिनटों में देख सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश, इन उपकरणों का उपयोग आमतौर पर तब होता है जब मरीज गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचते हैं।
इसका कारण यह है कि अधिकांश लोग यह नहीं समझते कि ‘वे कितने फिट महसूस करते हैं, इसका उनकी वास्तविक फिटनेस से कोई लेना-देना नहीं है।’ हेल्थ केयर की लागत कम करने का सबसे अच्छा तरीका है गंभीर बीमारियों का प्रारंभिक चरण में पता लगाना और उनका उपचार करना। उदाहरण के लिए प्रारंभिक अवस्था में पहचाना गया ब्रेस्ट कैंसर मामूली सर्जरी से लगभग पूरी तरह ठीक हो सकता है।
इसके विपरीत, अंतिम चरण में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज जटिल और महंगा हो जाता है और परिणाम भी अच्छे नहीं होते। इसलिए, हमारी प्राथमिकता वार्षिक और रूटीन स्वास्थ्य जांच के माध्यम से शुरुआती पहचान पर होनी चाहिए।
यह 30 साल पहले असंभव लगता था, जब डायग्नोस्टिक उपकरण खराब गुणवत्ता वाले थे। लेकिन आज तकनीक ने सब बदल दिया है। नए साल पर यह संकल्प लें कि आप अपनी वार्षिक और नियमित स्वास्थ्य जांच कराएंगे। अपनी सभी रिपोर्ट अपने मोबाइल फोन पर सुरक्षित रखें। हेल्थ केयर का अनुभव तब और बेहतर हो जाता है, जब आप डिजिटल प्लेटफॉर्म का हिस्सा बनते हैं। यह अनुभव सहज और जादुई बन सकता है।
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